New Rail Line in UP : 18 साल बाद यूपी के इस जिले को मिली नई रेलवे लाइन, बजट जारी
New Rail Line in UP - लंबे इंतजार के बाद यूपी के इस जिले को आखिरकार रेल परियोजना की मंजूरी मिल गई है। यह सिर्फ एक नई रेल लाइन नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। करीब 18 साल बाद अब बजट स्वीकृति मिलने के बाद नया जीवन मिलने जा रहा है।आइए नीचे खबर जानते है इसके बारे में विस्तार से.

MY Job Alarm : लंबे इंतजार के बाद, कुशीनगर जिले की छितौनी-तमकुही रेल परियोजना (Chhitauni Tamkuhi Railway Line) को आखिरकार मंजूरी मिल गई है। यह सिर्फ एक नई रेल लाइन नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
करीब 18 साल से ठप पड़ी इस परियोजना को अब बजट स्वीकृति मिलने के बाद नया जीवन मिलने जा रहा है। इसके पूरा होने से उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच आवागमन और सुगम होगा, साथ ही पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी तेजी से बढ़ेंगे।
लगभग 200 गांवों को जोड़ने वाली एक नई रेल लाइन (new rail line) उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा पर लोगों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है। यह नई कनेक्टिविटी निवासियों को बड़े शहरों तक सीधी पहुंच प्रदान करती है, जिससे उन्हें अब कप्तानगंज या गोरखपुर नहीं जाना पड़ेगा। इस विकास से यात्रा आसान हो जाएगी और क्षेत्र में आर्थिक विकास का भी मार्ग प्रशस्त होगा। (Indian railway Ministry)
18 साल बाद मिली परियोजना को मंजूरी-
छितौनी–तमकुही रेल परियोजना (Chhitauni–Tamkuhi Rail Project) का शिलान्यास वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था। लेकिन बजट की कमी के चलते यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। अब रेलवे मंत्रालय ने 477 करोड़ रुपये से अधिक का बजट स्वीकृत कर दिया है और टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
रेल लाइन और स्टेशन निर्माण की योजना-
परियोजना के तहत 67 किमी लंबी रेल लाइन बिछाई जाएगी। इसमें छितौनी से तमकुही राज तक छोटे-बड़े पुल, इलेक्ट्रिक लाइन (electric line), सिग्नलिंग और आधुनिक स्टेशन बनाए जाएंगे। प्रमुख स्टेशनों में जटहां बाजार, मधुबनी, धनहां, खैरा टोला और पिपरही शामिल है। साथ ही तमकुही रोड को जंक्शन के रूप में विकसित किया जाएगा।
संघर्ष और आंदोलन का सफर-
2018 में जब इस परियोजना को अनुपयोगी बताकर बंद कर दिया गया, तो स्थानीय लोगों में निराशा फैल गई। इसके बाद संजय सिंह और शैलेश यदुवंशी के नेतृत्व में संघर्ष समिति ने आंदोलन शुरू किया। पोस्टकार्ड अभियान से लेकर सांसद विजय कुमार दूबे और अन्य जनप्रतिनिधियों की पहल तक, लगातार प्रयासों से केंद्र सरकार का ध्यान इस ओर गया।
विकास और रोजगार के नए अवसर-
रेल संपर्क सुधरने से कुशीनगर और तमकुही राज जैसे पर्यटन स्थलों पर देशी-विदेशी पर्यटकों (domestic and foreign tourists) की आवाजाही बढ़ेगी। इसके अलावा रेल लाइन से जुड़े व्यवसाय, ठेला-खोमचा और स्थानीय व्यापारियों को रोजगार मिलेगा। लगभग 200 गांवों के लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध होगी और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
दो वर्षों में पूर्ण होने की उम्मीद-
रेलवे अधिकारियों (railway officials) के मुताबिक, निर्माण कार्य पूरा होने में करीब दो साल लगेंगे। इसके बाद यूपी-बिहार सीमावर्ती क्षेत्र के लगभग दो लाख लोग मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे। इस नई रेलवे लाइन से न सिर्फ यात्रा आसान होगी, बल्कि यह क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास को भी गति देगी, जिससे लोगों के लिए नई राहें खुलेंगी।