Success Story : मनरेगा में मजदूरी करते थे माता-पिता, बेटी ने की IAS की कुर्सी हासिल कर उतारा कर्ज
Sreedhanya Suresh IAS Success Story : अपने बच्चों को हर माता-पिता सफलता के शिखर पर देखना चाहते हैं। कुछ ऐसा ही सपना था श्रीधन्या सुरेश के मजदूर माता-पिता का। वे खुद अभावों में रहे लेकिन बेटी को आईएएस की कुर्सी तक पहुंचाया है, हालांकि इसमें श्रीधन्या सुरेश की मेहनत का बड़ा रोल रहा। नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी कर वे आज केरल की पहली महिला आदिवासी आईएएस अफसर हैं।
My job alarm (ब्यूरो)। हौसले के दम पर आगे बढ़ने वाले मंजिल पाकर ही दम लेते हैं। इस बात को सच साबित किया है आईएएस अफसर श्रीधन्या सुरेश ने। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होने के बावजूद उन्होंने मेहनत से अपनी तकदीर लिखी। आज वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। आइये जानते हैं इनकी सफलता (Sreedhanya Suresh IAS Success Story) की कहानी इस खबर के माध्यम से।
मेहनत से कदमों में खिंची चली आई सफलता
श्रीधन्या सुरेश के माता-पिता मनरेगा में मजदूरी करते थे, इसलिए श्रीधन्या के लिए आईएएस बनने का सपना पूरा करना आसान नहीं था। महंगी कोचिंग के लिए पैसों की कमी के अलावा और भी कई चुनौतियां इनके जीवन में आई, लेकिन हिम्मत के साथ ईमानदारी से मेहनत की तो सफलता कदमों में खिंची चली आई।
कठिनाइयों को पार कर ऐसे पहुंची मंजिल तक
अपनी मेहनत से अपनी तकदीर लिखने वाली श्रीधन्या सुरेश आज अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। वे मूल रूप से केरल के वायनाड की हैं और कुरिचिया जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। श्रीधन्या सुरेश का बचपन काफी कठिनाइयों के साथ बीता है। उनके पास पढ़ाई-लिखाई या करियर में ग्रोथ के लिए रिसोर्सेस नहीं थे। गाइडेंस की भी काफी कमी थी। श्रीधन्या सुरेश ने ईमानदारी से मेहनत की और अपने संघर्ष को मंजिल तक पहुंचाया।
संसाधनों का था अभाव, नहीं मानी हार
श्रीधन्या सुरेश (Sreedhanya Suresh IAS) बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थीं, लेकिन संसाधनों की काफी कमी थी। इसके बावजूद इन्होंने हार नहीं मानी। उनके माता-पिता ने मनरेगा में मजदूरी करते हुए बेटी को पढ़ाया। श्रीधन्या सुरेश ने कालीकट के सेंट जोसेफ कॉलेज से स्कूल एजुकेशन पूरी की। फिर कोझिकोड की कालीकट यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में मास्टर्स किया। इसके बाद उन्हें काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा। हौसले व मेहनत से आखिर अपना मुकाम पा ही लिया।
वॉर्डन की नौकरी भी की
हालांकि मास्टर डिग्री करने के बाद श्रीधन्या सुरेश को केरल राज्य सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में आदिवासी स्टूडेंट्स के हॉस्टल में वॉर्डन की सरकारी नौकरी मिल गई थी। लेकिन वे कुछ और बनना चाहती थीं। अच्छी सैलरी मिलने के बावजूद श्रीधन्या सुरेश के मन में सफलता के फूल खिलने अभी बाकी थे। इसीलिए उन्होंने नौकरी करते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और सफलता पाकर दम लिया।
दोस्तों से किराये के रुपये लेकर पहुंची थी इंटरव्यू देने
साल 2018 में श्रीधन्या सुरेश ने यूपीएससी प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा (UPSC Prelims and Mains Exam) पास कर ली थी। इसके बाद से इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाना था। यूपीएससी इंटरव्यू के लिए उनके पास दिल्ली जाने तक का किराया तक नहीं था। इस कठिन समय में उनके दोस्तों ने उनका सहयोग किया। श्रीधन्या सुरेश ने यूपीएससी 2018 परीक्षा (Sreedhanya Suresh IAS Biography) में 410वीं रैंक हासिल करके (Sreedhanya Suresh IAS Rank) परिवार का नाम रोशन किया। इसके साथ उन्होंने केरल की पहली महिला आदिवासी आईएएस अफसर बनने का गौरव भी प्राप्त किया।