My job alarm

Success Story : बचपन में चली गई थी आंखों की रोशनी, मां पढ़कर सुनाती थी पाठ और बेटा करता था याद, IAS अफसर बनकर रचा इतिहास

UPSC Success Story: जब इंसान किसी चीज को करने की ठान लेता है तो कड़ी मेहनत कर वो अपने मुकाम तक जरूर पहुंचता है। समाज में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जो विकट हालात में कड़ी मेहनत के बलबूते पर उतना ही बड़ा मुकाम हासिल कर लेते हैं। आज हम आपको एक ऐसे सख्श की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने नेत्रहीन होने के बावजूद कड़ी मेहनत करके यूपीएससी की परीक्षा (UPSC exam)क्लियर की। आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी।
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Success Story : बचपन में चली गई थी आंखों की रोशनी, मां पढ़कर सुनाती थी पाठ और बेटा करता था याद, IAS अफसर बनकर रचा इतिहास

My job alarm - (IAS Ankurjeet Success Story) यूपीएससी को देश की सबसे मुश्किल परीक्षा माना जाता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए लोगों को कड़ी मेहनत और परिश्रम करना पड़ता है। कई विद्यार्थी इस परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग (UPSC Coaching) लेते हैं तो कई सेल्फ स्टडी के दम पर सफलता पा लेते हैं। इनके अलावा कुछ शख्स ऐसे भी होते हैं जो परेशानियों से घिरे होने के बावजूद अपनी मेहनत के दम पर इस परीक्षा को पास कर एक नया मुकाम हासिल करते हैं। अंकुरजीत भी ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने खुद से ही लड़कर 2017 में यूपीएससी की परीक्षा (upsc exam) 414वीं रैंक से पास की है।

मां को दिया सफलता का श्रेय -
हरियाणा के रहने वाले अंकुरजीत जब स्कूल में थे तभी धीरे धीरे उनकी आंखों की रोशनी कम होती चली गई थी। फिर एकदम ही पूरी रोशनी चली गई। ऐसे में उनके लिए पढ़ाई करना सबसे ज्यादा मुश्किल हो गया। ऐसे हालात में मां ने अपने होनहार बेटे की प्रतिभा को देखते ही एक तरकीब निकाली, वह जोर-जोर से चैप्टर पढ़कर अंकुरजीत को सुनाती थी और तेज तर्रार दिमाग वाले अंकुरजीत उसे याद कर लेते थे। आंखों की रोशनी जाने से खेलों से भी उनकी दूरी हो गई थी। अंकुरजीत ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता को दिया है।

सक्रीन रीडर से की यूपीएससी की तैयारी (UPSC preparation)
अंकुरजीत हमेशा से ही मेहनत करते थे। इनकी मेहनत और लग्न के चलते इन्हें बाकी लोग भी काफी प्रोत्साहित करते थे। वहीं जब वे 12वीं कक्षा में थे तो उन्हें उनके एक शिक्षक ने आईआईटी (IIT) के लिए प्रेरित किया। अंकुर ने इस परीक्षा को पास कर आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) में एडमिशन लिया। इसके बाद भी वो रुके नहीं। जिसके चलते उन्होंने स्क्रीन रीडर और अन्य तकनीकों की मदद से यूपीएससी की तैयारी ( IAS Success Story) की और साल 2017 में 414वीं रैंक हासिल कर के आईएएस ऑफिसर (IAS officer) बन गए। उनके इस साहस और कड़ी मेहनत को देख देश का युवा काफी ज्यादा प्रोत्साहित हो रहा है।

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