wheat price : नई ऊंचाई पर पहुंचे गेहूं के भाव, रोटी हो गई महंगी
My job alarm (wheat price hike) : त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है। इस सीजन में जहां कई चीजों के दामों में बढ़ोतरी होती है, उसी का प्रभाव गेहूं के दामों पर भी पड़ा है। इस कारण से अब रोटी महंगी होने से इसका सीधा असर रसोईघर के बजट पर तो पड़ेगा ही, बाकी घरेलू बजट भी प्रभावित होगा। प्रति क्विंटल गेहूं के दामों में बढ़ोतरी की बात करें तो ये करीब 200 रुपये से भी अधिक बढ़ गए हैं। अब एक क्विंटल गेहूं का रेट 3100 रुपये (Gehun ka taja bhav)से भी ऊपर पहुंच गया है। आने वाले समय में गेहूं के रेट और हाई हो सकते हैं।
एक क्विंटल गेहूं 3100 रुपये से पार
श्राद्ध पक्ष लगते ही गेहूं के दामों में (gehun ka aaj ka rate)भारी बढ़ोतरी हुई है। आलम यह है कि सरकारी नियंत्रण के बाद भी गेहूं के दामों पर लगाम नहीं लग रही। केंद्र सरकार ने गेहूं का स्टॉक करने पर रोक लगाई हुई है। एक लिमिट से ज्यादा इसका स्टॉक नहीं किया जा सकता। व्यापारियों को रेगुलर इसके स्टॉक की जानकारी देनी होती है। इस व्यवस्था के बावजूद दो महीनों में ही गेहूं के रेट आसमान छू गए हैं। इसमें 200 रुपये से भी अधिक प्रति क्विंटल के हिसाब से बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल दिल्ली की थोक मंडी में गेहूं के दाम 3100 रुपये (wheat price in Delhi) प्रति क्विंटल को पार कर गए हैं।
अभी और बढ़ सकते हैं दाम
जानकारों के अनुसार संभावनाएं तो ये भी जताई जा रही हैं कि अब त्योहारी सीजन में गेहूं की मांग में और बढ़ोतरी होगी। इससे गेहूं के दामों में और बढ़ोतरी होगी। दिल्ली फ्लोर मिल्स एसोसिएशन के पदाधिकारी राजीव गोयल के अनुसार अगर बाजार में गेहूं की आवक नहीं हुई तो दीपावली तक गेहूं के दाम (Delhi me gehun ke bhav)सातवें आसमान पर जा सकते हैं। ये रेट 3500 रुपये प्रति क्विंटल को भी पार कर जाएंगे। इससे आगे दिसंबर में भी यही स्थिति रहती है तो ये दाम 4000 रुपये क्विंटल से ज्यादा का आंकड़ा भी छू सकते हैं। दिसंबर में शादियों का सीजन भी चरम पर होगा। उधर गेहूं की नई आवक मंडी में आने में अभी काफी समय है।
अब व्यापारियों को है यह इंतजार
अगर गेहूं के बढ़ते दामों पर काबू पाना है तो सरकार को ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के जरिए गेहूं की बिक्री करनी चाहिए। दिल्ली फ्लोर मिल्स एसोसिएशन के पदाधिकारी राजीव गोयल का कहना है कि अगर OMSS के अनुसार तय रेट पर गेहूं बाजार में आएगा तो इससे गेहूं के दामों में बढ़ोतरी(Gehun ka aaj ka bhav) पर लगाम लगेगी। गेहूं की नई फसल आने में अभी 6 महीने का समय है। इतने लंबे समय के लिए गेहूं के दामों पर लगाम कसनी है तो कम से कम बाजार में 100 लाख टन गेहूं ओएमएमएस (Open Market Sale Scheme) के जरिए लाए जाने की जरूरत है।
गेहूं स्टॉक रखने वाले किसानों को हो सकता है फायदा
इस समय बाजार में गेहूं के दाम 3100 रुपये (latest wheat price)प्रति क्विंटल से पार हैं। नई फसल आने में अभी काफी लंबा समय है। ऐसे में वे किसान इस भाव का पूरा फायदा उठा सकते हैं जिन्होंने गेहूं को स्टॉक करके रखा हुआ है। अभी आगे भी गेहूं के भाव बढ़ने के आसार हैं, तो किसान बाजार की चाल देखकर गेहूं बेचने का निर्णय (gehun ke taja daam)ले सकते हैं। हालांकि ये भी संभावनाएं हैं कि सरकार OMSS के जरिए गेहूं बाजार में उतार सकती है, और गेहूं के बढ़ते दामों को नियंत्रित किया जा सकता है। गेहूं का सरकारी स्टॉक भी मौजूद है।
गेहूं के सरकारी स्टॉक की स्थिति
इस साल 267 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद की गई। एक अप्रैल तक सरकार के पास करीब 75 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक था, जो बफर स्टॉक से थोड़ा अधिक था। इस हिसाब से कुल मिलाकर 340 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक सरकार के पास सरकारी खरीद (gehun ka sarkari stock)खत्म होने के बाद था। अभी सरकार को राशन वितरण के लिए 185 लाख मीट्रिक टन गेहूं अलग से जरूरत है। इसे माइनस कर दिया जाए तो सरकार के पास 155 लाख मीट्रिक टन गेहूं का ही स्टॉक बचता है।
गेहूं की नई आवक अभी दूर है, ऐसे में अप्रैल माह तक कम से कम 75 लाख मीट्रिक टन गेहूं बफर स्टॉक के लिए बचाया रखना जरूरी है। स्थिति यह है कि OMSS के जरिए भी खुले बाजार में पिछले साल की तरह गेहूं के आने की संभावना नहीं है। ऐसे में गेहूं के दाम और बढ़ सकते हैं।