My job alarm

sarso tel : सरसों के तेल पर लगा बैन, इस्तेमाल करने वाले जान लें कारण

sarso tel ban :देश में रसोई में बहुत सारे आइटम ऐसे हैं, जो हमारे रोजाना प्रयोग होती है। इसमें, कई तरह के मसाले, तेल और घी आदि शामिल है। सरसों का तेल तो किचन में बहुत जरूरी आइटम है। सरसों के तेल का प्रयोग अनेक प्रकार से किया जाता है। सरसों के तेल (mustard oil) को छोंक लगाने से लेकर पूड़ी तलने, भटूरे तलने आदि तक में किया जाता है। हालांकि कई जगहों पर सरसों के तेल की जगह रिफाइंड (Refind oil) ले चुका है। हालांकि सरसों के तेल बनाम रिफाइंड तेल की जंग भी सालों से चली आ रही है। 

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sarso tel : सरसों के तेल पर लगा बैन, इस्तेमाल करने वाले जरूर जान लें कारण

My job alarm (mustard oil) :  भारतीय रसोई की स्लैब विभिन्न प्रकार के आइट्मस से भरी होती है। भारत में रसोई में इतने प्रकार के आइटम हैं, कि बाहर के लोग कल्पना भी न कर सकें। अलग-अलग स्वाद व सुगंध के लिए मसालों का प्रयोग किया जाता है। अलग अलग खान पान में अलग अलग तेल, घी व अन्य चीजों का प्रयोग किया जाता है। भारतीय मसालों की धूम दुनियाभर में है। मसालों के साथ अलग-अलग तरह का खाना पकाने के लिए अनेक प्रकार के तेलों (mustard oil uses) का प्रयोग किया जाता है। इन्हीं व्यंजनों में एक पदार्थ सबको तीखी मिट्टी की सुगंध से जोड़ता है वो है सरसों का तेल।

 

आम तौर पर हर भारतीय की रसोई का अभिन्न हिस्सा सरसों का तेल है। खाना बनाने के लिए इस तेल का प्रयोग किया जाता है। कोई भी सब्जी हो, सरसों का तेल उसमें सवाद बढ़ा देता है। वहीं नोन वेज के लिए भी सरसों का तेल (mustard oil) एक बहुत जरूरी पदार्थ है। सरसों के तेल को हेल्दी भी माना जाता है। आम तौर पर रिफाइंड ऑयल की बजाय सरसों के तेल के प्रयोग की सलाह दी जाती है। सरसों के तेल को ट्रेडिसन डिस माना जाता है। 

 

लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि भारतीयों की रसोई के अभिन्न अंग सरसों के तेल पर संयुक्त राज्य अमेरिका (mustard oil ban) में बैन है। चौंक गए ना, लेकिन बता दें कि वहां पर खाना बनाने के लिए सरसों के तेल के प्रयोग पर पूरी तरह से बैन किया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं, ऐसा क्यों है। आपको हैरानी हो रही होगी? आइए जानते हैं क्यों ऐसा किया गया है। 

 

 
सरसों के तेल पर प्रतिबंध का कारण


फूड सेफ्टी एक्सपर्ट के अनुसार यूएसए में सरसों के तेल को मंजूरी इसलिए नहीं दी गई है क्योंकि सरसों के तेल में इरुसिक एसिड (erucic acid) का हाई लेवल माना जाता है। इरुसिक एसिड का हाई लेवल होना दिल की बीमारियों को बढ़ा सकता है। माना जाता है कि इससे (mustard oil use) फेंफड़ों, त्वचा आदि पर पड़ता है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के फैसले के पीछे का मुख्य कारण ये ही बताया जाता है कि इसमें ये इफेक्टस हो सकते हैं।  


इरुसिक एसिड सरसों के तेल (sarso ka tel) में पाया जाता है। इरुसिक एसिड की थोड़ी मात्रा सुरक्षित मानी जाती है, परंतु लगातार इसके प्रयोग से उच्च स्तर होने पर यह नुकसान पहुंचा सकता है। इरुसिक एसिड एक मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (monounsaturated fatty acids) है। जानवरों पर हुए अध्ययन में मिला है कि जब बड़ी मात्रा में इसको खाया जाता है तो यह दिल की सेहत के लिए हानिकारक हो जाता है। 
लेकिन इन स्टडिज में आम तौर पर व्यक्ति के प्रयोग से ज्यादा सरसों के तेल (mustard oil) पर प्रयोग किया गया है। लेकिन इंसान पर भी इसके प्रभावों को नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए सावधानी जरूरी है। हालांकि अध्ययन में लोगों के स्वास्थ्य पर इरुसिक एसिड के असर की साफ तस्वीर नहीं मिलती है।

 
 

सरसों तेल की बोतल पर होती है ये चेतावनी


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फूड विशेषज्ञ कृष अशोक ने कहा है कि कुछ सांइस के अध्ययनों पर अंध विश्वास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। अमेरिका में भारतीय किराना स्टोरों में सरसों के तेल की बोतलें (mustard oil bottle) मिलती हैं। 
इनपर ये जरूर लिखा होता है कि केवल बाहरी प्रयोग के लिए, लेकिन भारतीय लोग वर्षों से इस तेल का प्रयोग कर रहे हैं, और अपने देसी व्यंजन वहां भी पकाकर खा रहे हैं। 1970 के दशक में चूहों पर किए अध्ययन से ये सब शुरू हुआ था। लेकिन चूहों का चयापचय अलग होता है। 

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