wheat price : 58 रुपये किलो पहुंचे गेहूं के दाम तो सरकार ने लिया बड़ा फैसला
wheat price hike : गेहूं के रेट में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने आम जनता की चिंता बढ़ा दी है। अब लोगों को रोटी तक खाना महंगी पड़ रही है। इस बार गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार होने के बावजूद इसके दाम में आए दिन वद्धि हो रही है। ऐसे में अब खुदरा बाजार में गेहूं की बढ़ती कीमतों (wheat rate) पर काबू पाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं
My job alarm (wheat price) : महंगाई की मार ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीजों रेट में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। वहीं, इस बार गेहूं के दाम (wheat price hike) रिकॉर्ड बना रहे हैं। गेहूं की कीमतें बढ़ने से ओटे के भाव सातवें आसमान पर जा पहुंचे हैं, जिससे आम लोगों की रसोई का बजट बिगड़ गया है। प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के मुताबिक अनुसार 23 सितंबर को गेहूं के आटे का अधिकतम दाम (wheat flour price) 67 रुपये प्रति किलो और न्यूनतम दाम 30 रुपये प्रति किलो रहा। दिल्ली में आज आटा का भाव 35, जम्मू-कश्मीर में 45, हरियाणा में 34, उत्तर प्रदेश में 36 और महाराष्ट्र में 44.53 रुपये प्रति किलो रहा। लेकिन अब केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है।
गेहूं को लेकर सरकार का फैसला
गेहूं की जमाखोरी व सट्टेबाजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने दाल के बाद अब गेहूं पर भी नई स्टॉक सीमा (Wheat new stock limit) लगा दी है। सरकार का यह आदेश सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में तत्काल प्रभाव से अगले वर्ष यानी 31 मार्च 2025 तक लागू होगा। सरकार गेहूं की कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है, ताकि इसका दाम न बढ़े। दरअसल, इस साल गेहूं (wheat prices) की अच्दी पैदावार हुई है लेकिन फिर भी इसके दाम लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं, जिससे सरकार चिंतित है। अब उसने जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक लिमिट को संशोधित कर दिया है। रबी 2024 के दौरान कुल 1129 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन दर्ज किया गया, जबकि मांग करीब 1000 लाख टन की ही है।
आदेश का उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई
सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा और हर शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करना होगा। कोई भी संस्था जो पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराती है या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी ने आदेश में कहा है कि अगर किसी भी संस्था के पास तय की गई सीमा से अधिक स्टॉक है तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिन में निर्धारित स्टॉक लिमिट (Wheat Stock Limit) तक लाना होगा। केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की कोई कृत्रिम कमी न पैदा हो।
कहां पहुंचा गेहूं और आटा का दाम
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन (Price Monitoring Division of the Ministry of Consumer Affairs) के अनुसार 23 सितंबर को देश में गेहूं (wheat latest rate) का औसत दाम 31.06 रुपये, अधिकतम 58 और न्यूनतम 22 रुपये प्रति किलो रहा। जबकि इसकी एमएसपी 22.75 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह गेहूं के आटे का दाम भी आसमान पर पहुंच गया है। देश में आटा (wheat flour price) का औसत दाम 35.97 प्रति किलो रहा। इसलिए सरकार परेशान है। सरकार कहीं न कहीं यह मानकर चल रही है कि जमाखोरी की वजह से दाम बढ़ रहा है। बहरहाल, देखना यह है कि सरकार के इस फैसले से गेहूं और आटे का दाम (wheat and flour rate) घटता है या नहीं।
सरकार ने लिए कई बड़े फैसले
इस बार गेहूं की कीमतें (wheat prices) ही नहीं बासमती और प्याज के दाम (onion price) भी आसमान छू रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों के अलावा बासमती और प्याज के दामों को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। इस पर लगाए गए 550 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) की शर्त को हटा दिया गया है। प्याज के साथ-साथ केंद्र सरकार ने बासमती चावल को लेकर भी इसी तरह का फैसला लिया है। बताया गया है कि बासमती चावल (basmati rice prices) पर लगी 850 डॉलर प्रति टन की MEP भी हटा ली गई है।