My job alarm

wheat price : गेहूं के भाव में बंपर इजाफा, इस कारण बढ़ रहे हैं रेट, रिपोर्ट में लगा पता

wheat price today : नवंबर माह की शुरुआत से ही गेहूं के दामों में बंपर बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि यह बढ़ोतरी दिवाली से पहले ही शुरू हो गई थी जो निरंतर जारी है। फिलहाल गेहूं का भाव (wheat price 17 november) सातवें आसमान पर है। दिसंबर में ब्याह-शादी के सीजन के कारण ये और अधिक होने की संभावना है। सरकार गेहूं के लगातार बढ़ रहे भावों पर नियंत्रण का प्रयास कर रही है लेकिन ये नाकाफी साबित हो रहे हैं।

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wheat price : गेहूं के भाव में बंपर इजाफा, इस कारण बढ़ रहे हैं रेट, रिपोर्ट में लगा पता

My job alarm - (wheat price hike): गेहूं के दामों में हो रही लगातार बढ़ोतरी से खासकर उन किसानों के लिए बड़ी सौगात है जिन्होंने गेहूं को स्टॉक करके रखा हुआ है। ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊपर अपना गेहूं बेचने का मौका मिल रहा है। इससे वे जबरदस्त मुनाफा भी कमा रहे हैं। गेहूं के बढ़ते भावों (wheat price update) का किसानों को तो फायदा मिल रहा है लेकिन आटे के रेट बढ़ने के कारण उपभोक्ताओं पर यह भारी पड़ रहा है। इसी कारण सरकार इस प्रयास में है कि जल्द से जल्द गेहूं के अनियंत्रित होते जा रहे दामों पर लगाम (gehun ka taja bhav) कसी जाए। इसके बावजूद रेट बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके पीछे बड़ा कारण सामने आया है, आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

गेहूं के दाम बढ़ने के ये हैं मुख्य कारण


देशभर की मंडियों में तो फिर भी गेहूं के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (gehun ka MSP) के आसपास ही ट्रेड कर रहे हैं लेकिन बाजारों में गेहूं के भाव (gehun ka taja bhav) सातवें आसमान पर हैं। इस समय ग्रामीण इलाकों में भी गेहूं का भाव  25 रुपये प्रति किलो तक हो गया है। शहरी इलाकों की बात करें तो यहां महंगाई और भी ज्यादा है। यहां गेहूं और आटे के रेट में काफी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इससे रोटी भी महंगी हो गई है।

 यहां गेहूं की मांग के अनुसार आपूर्ति ही नहीं हो पा रही। बताया जा रहा है कि अभी अनेक किसान गेहूं को भाव (gehun ka aaj ka bhav) और बढ़ने के चक्कर में स्टॉक किए हुए हैं। इसी कारण गेहूं के भाव आसमान को छू रहे हैं। गेहूं के लगातार बढ़ते भावों के पीछे एक और  बड़ी वजह यह सामने आ रही है कि सरकार की ओर से सस्ते रेट में स्टॉक का जारी नहीं किया गया है। जानकारों के अनुसार सरकारी गोदामों से गेहूं नहीं आ रहा, इस कारण मांग बढ़ी है और आपूर्ति नहीं हो पा रही है। 


नहीं लग रही बढ़ते दामों पर लगाम


अभी गेहूं की नई आवक में भी काफी समय लगेगा,इसलिए संभावना जताई जा रही है कि गेहूं के दाम और बढ़ेंगी। यह बढ़ोतरी तब तक जारी रह सकती है जब तक नया गेहूं मंडियों में नहीं आ जाता। इसके अलावा सरकार जब तक सस्ते रेट में गेहूं (wheat rate today) अपने सरकारी गोदामों से बाजार में नहीं उतारेगी तो गेहूं के बढ़ते भाव पर लगाम असंभव है। दिसंबर में तो ब्याह शादी के सीजन में गेहूं की मांग और बढ़ सकती है, इसका प्रभाव गेहूं के दामों पर पड़ सकता है। दिसंबर में गेहूं व गेहूं के आटे के दाम सातवें आसमान पर जा सकते हैं। ये अपने ऑल टाइम हाई के रिकॉर्ड पर भी पहुंच सकते हैं।


अक्टूबर के बाद भाव में आई और तेजी


गेहूं के दामों में दिवाली से पहले भी बढ़ोतरी जारी थी। अक्टूबर माह में खुदरा महंगाई दर पर पूरा असर देखा गया। नवंबर माह में तो गेहूं के दामों (gehun ka aaj ka rate) में आग ही लग गई। अक्टूबर में यह महंगाई दर पिछले 14 महीने के रिकॉर्ड को पार कर गई थी। अब तो खाने-पीने की चीजों से लेकर लगभग ही चीज पर असर देखा जा रहा है। आटा, गेहूं व सब्जियों के बढ़ते दामों ने महंगाई दर को बढ़ा दिया है। 

मांग के अनुसार नहीं हो पा रही आपूर्ति


गेहूं की इस समय बाजार में मांग बढ़ती ही जा रही है। मांग के अनुरूप आपूर्ति ही नहीं हो पा रही। इस कारण गेहूं के रेट बढ़ रहे हैं। गेहूं को स्टॉक करके रखने वाले किसान कम कीमतों पर गेहूं बेचने को तैयार नहीं हैं। इसी कारण इस बार गेहूं की आवक भी कम रही। अगर सरकार की ओर से स्टॉक किए गए गेहूं को सस्ते बाजार में उतारा जाए तो गेहूं के बढ़ते दामों (gehun ke taja daam)पर लगाम लग सकती है। इससे पहले पिछले साल भी ऐसा ही करना पड़ा था। सरकार ने  व्यापारियों और मिल मालिकों के गेहूं को स्टॉक करने की लिमिट कम कर दी थी ताकि बाजार में गेहूं की पूरी आपूर्ति हो और रेट भी कम हों। इसका आंशिक असर पड़ा था। इस बार भी कुछ ऐसा ही करना होगा। 


अब इतना है प्रति क्विंटल गेहूं का भाव


व्यापारियों व मिल मालिकों के लिए गेहूं की कम से कम स्टॉक लिमिट तय करने के बाद भी गेहूं के दाम सातवें आसमान पर हैं। ये लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर में गेहूं का भाव लगभग 30,000 रुपये (Mp me gheun ka bhav) प्रति मीट्रिक टन चल रहा है। इसी साल अप्रैल में भाव 24,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन थे। कुछ ही माह में 5 हजार से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हैरान कर रही है। यहां पिछले सीजन की फसल के लिए एमएसपी 22,750 रुपये मीट्रिक टन था। इसके बावजूद यहां पर गेहूं के भाव इससे ज्यादा रहे। देश में कई जगह गेहूं के भाव (wheat price in MP)इस समय 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं। 

अभी और बढ़ेंगे दाम


किसानों और व्यापारियों के अनुसार जब तक नए सीजन की गेहूं की फसल बाजार में नहीं आ जाती, तब तक गेहूं के दाम गिरने की संभावनाएं नहीं हैं। ये तब तब बढ़ोतरी पर जाने की संभावना बनी रहेगी। नई आवक में अभी मार्च-अप्रैल तक का समय लगेगा। दूसरी ओर थोक खरीदार दबाव में हैं। उन्हें अपने कारोबार के लिए गेहूं ऊंचे रेट (wheat rate 17 november)पर खरीदना पड़ रहा है। उनकी मांग है कि सरकार को जल्द से जल्द गेहूं का स्टॉक जारी करे ताकि गेहूं के दामों पर लगाम लगे। 

पिछली बार ऐसे लगी थी भावों पर लगाम


अगर पिछले साल गेहूं के भावों पर रोकथाम की बात करें तो सरकार ने जून में अपने स्टॉक (sarkar ke pas gehun ka stock)से गेहूं बेचना शुरू कर दिया था। इस बार अब तक यह कदम न उठाए जाने से गेहूं के भाव ज्यादा चढ़ गए। सरकार ने जून 2023 से लेकर मार्च 2024 के बीच अपने स्टॉक से करीब 100 लाख टन गेहूं बेचा था। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड था। इससे आटा मिलर्स और बिस्किट निर्माताओं सहित अन्य  थोक खरीदारों को सस्ते रेट पर गेहूं मिलने लगा था। ये इस बार भी सरकार की ओर से जल्द ही कुछ ऐसा ही कदम उठाए जाने की उम्मीद व मांग कर रहे हैं। 

सरकार के पास नहीं गेहूं का पर्याप्त स्टॉक 


कुछ जानकारों का कहना है कि सरकार के पास गेहूं (wheat price latest)का पर्याप्त स्टॉक नहीं है। इसलिए सरकार इसे बाजार में उतारने में देरी कर रही है ताकि नई आवक का समय कम से कम रहे। नवंबर की शुरुआत में राज्य के गोदामों में गेहूं का स्टॉक 220 लाख टन के आसपास था, जो पिछले पांच साल के औसतन 320 लाख टन गेहूं से 100 लाख टन कम है। यह स्थिति चिंतनीय है। ऐसे में गेहूं के दाम (wheat latest price) गिरने की संभावना फिलहाल कम ही है।

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