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देश में ला नीना का खतरा बढ़ा, बाढ़ की आशंका

नई दिल्ली, 23 मार्च विश्वभर की कई मौसम एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि भारत को जून की शुरुआत में ला नीना की वापसी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे मानूसनी सीजन में भारी बारिश होने से संभावित बाढ़ की आशंका बढ़ जाएगी। यह स्थिति तब बनी है जब वर्तमान अल नीनो चक्र, जिसकी वजह से देश के कुछ हिस्सों में बारिश कम हुई है, तथा अब इसका असर समाप्त होना शुरू हो गया है।

ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञान ब्यूरो (बीओएम) ने कहां है कि जबकि अल नीनो अपने अंत के करीब है, सात में से तीन अंतरराष्ट्रीय मॉडल अब सर्दियों के अंत तक ला नीना की भविष्यवाणी कर चुके हैं।

देश में ला नीना का खतरा बढ़ा, बाढ़ की आशंका

यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (सीपीसी) का अनुमान है कि जून और अगस्त के बीच ला नीना बनने की 62 फीसदी संभावना है, जो दो सप्ताह पहले के अनुमानों से 7 फीसदी अधिक है।

सीपीसी की रिपोर्ट के अनुसार अल नीनो से ईएनएसओ-न्यूट्रल में अप्रैल से जून 2024 सीजन तक होने की उम्मीद है जबकि ईएनएसओ-न्यूट्रल मई से जुलाई 2024 तक बना रहेगा। जून-अगस्त में ला नीना की स्थिति अनुकूल होती है तथा अक्टूबर-दिसंबर में इसकी संभावना बढ़ जाती है।

अधिकांश जलवायु मॉडल का अनुमान है कि अल नीनो मार्च से मई 2024 तक बना रहेगा तथा अप्रैल से जून 2024 में ईएनएसओ तटस्थ स्थिर में बदल जाएगा। कई मॉडल जून से अगस्त 2024 के दौरान ला नीना की स्थितियों में बदलाव का संकेत देते हैं।

ला नीना की यह संभावित वापसी भारत के लिए चिंताजनक है, क्योंकि ला नीना की स्थिति से असामान्य रूप से भारी वर्षा और बाढ़ आ सकती है। जून 2023 से मौजूद वर्तमान अल नीनो के कारण पहले ही भारत के कम से कम एक चौथाई हिस्से में कम वर्षा हुई थी, जिससे मानसून और सर्दियों का मौसम भी प्रभावित हुआ।

विशेषज्ञों का कहना है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में नकारात्मक उपसतह तापमान विसंगतियों का विस्तार हुआ है, यह विकास अक्सर ला नीना के गठन से जुड़ा होता है।

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