IAS Success Story : घर चलाने के लिए दो वक्त की रोटी का नहीं था जुगाड़, बिना कोचिंग के ऐसे पास की UPSC परीक्षा
Success Story : हालात से हारना कमजोर हौसले की निशानी है, वहीं फौलादी हौसला रखने वाले लोग कभी हालात से डरते नहीं बल्कि हिम्मत के साथ उसका मुकाबला करते हैं। इरादा पक्का करके लगातार आगे बढ़ने वाले एक दिन हालात से जीत भी जाते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आइएएस अंशुमान राज ने। मुश्किल समय में अंशुमान ने आइएएस बनने का सपना संजोया और इस कुर्सी तक पहुंचकर ही दम लिया।
My job alarm (ब्यूरो)। कठिन परिस्थितियों और कमजोर आर्थिक हालातों से लड़ते हुए अपनी कामयाबी की डगर पर चलते रहना दृढ़ संकल्पी होने का परिचायक है। अंशुमान राज (IAS Anshuman ki Success Story) भी इसी तरह की परिस्थितियों से निकलकर प्रेरणा की मिसाल बने हैं। इन्होंने पैसों के अभाव में न केवल आइएएस बनने का सपना पूरा किया बल्कि UPSC की परीक्षा में आल इंडिया में 107 वां रैंक हासिल करके प्रेरणा की मिसाल भी कायम की।
कठिन हालात में बीता अंशुमान का बचपन
बिहार के बक्सर जिले में जन्मे अंशुमान (Success Story in Hindi) का बचपन ही कठिन हालात में बीता। शुरू से ही पढ़ाई के लिए वह लैंप की रोशनी का सहारा लेते थे। पढ़ाई में होशियार होने के कारण आइएएस बनने का सपना था लेकिन महंगी कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में उनके कठिन परिश्रम और समर्पण ने उन्हें यूपीएससी (UPSC Exam) जैसी कठिन परीक्षा को पार करने में मदद की। अपनी मेहनत के दम पर अंशुमन राज ने न केवल यूपीएससी की कठिन परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया, बल्कि ऑल इंडिया लेवल पर 107वां रैंक भी हासिल किया।
ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा है अंशुमान की सफलता की कहानी
अंशुमान उस परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिस परिवार में आर्थिक संकट के चलते कभी दो वक्त की रोटी जुटाने का भी संकट था। ऐसे में यूपीएससी की कोचिंग (UPSC) के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। लैंप के सहारे पढ़ने वाले अंशुमान लाखों युवाओं के लिए प्ररेणास्रोत हैं। अंशुमान राज की सफलता की कहानी उन लोगों लिए खासतौर से प्रेरणादायी है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ी सफलता की चाह रखते हैं तथा आर्थिक अभाव के कारण प्रतिभा सामने नहीं आ पाती। उनका कहना है कि कभी भी हालात के आगे झुकना नहीं चाहिए, हालात को बदलने का माद्दा रखेंगे तो सफलता जरूर कदम चूमेगी।
आत्मविश्वास और मेहनत के दम पर पाई सफलता
शुरू में यूपीएससी की परीक्षा देने पर आईएएस की जगह अंशुमान को आईआरएस अधिकारी के रूप में चयनित किया गया। इस परिणाम से संतुष्ट न होते हुए, अंशुमkन ने अपनी लगन को बनाए रखा और पुनः परीक्षा देने का निर्णय लिया। हालांकि पहले प्रयास की सफलता ने उन्हें आत्मविश्वास दिया लेकिन आईएएस की राह पर अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना था। दो बार निराशा के बाद भी अंशुमान (Anshumaan Raj Ki Safalta Ki Kahani) ने हार नहीं मानी।
उन्होंने अपने चौथे प्रयास में पूरी मेहनत और समर्पण से तैयारी की और आखिरकार 2019 में 107वीं रैंक प्राप्त की। यह उनकी मेहनत, आत्मविश्वास और संघर्ष तथा हौसले से संभव हो सका। इनकी कहानी से प्रेरणा मिलती है कि दृढ़ संकल्प और सही रणनीति हो, तो कोई भी बाधा उसे सफल होने से रोक नहीं सकती।
संसाधन नहीं, समर्पित होकर मेहनत करना रखता है अहमियत
सफलता के लिए संसाधन होना महत्व नहीं रखता बल्कि मेहनत व समर्पण की जरूरत है। समय प्रबंधन (UPSC Time Management) करते हुए सही रणनीति और आत्मविश्वास भी आवश्यक है। बड़े शहरों की बजाय गांव में रहकर भी यूपीएससी की तैयारी (UPSC Ki Taiyari Kaise Kren) की जा सकती है, बशर्ते कि सही मार्गदर्शन और निष्ठा-लगन हो। कठिनाई और सीमित संसाधनों के बावजूद सही दिशा में ईमानदारी से मेहनत करने पर कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।