Wheat : 8 साल बाद गेहूं की नई किस्म विकसित, मिलेगा बड़ा फायदा
Wheat : भारत में सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। गेहूं के कुल उत्पादन (wheat total production) में इस राज्य का योगदान करीब 31 फीसदी है। दसूरे नंबर पर आता है मध्यप्रदेश। यहां देश का करीब 18 फीसदी गेहूं होता है। तीसरे नंबर पर पंजाब है। यहां 16 फिसदी गेहूं (Wheat) होता है। फिर नंबर आता है हरियाणा का, यहां देश का करीब 12 प्रतिशत गेहूं पैदा होता है। इसके बाद राजस्थान का नंबर है जहां करीब 9 फीसदी गेहूं का उत्पादन होता है। इसके बाद बिहार, गुजराज, महाराष्टका नंबर आता है। यहां 3 से 4 प्रतिशत गेहूं पैदा होता है।
My job alarm (Wheat) : मौसम में बदलाव और लगातार बढ़ते तामान की वजह से गेहूं उत्पादन (wheat production) पर बड़ा असर पड़ता है। इस साल फरवरी और मार्च में सामान्य से अधिक तापमान होने की संभावना है। इससे सबसे ज्यादा असर गेहूं की फसल (wheat crop) पर पड़ेगा। इस बार गेहूं की उपज काफी कम हो सकती है। पिछले कुछ सालों से लगातार तापमान में बढ़ौतरी देखने को मिल रही है और गेहूं को इससे काफी नुकसान भी हो रहा है। लेकिन, अब भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की एक नई किस्म (wheat new variety) विकसित की है। पूसा गेहूं गौरव नाम से विकसित किए गए इस उन्नत किस्म वाली गेहूं की विदेशों में भी खूब मांग है। इसकी खासियत इतनी है कि इसे ग्लोबल मार्केट में काफी पसंद किया जाता है।
हाल में ही प्रधानमंत्री ने फसलों की 109 उन्नत किस्मों को देश को समर्पित किया था। इसमें शामिल पूसा गेहूं गौरव (एचआई 8840) देशी-विदेशी पकवानों के पैमानों पर खरा उतरा है। ड्यूरम गेहूं की इस नई प्रजाति (wheat variety) को कुछ इस तरह विकसित किया गया है कि इससे उम्दा चपाती और पास्ता, दोनों बनाया जा सकता है। इसे आईसीएआर प्रमुख और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जंग बहादुर ने विकसित किया है। इस पर पिछले 8 साल से काम चल रहा था।
खाने में भी बेहतर
ड्यूरम गेहूं (wheat) की आम प्रजातियों के आटे से चपाती बनाने में दिक्कत पेश आती है लेकिन पूसा गेहूं गौरव के साथ ये दिक्कत नहीं है। इसके आटे में पानी सोखने की क्षमता ड्यूरम गेहूं की आम प्रजातियों के मुकाबले अधिक है।
इस कारण इस गेहूं की रोटियां मुलायम बनती हैं। इसमें येलो पिगमेंट के ऊंचे स्तर और इसके कड़े दाने के कारण इससे बेहतरीन गुणवत्ता का पास्ता भी तैयार किया जा सकता है।
ये गेहूं सूखा गर्मी सब झेलेगी
पूसा गेहूं (wheat) गौरव में प्रोटीन , आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व हैं। गेहूं की ये किस्म जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए विकसित की गई है। सामान्य से कम पानी और अधिक तापमान पर भी ये बढ़िया पैदावार देगी। सिंचाई की सीमित सुविधाओं में इस प्रजाति की औसत उत्पादन क्षमता करीब 31 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वहीं, अधिकत्तम पैदावार 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होगी।