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UP : इस गांव के हर घर में आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, पीएम भी कर चुके हैं सराहना

IAS factory of India: यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसमें हर साल लाखों छात्र भाग लेते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव की कहानी बताएंगे, जिसे "अफसर पैदा करने वाली फैक्ट्री" कहा जाता है। यहां, 75 परिवारों में से 50 से अधिक आईएएस, आईपीएस (how to become IPS)  और आईआरएस(IRS) अधिकारी बने हैं, जो यह साबित करते हैं कि मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने इस गांव की सराहना की, जिससे ग्रामीणों में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ गई है। आइए खबर में विस्तार से जानते है इस दिलचस्प गांव के बारे में-

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UP : इस गांव के हर घर में आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, पीएम भी कर चुके हैं सराहना

My job alarm (ब्यूरो)। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC civil services exam) की परीक्षा को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल देशभर से लाखों छात्र इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन उनमें से केवल 1000 से 1200 ही चयनित हो पाते हैं। इनमें से कुछ आईएएस (how to become IAS), कुछ आईपीएस (IPS), कुछ आईएफएस (IFS) और कुछ आईआरएस (IRS) बनते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा गांव बताएंगे, जिसे यूपीएससी की "फैक्ट्री" कहा जाता है। इस गांव से इतनी बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अधिकारी निकल चुके हैं कि जानकर हर कोई दंग रह जाता है।

 

अफसर पैदा करने वाली फैक्ट्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM narendra Modi) ने 16 मई को जौनपुर में एक चुनावी सभा के दौरान माधोपट्टी गांव का जिक्र किया। यह गांव मुख्यालय से लगभग दस किलोमीटर दूर स्थित है और यहां लगभग 75 परिवार निवास करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन परिवारों में से 50 से अधिक आईएएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारी बन चुके हैं, जो आज देश के विभिन्न राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। माधोपट्टी (Madhopatti village story) ने न केवल प्रशासनिक सेवाओं में अपने लिए एक खास जगह बनाई है, बल्कि यह साबित किया है कि अगर मेहनत और लगन से काम किया जाए, तो हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

 

ग्रामीणों की मतदान में सक्रियता

माधोपट्टी के लोग सिर्फ अफसर (IAS Village success story) ही नहीं बनते, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में भी बेहद सक्रिय रहते हैं। पिछले चुनावों में गांव के लोगों ने 65 फीसदी की उच्च मतदान दर दिखाई, जबकि पंचायत चुनाव में यह आंकड़ा 78 फीसदी तक पहुंच गया। ग्रामीण प्रणव सिंह कहते हैं कि यहां मां सरस्वती का वास है, जो इस गांव की अदबी संस्कृति को दर्शाता है। गांव में सिर्फ आईएएस (IPS kaise bane) और आईपीएस ही नहीं, बल्कि पीसीएस, पीपीएस, इंजीनियर, डॉक्टर और वैज्ञानिक भी हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता से योगदान दे रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री ने की प्रसंशा

प्रधानमंत्री मोदी ने माधोपट्टी की उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि आपके पास सबसे अधिक आईएएस (IAS kaise bane) , आईपीएस देने वाला गांव है। इस बात ने ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ दी। उन्हें गर्व है कि उनके गांव का नाम लिया गया और उनके प्रयासों को सराहा गया। राजनीतिक हलचलों से दूर, गांव के लोग मानते हैं कि पिछले पांच वर्षों में यहां विकास की गति तेज हुई है।

 

भाजपा सरकार का प्रभाव 

प्रणव सिंह का कहना है कि पहले केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकारें होने के कारण विकास में रुकावट आती थी, लेकिन अब भाजपा की सरकारों के चलते यह संभव हुआ है। हालांकि, गांव के लोग यह भी मानते हैं कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में अभी बहुत काम (Madhopatti village story hindi) करना बाकी है। वीरेंद्र सिंह, सुखदेव सिंह, प्रेमलाल सिंह और धीरीन सिंह जैसे ग्रामीणों का सपना है कि अगर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया जाए, तो जौनपुर में और भी माधोपट्टी जैसे गांव बनेंगे, जहां से कई और अफसर निकलेंगे।

 

आईएएस बनने की परंपरा

माधोपट्टी गांव की सफलता की कहानी 1952 में शुरू हुई, जब डॉ. इंदुप्रकाश पहले आईएएस बने (UPSC exam strategy) और यूपीएससी में दूसरी रैंक हासिल की। इसके बाद, 1964 में छत्रसाल सिंह ने आईएएस परीक्षा पास की और तमिलनाडु के मुख्य सचिव बने। इसी साल अजय सिंह और 1968 में शशिकांत सिंह भी आईएएस बने। 1995 में विनय सिंह ने बिहार के मुख्य सचिव बनने का गौरव हासिल किया। गांव की बुजुर्ग महिला लालमनी कहती हैं कि इन सभी अफसरों के पीछे माताओं का योगदान बेहद (Motivational story in hindi) महत्वपूर्ण रहा है। माधोपट्टी गांव एक उदाहरण है कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो सफलता की ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।

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