wheat price : गेहूं भाव में 20 प्रतिशत का बंपर इजाफा, थोक में इतने रुपये क्विंटल पहुंचे रेट
wheat price today : गेहूं के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी रुकने का नाम नहीं ले रही है। नवंबर माह में आई गेहूं के रेट में तेजी को देखते हुए ये अगले महीने तक सातवें आसमान पर पहुंच सकते हैं। संभावना है कि दिसंबर में गेहूं के रेट रिकॉर्ड लेवल को भी पार कर सकते हैं। इस समय गेहूं के थोक भाव (wheat price 22 november) में भी बेहिसाब वृद्धि हुई है। खुदरा रेट तो काफी ज्यादा हो गए हैं। आइये जानते हैं गेहूं के रेट की ताजा स्थिति इस खबर में।

My job alarm -(Wheat price hike) पिछले कुछ दिन से गेहूं के दाम बेलगाम हैं। इनके अभी कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि यह उन किसानों के लिए गुड न्यूज है जो अब तक गेहूं को स्टॉक किए हुए हैं। ऐसे किसान ऊंचे दामों पर गेहूं बेचकर तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। गेहूं के थोक व खुदरा भाव (latest wheat price)में वृद्धि होने से आम उपभोक्ताओं को आटा महंगा पड़ रहा है।
इसका सीधा असर लोगों के बजट पर पड़ रहा है। अभी भी अनेक किसान गेहूं के दाम और बढ़ने की उम्मीद लेकर गेहूं को स्टॉक किए हुए हैं। सरकार की ओर से भी सरकारी गोदामों से मार्केट में सस्ते रेट पर गेहूं नहीं लाया गया है। इससे बाजार में गेहूं की मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पा रही है। व्यापारी सरकार से उम्मीद लगाए हुए हैं कि जल्द ही गेहूं के बढ़ते दामों (gehu ka bhav)पर लगाम लगाई जाएगी।
अब ये हो गया गेहूं का भाव
सरकार की ओर से इस बार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Wheat MSP) 2275 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके बावजूद मंडी में थोक रेट 3000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं। कई जगह तो रेट इससे भी ज्यादा हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में तो गेहूं 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक हैं। यहां गेहूं उत्पादक राज्यों हरियाणा, पंजाब व मध्य प्रदेश से गेहूं न के बराबर भेजा जा रहा है। थोड़ा बहुत गेहूं उत्तर प्रदेश से सप्लाई हो रहा है। बाजार में गेहूं का खुदरा मूल्य तो 3400 रुपये (gehu ka taja bhav)से लेकर 3500 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है। हाल ही में गेहूं के थोक दामों में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। अब आटे के दाम भी 40 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।
रेट कम होने के नहीं आसार
गेहूं के मंडी व बाजार भावों के जानकारों का कहना है कि फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने साल 2024 में अब तक गेहूं को मार्केट में नहीं उतारा है। सरकार की ओर से अगस्त, सितंबर में सरकारी गोदामों से मार्केट में सस्ते रेट में गेहूं (wheat price news)उतारे जाने की करने की बात कही गई थी, पर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। इसलिए रेट बढ़ते जा रहे हैं। बाजार में गेहूं का स्टॉक कम बचा है, इसलिए मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो रही है।
इससे बाजार पर दबाव बढ़ रहा है। अगली फसल की आवक में अभी लंबा समय है, इसलिए रेट कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे। इस समय विदेशों से गेहूं मंगवाने पर 40 प्रतिशत तक कस्टम ड्यूटी लगाई जा रही है, इससे वहां से भी गेहूं (wheat price update)नहीं आ रहा है, क्योंकि यहां तक आते-आते वह भी लगभग इसी रेट में पड़ता है। गेहूं से इंपोर्ट ड्यूटी कम करने पर गेहूं के दामों पर लगाम लग सकती है व आटे के रेट कम हो सकते हैं। बाजार में गेहूं के खुदरा दाम 35 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं, जो आम लोगों को महंगे पड़ रहे हैं।
कोरोना काल से लगातार बढ़ रहे दाम
साल 2020 में कोरोना महामारी का प्रकोप था। तब गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 1925 रुपये प्रति क्विंटल था और बाजार में 3000 रुपये प्रति क्विंटल के रेट (gehu ka aaj ka bhav)से गेहूं बिक रहा था। कोरोना महामारी के बाद से हर साल बाजार में गेहूं के भाव में लगातार तेजी आई है। इसकी और भी कई वजह बताई जा रही हैं। इनमें गेहूं का कम न्यूनतम समर्थन मूल्य भी शामिल बताया जा रहा है।
गेहूं का उत्पादन कम होना बना बड़ी समस्या
इस बारे में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अब गेहूं (gehu ka bhav)का उत्पादन बढ़ने के बजाय कम हो रहा है। बढ़ती जनसंख्या व मांग के अनुसार उत्पादन भी बढ़ना चाहिए, लेकिन कई कारणों से गेहूं की उपज कम हो रही है। शोधों को बढ़ावा न देना भी गेहूं के कम उत्पादन का कारण है। अब ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ने लगी है, इसलिए तापमान व गर्मी बढ़ने से गेहूं की फसल की बिजाई में देरी हो रही है। गेहूं को ठंडे मौसम में बोया जाता है, ताकि सही ग्रोथ हो सके। यह कम तापमान में सही से उपज देती है। इस बार भी कई राज्यों में गेहूं (gehu ka taja rate)की बिजाई में देरी होने की संभावना है। इसके लिए ठंडा मौसम न मिलने से गेहूं की बालियां सूख जाती हैं। कई राज्यों में खाद व बीजों का प्रबंधन भी प्रभावित है। इनकी किल्लत बनी हुई है। इसका असर उत्पादन पर पड़ता है।
कृषि उद्योग में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत
गेहूं के अधिक उत्पादन के लिए कृषि उद्योग में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत है। अगर नवंबर में भी तापमान अधिक रहता है या गेहूं की फसल के अनुकूल नहीं है तो इसके लिए किसानों को बुवाई में पांच किलो प्रति एकड़ बीज अधिक डालना होगा। अब गेहूं का बीज भी पहले की तुलना में महंगा हो गया है । यह बाजार में 90 रुपये किलो के आसपास मिल रहा है। अधिक उपज देने वाली गेहूं की उन्नत किस्में (top varieties of wheat) लोकवन, पीवीडब्ल्यू 343, पीवीडब्ल्यू 502, एचडी 2967 बीज केंद्रों पर किसानों को मिल ही नहीं रही। रोगरोधी व उन्नत किस्मों के बीजों की उपलब्धता को बढ़ाना होगा ताकि अधिक उत्पादन लिया जा सके। इनके अभाव में किसान अन्य बीजों की बिजाई करते हैं तो उत्पादन कम होता है तथा फसल रोगों की चपेट में आने का डर भी रहता है।
यह है राहत की बात
अब तक सरकार ने सस्ते रेट पर सरकारी गोदामों (gehu ka sarkari rate)से गेहूं मार्केट में नहीं उतारा था। न ही आटे के दामों पर लगाम कसने के लिए कोई कदम उठाया था। अब जल्द ही सरकार इस दिशा में कदम उठा सकती है। सरकार अब आटे के दाम कम करने को पूरी तरह तैयार है। रोलर फ्लोर मिल्स से जुड़े जानकारों का कहना है कि सरकार ने सस्ते दामों पर मार्केट में भारत आटा उतारा है। अब सरकार ने खुले बाजार के जरिये गेहूं उपलब्ध कराने की बात कही है। इससे गेहूं व आटे के बढ़ते रेट नियंत्रित होंगे और व्यापारियों व आम लोगों को राहत मिलेगी। बाजार पर भी गेहूं व आटे की मांग (wheat and flour rate today) का दबाव बढ़ रहा था, क्योंकि मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। अब यह समस्या दूर होगी।