IAS या IPS में से किसके पास होती है ज्यादा पावर, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते दोनों का फर्क
IAS and IPS Power : देश में सबसे कठिन परिक्षा पास कर कई उम्मीदवार हर साल IAS या IPS के पद पर कार्य करना शुरू करते है। आप और हम में से अधिकतर लोग इस बात से अंजान ही है कि IAS या IPS में क्या फर्क होता है, इनमें से किसके पास ज्यादा पावर होती है और इनकी सैलरी में कितना डिफरेंस होता है। अगर आप भी इस बात से सहमत है और ये सब नही जानते है तो आइए नीचे खबर में जान लें इस बारे में एक से एक सारी डिटेल...
My job alarm - (IAS and IPS Administrative Power) यूपीएसएसी की परिक्षा में हर साल लाखो की तादाद में उम्मीदवार बढ़ चढकर भाग लेते है। इनमें से कुछ ही ऐसे होते है जो कि अपने इस एग्जाम में सफल हो पाते (UPSC exam) है और IAS या IPS जैसे पदों पर विराजमान होते है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC civil services) की सिविल सर्विस एग्जाम पास करना कोई आसान काम भी नही है। इस एग्जाम के बाद देश को आईएएस, आईपीएस, आईईएस या आईएफएस जैसे अधिकारी मिलते है। भले ही इन सभी अधिकारियों का चयन एक ही एग्जाम से होता है, लेकिन इनका काम अलग-अलग होता है और उनकी भूमिकाएं भी अलग होती हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आईएएस और आईपीएस के काम में क्या अंतर (Difference between IAS and IPS in India) होता है और दोनों में कौन ज्यादा पावरफुल होता है।
कब होता है IAS-IPS का चयन?
अगर आपने कभी ये एग्जाम नही दिया है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके एग्जाम कलियर करने के बाद (ias ips exam) यानि कि मेंस एग्जाम का रिजल्ट आने के बाद सभी उम्मीदवारों को एक डिटेल एप्लीकेशन फॉर्म (DAF) भरना होता है, जिसमें उन्हें अपनी सभी जानकारियां देनी होती है और इसी आधार पर पर्सनैलिटी टेस्ट (personality test) होता है। इन्हीं जानकारियों के आधार पर ही इंटरव्यू में भी सवाल पूछे जाते हैं।
इसके बाद मेंस एग्जाम और इंटरव्यू में मिले नंबर को जोड़कर मेरिट लिस्ट तैयार की (Merit list prepared by combining exam and interview) जाती है और फिर ऑल इंडिया रैंकिंग तय की जाती है। मेरिट लिस्ट अलग-अलग कैटेगरी यानी जनरल, एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के आधार पर तैयार की जाती है।
इसके बाद मेरिट लिस्ट में मिली रैंकिंग (ranking of IPS IAS) के आधार पर आईएएस, आईपीएस या आईएफएस रैंक मिलती है। मेरिट लिस्ट में टॉप रैंक हासिल करने वालों को आईएएस पोस्ट मिलती और इसके बाद वालों को आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस के पद (IRS posts) पर चुना जाता है। हालांकि, कई बार टॉप रैंक पाने वालें IPS बनना चाहते हैं तो निचले रैंक वालों को भी IAS की पोस्ट मिल सकती है।
IAS-IPS की ट्रेनिंग के नियम
एग्जाम कलियर करने और नियुक्ति के बाद आईएएस और आईपीएस दोनों की ट्रेनिंग मसूरी (Training of both IAS and IPS in Mussoorie) स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) में फाउंडेशन कोर्स से शुरू होती है। इस दौरान सभी कैंडिडेट्स को 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है और बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल (administrative skills) सिखाए जाते हैं। इसके अलावा मेंटल और फिजिकल मजबूती की भी ट्रेनिंग दी जाती है
उसके बाद चुने गए अफसरों के लिए इंडिया डे का आयोजन (India Day organized for officers) भी किया जाता है, जिसमें सभी अफसर अपने-अपने राज्य की संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं और पहनावे (indian culture), लोक नृत्य या फिर खाने के जरिए देश की 'विविधता में एकता' दिखाते हैं। ट्रेनिंग के दौरान अधिकारियों को विलेज विजिट कराया जाता है और उन्हें सुदूर गांव में जाकर 7 दिन रहना होता है। इस दौरान उन्हें गांव की जिंदगी के हर पहलू को बारीकी से समझने का मौका मिलता है।
एक साथ 3 महीने की ट्रेनिंग के बाद बाकी अलग-अलग होती है IAS-IPS की ट्रेनिंग
पोस्ट के हिसाब से आईएएस अफसर और आईपीएस का काम बिल्कुल अलग होता है और इस वजह से दोनों की ट्रेनिंग भी अलग-अलग ही होती है। 3 महीने की फाउंडेशन ट्रेनिंग के बाद आईपीएस के लिए चुने गए उम्मीदवारों की ट्रेनिंग हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) में होती है, जबकि आईएएस ट्रेनी लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) में आगे की ट्रेनिंग (training of IAS) करते हैं।
ऐसा इसलिए भी कि एक तो इनका पद अलग-अलग होता है दूसरा एक आईएएस अफसर (IAS officer) को ज्यादा टफ ट्रेनिंग से गुजरना होता है और उनकी ट्रेनिंग में घुड़सवारी, परेड और हथियार चलाना शामिल होता है। वहीं 3 महीने की फाउंडेशन ट्रेनिंग (foundation trainig of IAS) के बाद आईएएस अधिकारी की प्रोफेशनल ट्रेनिंग (Professional training of IAS officer) शुरू होती है और इसमें एडमिस्ट्रेशन व गवर्नेंस के हर सेक्टर की जानकारी दी जाती है।
दोनों की क्या-क्या होती हैं जिम्मेदारियां?
दोनो को पहले ट्रेंनिंग दी जाती है और उसके बाद आईएएस अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद क्षेत्र / जिले / विभाग का प्रशासन संभालने की जिम्मेदारी दी जाती है। आईएएस अधिकारियों (IAS officer job) को अपने संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने के अलावा सभी नीतियों को लागू करने और जरूरी निर्णय लेने के लिए शक्तियां दी जाती हैं। वो अपने क्षेत्र के विकास के हर काम के लिए जिम्मेदार होते है।
इसके अलावा अगर एक आईपीएस अधिकारी की बात करें तो उसकी जिम्मेदारी उसके क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराध की जांच करने की होती है। आईपीएस अफसर ड्यूटी (ips officer duty) के दौरान वर्दी पहनते हैं, जबकि एक आईएएस अधिकारी का कोई ड्रेस कोड नहीं होता और वे फॉर्मल ड्रेस पहनते हैं। आईएएस अधिकारी को अलग-अलग पोस्ट के आधार पर बॉडीगार्ड, गाड़ी और जैसी सुविधाएं मिलती हैं, जबकि आईपीएस अफसर के साथ पूरी पुलिस फोर्स (police force) चलती है।
जान लें IAS और IPS में कौन होता है सबसे ज्यादा पावरफुल
जैसा कि हमने ऊपर विस्तार से बता ही दिया है कि आईएएस अधिकारी और एक आईपीएस अफसर का काम (Work of an IAS and an IPS officer) बिल्कुल अलग होता है और इसी हिसाब से दोनों की शक्तियां भी बेहद अलग होती हैं। आईएएस अधिकारियों को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग व कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय नियंत्रित करती है, जबकि आईपीएस कैडर को केंद्रीय गृह मंत्रालय नियंत्रित करती (IPS cadre is controlled by Union Home Ministry) है।
आपकेा बता दें कि एक आईएएस अधिकारी की सैलरी (IAS officer salary) आईपीएस अफसर की तुलना में ज्यादा होती है। किसी एक क्षेत्र में केवल एक आईएएस अफसर की तैनाती की जाती है, जबकि एक क्षेत्र में जरूरत के हिसाब से आईपीएस अधिकारी की संख्या कम या ज्यादा हो सकती है। इस हिसाब से आईएएस अधिकारी का पद (post of ias officer), वेतन और अधिकार के मामले में एक आईपीएस अधिकारी से बेहतर होता है।