Wheat : अब गेहूं की इस किस्म से 2 टन बढ़ जाएगी पैदावार, किसानों की कमाई होगी डबल
Wheat : इस बार गेहूं के दामों में लागतार बढ़ौतरी देखी जा रही है। फिलहाल गेहूं के दाम न्यूनत्तम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहे है। केंद्र सरकार की ओर से गेहूं का एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल (Wheat MSP) तय किया गया था। अब गेहूं के रेट 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए है। गेहूं की खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। इस बार गेहूं की पैदावार भी अच्छी हुई है। इसी बीच किसानों के लिए एक और गुड न्यूज है। कृषि विशेषज्ञों ने गेहूं की नई किस्म (Wheat variety) तैयार की है। जिससे किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा।
My job alarm ( Wheat new variety) : इस साल तापमान सामान्य से अधिक रहने वाला है। फसलों पर इसका सीधा असर पड़ता है। ऐसे में वैज्ञानिक इस खतरे को देखते हुए लगातार नई शोध कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को चिंता इस बात की है कि कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण फसलों की पैदावार में भी भारी गिरावट आ सकती है।
इसी कारण भारत की सबसे पुरानी और बड़ी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में से एक सीएसए ने गेहूं की ऐसी नई किस्म तैयार की है जोकि 70 प्रतिशत कम पानी के बावजूद भी उगने में सक्षम है। इस बारे में यूनिवर्सिटी के वीसी कहा कहना है कि गेहूं प्रमुख फसलों (Wheat Crop) में से एक है। 2030 तक भारत में प्रति व्यक्ति गेहूं की खपत लगभग 75 किलो रहने का अनुमान है। जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है, ऐसे में 2050 तक गेहूं की मांग करीब 150 मिलियन टन पहुंच जाएगी।
आए साल बढ़ते तापमान और ग्लोबल वार्मिंग के कारण फसलों को पर्याप्त पानी देना बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे में यूनिवर्सिटी में गेहूं की ऐसी किस्म तैयार की है जो कि कम पानी में भी बंपर पैदावर देगी। कृषि जानकार इस पर लगातार शोध कर रहे है। गेहूं की ये नई किस्म सिर्फ दो सिंचाई में ही पककर तैयार हो जाएगी।
2 टन से बढ़ जाएगी गेहूं की पैदावार
इस गेहूं की किस्म को तैयार करने में ट्रेडिशनल तकनीक का इस्तेमाल किया है। इसमें K0307 और K9162 किस्मों के बीजों को क्रॉस ब्रीडिंग से तैयार किया है। इस किस्म की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में 4 महीने का समय लगता है। फिलहाल देश में हेक्टेयर 3.4 टन पैदावार होती है। लेकिन इस किस्म से गेहूं की पैदावार (wheat production) बढ़कर प्रति हेक्टेयर 5.5 टन तक पहुंच जाएगी।
इससे गेहूं की खेती करने वाले किसानों की आय भी बढ़ेगी। गेहूं की ये नई किस्म बेहद कम नाइट्रोजन वाले उर्वरक में भी उगने में सक्षम है। जो इसे अपने समकक्षों से अलग करता है। कम पानी के बावजूद बंपर पैदावर के अलावा बेमौसम बारिश और ओलों का भी इसपर कम असर पड़ता है और खराब होने का खतरा कम होता है।