IAS Success Story : जन्म से थे अंधे और पिता चलाते हैं टैक्सी, कड़ा संघर्ष कर बने IAS
IAS D. Bala Nagendran : हिम्मत की मिसाल कायम करने वाले दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। आईएएस डी बाला नागेंद्रन भी करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वे जन्म से अंधे होने के बावजूद देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर गए। आइये जानते हैं उनकी सफलता (IAS D. Bala Nagendran Ki Success Story) की कहानी।
My job alarm (ब्यूरो)। आंखों से न देख पाने के बावजूद इस शख्स ने वो सपना देखा जिसे पूरा करने में अच्छे-अच्छों को पसीने आ जाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं जन्म से अंधे डी बाला नागेंद्रन की। ये जन्म से अंधे थे और इनके पिता टैक्सी चलाते हैं। विपरीत परिस्थितियां होने के बावजूद इनहोंने कभी हार नहीं मानी और देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC को भी क्रैक किया तथा आइएएस (IAS) अफसर बने।
पढ़ाई में बचपन से ही थे तेज
डी बाला नागेंद्रन (D Bala Nagendran) मूल रूप से से तमिलनाडु के रहने वाले हैं जन्म से अंधे होने के बावजूद उनका लक्ष्य कलेक्टर बनने का था। डी बाला नागेंद्रन (IAS Success Story D Bala Nagendran) बचपन से ही पढाई लिखाई में काफी तेज रहे हैं। उन्होंने अपनी पढाई चेन्नई के लिटिल फ्लावर कान्वेंट और रामा कृष्णा मिशन विद्यालय से पूरी की।
स्कूल टीचर ने किया था यूपीएससी के लिए प्रेरित
स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान विद्यालय के एक टीचर ने उनको upsc की तैयारी करने की सलाह दी थी, तब से इस लक्ष्य को साधने में लग गए थे। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद चेन्नई के एक कॉलेज से B.Com की डिग्री हासिल की। डी बाला नागेंद्रन की परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी। उनके पिता हालांकि रिटायर्ड फौजी हैं और चेन्नई में टैक्सी चलाते हैं।
असफलताओं से नहीं मानी हार
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास करना आसान काम नहीं है। इसमें हर साल लाखों स्टूडेंट भाग लेते हैं और अथक मेहनत करने वाले तथा खास स्ट्रेटेजी रखने वाले इसमें पास ( IAS Success Story) होते हैं। इस परीक्षा के बाद इंटरव्यू (IAS Ka Interview kaisa hota h) भी कठिन होता है। इन सभी चरणों को पार करना सबके बस की बात नहीं। डी बाला नागेंद्रन ने इन सभी कठिन चरणों को जन्म से अंधे होने के बावजूद पास किया है।
9वें प्रयास में हुए सफल
IAS डी बाला नागेंद्रन (D Bala Nagendran) ने UPSC एग्जाम में 8 बार असफलता मिली लेकिन उन्होंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी। असफलताओं से कभी नागेंद्रन ने हार नहीं मानी बल्कि इनको चुनौती माना। इसी के चलते 9वें प्रयास वे सफल (IAS Success Story in hindi) हुए और आईएएस अधिकारी बने। बता दें कि उन्होंने आखिरी अटैंप्ट में 2019 में upsc के एग्जाम में 659वीं रैंक हासिल की। ऐसा कर उन्होंने अपना लक्ष्य और सपना दोनों को पूरा किया।