Wheat Price : 9 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचे गेहूं के भाव, चेक करें आज के रेट
My job alaram (wheat price) - गेहूं के बढ़ती कीमतें थमने का नाम नहीं ले रही है। लगभग 8 महीनों में गेहूं की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। ऐसे में आशंका है कि आने वाले त्योहारी सीजन के दौरान गेहूं की कीमत (Wheat rate) में और अधिक बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं, एक्सपर्ट के मुताबिक, जब तक सरकार सरकारी गोदामों से गेहूं का स्टॉक (Wheat Stock) जारी नहीं करेगी, तब तक कीमतों में गिरावट की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस वजह से आम जनता को आने वाले दिनों में महंगाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
आटा मिल मालिक ने बताया कि थोक मंडियों में गेहूं की सप्लाई धीरे- धीरे कम होने लगी है। जिसका सीधा असर रिटेल मार्केट (Retail Market) के ऊपर भी पड़ा है। अगर गेहूं की कुल आपूर्ति की बात करें, तो इसकी स्थिति पिछले साल से भी काफी खराब है। अगर यही स्थिति रही तो धीरे-धीरे मार्केट में गेहूं की किल्लत (Wheat shortage) हो जाएगी. इसलिए महंगाई से निजात (Relief from inflation) दिलाने के लिए सरकार तो तुरंत अपने स्टॉक से गेहूं को खुले मार्केट में जारी करना चाहिए।
पिछले 5 महीने में इतना महंगा हुआ गेहूं
अप्रैल गेहूं के दाम में 24 हजार रुपये प्रति मीट्रिक थे, जो अब बढ़कर 28 हजार रुपये प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गए हैं। पिछले साल सरकार ने जून में ही अपने भंडार से गेहूं बेचना शुरू किया था। खास बात यह है कि सरकार ने जून 2023 से मार्च 2024 के बीच अपने स्टॉक से करीब 100 लाख मीट्रिक टन रिकॉर्ड गेहूं बेचा था। इससे आटा मिलर्स, बिस्किट (Biscuit) बनाने वाली कंपिनयों और थोक खरीदारों को काफी सस्ती कीमतों पर गेहूं की आपूर्ति हुई।
गेहूं पर आयात शूल्क हटाने की मांग
बड़े व्यापारियों का कहना है कि अगस्त महीना खत्म होने को है. लेकिन सरकार ने अभी तक अपने सरकारी भंडार से गेहूं जारी करने का काम शुरू नहीं किया है. इसके चलते भी गेहूं की कीमतों (Wheat Price Hike) में बढ़ोतरी हो रही है। जून में रॉयटर्स ने एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए बताया कि भारत ने शुरू में जुलाई से अपने राज्य के भंडार से थोक उपभोक्ताओं को गेहूं बेचने की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें देरी हुई और इसके बाद इसकी योजनाओं पर कोई अपडेट नहीं आया है।
वहीं, कर्नाटक के एक अन्य आटा मिल मालिक ने कहा कि सरकार को अपने भंडार से कुछ स्टॉक खाली करने में अब और देरी नहीं करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों से आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए 40 प्रतिशत गेहूं आयात कर भी हटाना चाहिए।
6.26 प्रतिशत कम हुई गेहूं की खरीद
अक्तूबर महीने में में दशहरा तो नवंबर में दिवाली जैसे बड़े पर्व हैं। इस दौरान गेहूं की मांग (Wheat Demand) आमतौर पर बढ़ जाती है। डीलर ने कहा कि सरकार गेहूं की बिक्री में देरी कर रही है, क्योंकि उसके पास अप्रैल में अगली फसल शुरू होने तक बाजार में हस्तक्षेप (Market intervention) के लिए सीमित स्टॉक है। 1 अगस्त को सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक (Wheat stock) 262 लाख मीट्रिक टन से अधिक था, जो एक साल पहले की तुलना में करीब 4.5 प्रतिशत कम है। ऐसे भी इस साल गेहूं की खरीद 112 मिलियन मीट्रिक टन के सरकारी अनुमान से 6.26 प्रतिशत कम ही हुई है।
आज का गेहूं का भाव (wheat price today)
वर्तमान में ही गेहूं का औसत भाव (wheat average price) 2650 से 2850 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी दक्षिण भारत की फ्लोर मिलर्स को हो रही है। उन्हें माल की आपूर्ति उत्तर भारत से होती है। उनके लिए ताजा सौदे बहुत महंगे हो रहे हैं। त्योहारी सीजन में गेहूं के दाम में और भी तेज होने की संभावना है। यदि सरकार ने अपने गोदामों में रखा गेहूं का स्टाक जल्द से जल्द बाजारों में नहीं उतारा तो खुले बाजारों में गेहूं के दाम (wheat rate) 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल को पार कर जाएंगे।