Success Story : लालटेन में पढ़ाई करते थे बिहार के ‘बाबू’, बिना कोचिंग के ऐसे क्रैक किया UPSC एग्जाम
Anshuman Raj Success Story: जब हौसलों और मेहनत में दम हो तो किस्मत भी झुकने को मजबूर हो जाती है। ऐसी ही कहानी है अंशुमन राज की आपको बता दें, उनकी सफलता की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद (UPSC Success story in hindi) बड़ी उपलब्धियों का सपना देखता है। बिहार के बक्सर जिले में जन्मे अंशुमन ने साधारण परिस्थितियों में अपना जीवन शुरू किया। उन्होंने पढ़ाई के लिए लैंप की रोशनी का सहारा लिया, क्योंकि महंगी कोचिंग उनके लिए संभव नहीं थी। उनके कठिन परिश्रम और समर्पण ने उन्हें यूपीएससी (UPSC exam) जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षा को बिना किसी कोचिंग के पार करने में मदद की।

My job alarm (ब्यूरो)। यूपीएससी सीएसई परीक्षा को कठिनाई के लिए जाना जाता है। लेकिन कई ऐसे छात्र हैं, जो तमाम परेशानियों के बावजूद इस परीक्षा को पार कर लेते हैं। आज हम बात करेंगे आईएएस अधिकारी (How to become IAS Officer) अंशुमन राज की, जिनकी कहानी हमें सिखाती है कि हिम्मत और मेहनत से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
कठिनाईयों का सामना
अंशुमन राज का जन्म बिहार के बक्सर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। आर्थिक तंगी ने उन्हें कोचिंग करने से रोक दिया। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने घर की परिस्थितियों से घुटने टेकने के बजाय, उन्होंने अपनी मेहनत (Success Story in Hindi) पर भरोसा किया और शिक्षा के लिए जो भी संभव था, किया। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें इस परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित किया।
लैंप की रोशनी में की पढ़ाई
जब अंशुमन 10वीं कक्षा में थे, तब वे मिट्टी के तेल के लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के जवाहर नवोदय विद्यालय (Jawahar navodaya school) से हासिल की। इसके बाद, उन्होंने 12वीं की पढ़ाई रांची स्थित एक जवाहर विद्यालय (12th boards exam) से की। इस कठिन सफर ने उन्हें सिखाया कि यदि आपके इरादे मजबूत हों, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।
पहले प्रयास में मिली सफलता
अंशुमन ने अन्य कैंडिडेट्स की तरह कोचिंग का सहारा नहीं लिया। वे साधारण परिवार से थे, लेकिन खुद पर विश्वास रखते थे। पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी सीएसई परीक्षा (UPSC CSE Exam) पास की और IRS का पद हासिल किया। लेकिन उनकी मंजिल IAS थी, और वे संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद, उन्होंने फिर से परीक्षा देने का निर्णय लिया।
असफलताओं से मिली सीख
अंशुमन ने दो बार असफलताओं का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 2019 में अपने चौथे प्रयास में, उन्होंने AIR 107वीं रैंक के साथ सफलता (UPSC Exam preparation) प्राप्त की। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि असफलता भी एक कदम है सफलता की ओर, और हर बार कोशिश करने से ही हम अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
सीमित संसाधनों में भी संभव है तैयारी
अंशुमन का मानना है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो यूपीएससी की तैयारी गांव में रहकर भी की जा सकती है। इसके लिए एक अच्छा इंटरनेट कनेक्शन (UPSC Exam preparation Tips) होना जरूरी है। उन्होंने अपने पिछले तीन प्रयासों की तैयारी गांव में रहकर ही की थी। यह साबित करता है कि संसाधनों की कमी कभी भी आपके इरादों को कमजोर नहीं कर सकती।
अंशुमन राज की कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि आप ठान लें, तो कोई भी मुश्किल आपके रास्ते में बाधा नहीं बन सकती। अंशुमन की यात्रा हर उस छात्र के लिए प्रेरणास्रोत (Motivational story in hindi) है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहा है।