Sarso tel : सरसों तेल इस्तेमाल करने वालों के लिए अलर्ट
Mustard Oil : सरसों के तेल का इस्तेमाल लगभग भारत के हर घर में ही होता है। खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तेल में सरसों का तेल सबसे ऊपर है। लेकिन हाल ही में सरसों के तेल का इस्तेमाल करने वालों के लिए एक अलर्ट जारी किया गया है। इसके इस्तेमाल को लेकर अब आपके मन में भी कई सवाल उठ रहे होंगे। ऐसे में आइए नीचे खबर में जान लें कि इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए क्या है ये ताजा अलर्ट...
My job alarm (ब्यूरो) : अति किसी भी चीज की बुरी ही होती है। एक हद से ज्यादा किसी चीज का सेवन आपके सेहत के लिए हानिकारक ही होता है। ऐसा ही सरसों के तेल (mustard oil uses) को लेकर भी है। वैसे अगर आपने देखा हो तो सरसों का तेल या सरसों दाना हर किचन (Indian kitchen ingredients) में खाना बनाने में पहली चीज के तौर पर इस्तेमाल किया ही किया जाता है। क्योंकि ये भारतीय किचन में मसाले के रूप में उपयोग होने वाली मुख्य सामग्री है।
इसका इस्तेमाल अक्सर किसी खास रेसिपी बनाने या तड़का लगाने के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, चाहे वह सरसों का तेल हो, पेस्ट हो या फिर कच्ची पत्तियां सभी हेल्दी मिनरल्स से भरपूर (health benefits of mustard) हैं। इसमें काफी अच्छे गुण मौजूद होते है।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह ओमेगा 3 फैटी एसिड का भी बेहतरीन स्त्रोत है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। लेकिन इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर आप जरूरत से ज्यादा सरसों का सेवन करते हैं, तो इससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। कई स्थितियों में यह आपकी जान के लिए खतरा भी पैदा कर सकता है। अगर आप भी लंबे समय से सरसों के तेल या बीज का (consumption of mustard oil and seeds) कर रहे हैं, तो आपको इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में जरूर जानना चाहिए।
सरसों तेल एलर्जी की बन सकता है वजह-
मान लो कि आप अपने खाने में अधिक मात्रा में सरसों के दाने या तेल (mustard oil) का सेवन करते हैं, तो इससे आपको एलर्जी हो सकती है। इसपर डॉक्टरों का भी कहना है कि सरसों से होने वाली एलर्जी सबसे गंभीर एलर्जी में से एक है। दरअसल, इसके सेवन से हिस्टामाइन में वृद्धि के साथ एनाफिलेक्टिक शॉक भी हो सकता है। पित्ती और त्वचा पर दाने, सांस फूलना, चक्कर आना, गले, चेहरे और आंखों में सूजन इसके मुख्य लक्षण (Allergies) हैं।
महिलाओं के लिए ये खतरा-
अति किसी भी चीज की बुरी होती है। खासतौर से प्रेग्नेंसी में डॉक्टर्स भी सरसों से परहेज करने की सलाह देते हैं। खासतौर से गर्भवती महिलाओं को सरसों के तेल या काली सरसों के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। इनमें पाए जाने वाले रासायनिक यौगिक गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए हानिकारक हैं।
फेफड़ों के लिए खतरा
अगर आप नही जानते है तो आपको बता दें कि सरसों के (mustard oil use) तेल में इरूसिक एसिड पाया जाता है और सरसों के तेल में पाया जाने वाला इरूसिक एसिड फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। दरअसल, सरसों अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है। एक अध्ययन के मुताबिक, सरसों के तेल का लंबे समय तक सेवन करने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा लगातार बना रहता है। इसलिए आपको इसके सेवन से परहेज करना चाहिए।
ड्रॉप्सी रोग का कारण
सरसों के तेल के सेवन (sarso tel uses) से ड्रॉप्सी रोग का खतरा बढ़ जाता है। आपको बता दें कि ये एक खतरनाक रोग है। यह रोग तेल में पूड़ी, कचौड़ी और पकवान बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए सरसों के तेल में अर्जीमोन तेल के मिलावट, सायनाइड के मिलावट के कारण ड्रॉप्सी की संभावना ज्यादा रहती है। जानकारी के लिए बता दें कि बार -बार इस्तेमाल होने वाले तेल के उपयोग करने से गुर्दे, ह्रदय, आदि अंग कमजोर हो जाते हैं।
इससे सादा पानी भी पचता नहीं है और शरीर में दूषित पानी जमा होने लगता है, जिससे पेट फूलने की शिकायत होती है। इतना ही नही, इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के हाथ पैर फूल जाते हैं। बीएमजे जर्नल्स के अनुसार, 1998 में डॉप्सी के बढ़ते मामले को देखते हुए सरसों के तेल की बिक्री पर प्रतिबंध (Ban on sale of mustard oil) लगा दिया गया था। लेकिन अभी भी इसका सेवन बंद नही हुआ है।
सरसों तेल का ये भी है नुकसान
आपके घर में अकसर आपने देखा होगा कि खाना बनाने में सरसों के तेल का ही इस्तेमाल (sarso ka tel ) किया जाता है। कई घरों में सरसों के तेल में खाना बनाया जाता है। लेकिन अगर हम कहें कि ये आपकी सेहत के लिए हानिकारक है तो आप इस बात पर विश्वास ही नही कर पाएंगे। लेकिन बता दें कि क्योंकि इसमें इरूसिक एसिड बहुत ज्यादा होता है, जो दिल के लिए खतरा पैदा करता है। सरसों के अधिक उपयोग से मायोकार्डियल पिलिडोसिस की समस्या हो सकती है। ये आपकी दिल की सेहत के लिए हानिकारक है।
बता दें कि ट्राइग्लिसराइड के बनने के कारण हृदय की मांसपेशियों के मायोकार्डियल फाइबर में फाइब्रॉटिक घाव विकसित होते हैं। जो हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाने के साथ हार्ट फेलियर के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।