Sarso tel rate : सरसों तेल के भाव में बड़ी गिरवाट, आवक कम होने के बाद भी गिर रहे रेट
Sarso tel rate : मंडियों में अब सरसों की आवक बेहद कम रह गई है। 80 से 90 प्रतिशत किसान अपनी फसल बेच चुके हैं। सीजन के शुरूआत से ही सरसों के भाव काफी कम चल रहे हैं। इसके कारण ही सरसों तेल के रेट में भी लगातार गिर दर्ज की जा रही है। आज भी सरसों तेल के भाव (Mustard Oil Price) में गिरावट दर्ज की गई। वहीं मूंगफली(Purchase) काफी कम हैं। एक्सपर्ट्स ने बताया कि मेलशिया और शिकागो के एक्सचेंज में गिरावट हो रही है। जिसके कारण सरसों तेलों (sarso tel rate) के दाम सस्ते हो गए हैं।
My Job alaram (sarso tel) : मंडियों में सरसों की आवक में कमी के बाद भी तेलों के थोक के दाम (wholesale prices of oils) में कमी के कारण खाद्य तेलों की कीमत (Price of Edible Oil) में गिरावट देखी गई है। महंगे दाम की वजह से कमजोर कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर ही बंद हुए।
बाजार जानकारों का कहना है कि मलेशिया और शिकागो के एक्सचेंज में गिरावट हो रही है. जिसके कारण तेलों के दाम सस्ते हो गए हैं।
कारोबारियों की बिगड़ी धारणा
- बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों के केवल थोक दाम के सस्ता होने की वजह से बाजार के कारोबारियों (Market traders) की टेंशन भी बढ़ी है.
- तेल-तिलहनों की कीमतों में दबाव बना हुआ हैं। त्योहारों के कारण तेलों की मांग में भी बढ़ोतरी हो रही और खपत में भी.
- देशी तेल-तिलहनों की एमएसपी (Minimum Support Price) के हिसाब से लागत इन आयातित तेलों से काफी महंगा होने से इन देशी तेलों के लिवाल (Purchase) काफी कम हैं।
नहीं जमा कर पा रहे तेल के स्टॉक
कारोबारियों की आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई है कि वे किसी खाद्य तेल का स्टॉक (Edible Oil stock) जमा नहीं रख पा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि सरसों के आवक में भी कमी दर्ज हुई है. आवक 2.60 लाख बोरी से घटकर लगभग दो लाख बोरी हो गई. जिसके चलते कारोबारियों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई.
जानकारों का कहना है कि देश में भले ही तिलहन की पैदावार बढ़ भी जाए, लेकिन पीछे दो सालों पुराना सरसों के स्टॉक के बचे होने के कारण उसका ज्यादा लाभ नहीं होगा. विदेशों में डी-आयल्ड केक (De-Oiled Cake) का उत्पादन भी बढ़ रहा है.
सूत्रों ने कहा कि ऐसी तिलहन पैदावार बढ़ाकर भी क्या फायदा होगा जब पिछले लगभग दो साल पुराना सरसों (Mustard Price) का स्टॉक अब भी बचा रह जाये। विदेशों में पैदावार और उत्पादकता अधिक होने से वहां डी-आयल्ड केक (डीओसी) का उत्पादन भी खूब है। डीओसी बिक्री से प्लांट वालों को फायदा होता है और वे देश के किसानों की सोयाबीन खरीदने में रुचि लेते हैं। लेकिन मौजूदा परिस्थिति में महंगा होने की वजह से देशी डीओसी का भी खपना मुश्किल है।
इस प्रकार रहे तेल-तिलहनों के भाव
सरसों पक्की घानी- 1775 से 1895 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1780 से 2000 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10510 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों तिलहन - 5900 से 5960 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6425 से 6710 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15365 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2290 से 2580 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18900 से 21500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9804 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8430 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8765 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9508 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9910 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8995 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,410 से 4450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4320 से 4360 रुपये प्रति क्विंटल।