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गेहूं के बाद अब चने के भाव ने भी बना दिया रिकॉर्ड, 21 दिन में इतने बढ़ गए रेट

gram price increased :  बढ़ती महंगाई के बीच आम लोगों को एक और बड़ा झटका लगा है। गेहूं के बाद चने के भाव में भी बंपर इजाफा हुआ है। चना की कीमतों (gram price) में बढ़ौतरी वजह आवक में कमी और मांग में तेजी को माना जा रहा है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किए आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में करीब 81.61 लाख मीट्रिक टन चना का उत्पादन हुआ है। जबकि देश में चना की खपत 100 लाख टन के करीब है।  2022-23 में 121.65 लाख टन चने का उत्पादन हुआ था। इसी तरीके से गेहूं के भाव (wheat price) भी लगातार बढ़ रहे हैं। 
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gram wheat price : गेहूं के बाद अब चने के भाव ने भी बना दिया रिकॉर्ड

My job alarm - अब त्योहार की सीजन शुरू हो चूका है। इसके बाद आए महीने आपको  कोई न कोई त्योहार मनाने को मिलने वाला है। लेकिन इसी बीच रसोई का बजट (kitchen budget) भी बिगड़ रहा है। हर चीज के रेट लगभग बढ़ रहे है। केवल प्याज, आलू और हरी सब्जियों के रेट ही नही बढ़ रहे है बल्कि दालों आदि के रेट भी बढ़ रहे है।

 

दालों के अलावा गेहूं और चने के रेट (gram rates) भी आसमान छूने को हो गए है। बता दें कि पिछले 3 हफ्तों में चने की कीमतों में भी 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। महंगाई को लेकर अब सरकार की चिंता और भी बढ़ गई है। 


हालांकि, इस बार सरकार त्योहारी सीजन से पहले दालों, खासकर अरहर और चना दाल की आपूर्ति पर भी नजर रख रही है। इसके लिए व्यापारियों के साथ बैठकें भी कर रही है। उसे उम्मीद है कि दशहरा-दिवाली से पहले दलहन की कीमतों में गिरावट (Fall in prices of pulses) आएगी।


हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सरकारी अधिकारी ने अपने बयान में कहा कि उपभोक्ता मामलों के विभाग दाल उद्योग के स्टेकहोल्डर्स के साथ समीक्षा बैठक कर रहा है। इन बैठकों में चना दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा की गई। इसमें खास बात तो ये है कि चना दाल की कीमत में जनवरी से 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों (rising food prices) के कारण भारत की मुख्य मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक हो गई है। देशभर की मंडियों में आज चना का न्यूनतम भाव (gram minimum price) 7800 रुपये और अधिकत्तम भाव (gram maximum price) 8000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 

 


इतना हुआ गेहूं का रेट
इन दिनों गेहूं के रेट (wheat price rise) सातवें आसमान पर पहुंच गए है। अभी सरकार के द्वारा इन्हे कंट्रोल करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। सरकर द्वारा काफी योजना भी बनाई जा रही है। सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से मार्केट में गेहूं की सप्लाई बढ़ जाएगी, जिससे कीमतों में गिरावट आ सकती है। महंगाई का आलम यह है कि जो गेहूं  अप्रैल में 24000 रुपये टन बिक रहा था, अब उसकी कीमत बढ़कर 28200 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई है। 


यहां गौर करने वाली बात ये है कि गेहूं का वर्तमान रेट (current rate of wheat) 9 महीने का उच्चतम स्तर पर है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सितंबर से दिसंबर तक चलने वाले त्योहारी सीजन के दौरान अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ने के कारण स्थिति पर कड़ी नजर रखी जाएगी। जरूरत पड़ने पर सरकार बाजारों में हस्तक्षेप करेगी।


गोदामों में पड़ा 26.8 मिलियन टन गेहूं 
गेहूं के दाम को लेकर अधिकारियों का कहना है कि सितंबर से दिसंबर के दौरान शादियों का सीजन भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा दशहरा और दिवाली जैसे कई त्यौहारें हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं के बीच गेहूं की मांग बढ़ाने की संभावना है। इसके अलावा एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (public distribution system) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, बाजार में हस्तक्षेप के लिए गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होगा।

पिछले साल, भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) ने गेहूं की खुले बाजार में बिक्री की और रिकॉर्ड 10 मिलियन टन बेचा था। हालांकि, 1 अगस्त को सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक 26.8 मिलियन टन था, जो एक साल पहले की तुलना में 4।4 प्रतिशत कम है।

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