Success Story: गुजारा करने के लिए चलाते थे रिक्शा, रातों में की पढाई, जानिए इस IPS अफसर की सफलता की कहानी
My job alarm - (UPSC success story) : अक्सर सफलता उन्ही लोगों को मिलती है जो कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते हैं। मनोज कुमार शर्मा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिन्होंने विकट हालात को पार कर सफलता को छुआ है। आपको बता दें कि इनके जीवन पर आधारित 12th फेल फिल्म बनाई गई है। मनोज कुमार (IPS Manoj kumar ki safalta ki kahani) ने परिवार की गरीबी दूर करने के लिए रिक्शा तक चलाई, पर अपनी पढ़ाई पर पूरा फोकस रखा। इनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायी है। आइए जानते हैं इनके IPS अफसर बनने तक के संघर्ष के बारे में।
आईपीएस मनोज कुमार शर्मा ने बचपन में जिंदगी की आम जरूरतों के लिए भी काफी संघर्ष किया है। उनका जन्म 1977 में मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित एक छोटे से गांव बिलगांव में हुआ था। उनके पिता कृषि विभाग में कार्यरत थे। मनोज कुमार शर्मा के घर की आर्थिक स्थिति खराब थी। उनकी पढ़ाई में भी कोई खास दिलचस्पी नहीं थी और वह किसी तरह से स्कूली शिक्षा पूरी कर पाए थे।
संघर्ष के बीच आईपीएस बनने का सफर -
आईपीएस मनोज शर्मा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। किसी समय पर वह बेहद गरीबी में रहने को मजबूर थे। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पैदा हुए मनोज (IPS manoj kumar) का सफर कांटों भरी राहों का रहा है। एक समय तो ऐसा था कि उन्हें शुरुआती स्कूल की पढ़ाई के दौरान परीक्षा पास करने के लिए नकल करनी पड़ी थी। दसवीं की परीक्षा थर्ड डिवीजन से पास करने के बाद 12वीं की परीक्षा में वह फिर से फेल हो गए थे। लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। हालांकि बाद में उन्होनें मेहनत से पढ़ाई की और पास भी हुए और ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। आज IPS बनकर प्रेरणा बने हुए हैं।
अफसरों का रुतबा देख खुद अफसर बनने की ठानी -
मनोज का बचपन इतनी गरीबी में बीत रहा था कि दो वक्त की रोटी मिलना भी दूभर हो रहा था। इस हालात में उन्होंने अपने परिवार को आर्थिक संकट (Success sotory in hindi) से उबारने के लिए अपने भाई के साथ मिलकर ऑटो रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। एक दिन रिक्शा चलाने के दौरान पुलिस ने ऑटो रिक्शा के अधूरे कागज होने की वजह से उनके रिक्शा को सीज कर लिया। मनोज ने जब डीएम कार्यालय में इसकी शिकायत की (ips manoj kumar sharma and Shradha Joshi) तो वहां भी डीएम और एसडीएम का रसूख देखकर उन्होंने भी मन ही मन बड़ा अफसर बनने की ठान ली। इसी समय पर उन्होंने अपने मन में प्रशासनिक सेवाओं में आकर कुछ अलग से करने का लक्ष्य तय कर लिया था।
मंदिरों के बाहर सोकर बिताया कठिन समय -
मनोज का अफसर बनने का सफर काफी संघर्षमयी था। दिल्ली में अपने सपने को पूरा करने के दौरान मनोज को पैसों का अभाव ऐसा खटका कि उसे अपना सपना इनके बिना अधूरा रहता दिखाई देने लगा। लेकिन मनोज ने इस समस्या का भी हौसले के साथ सामना किया और मंदिरों के बाहर भीख मांगकर गुजारा करने वालों के साथ सोकर अपना यह मुश्किल समय बिताया। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति दूर करने के लिए मनोज (IPS ki success story) ने चपरासी के तौर पर काम किया। साथ-साथ पढ़ाई करते हुए अपने अफसर बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ते गए। इसी मेहनत ने उनको आईपीएस बना दिया।