IAS Success Story : बचपन में सिर से पिता का उठ गया साया, दो वक्त की रोटी के थे लाले, फिर हासिल की IAS की कुर्सी
Success Story : हालात से हार मानने वालों को जहां असफलता का मुंह देखना पड़ता है, वहीं विपरीत परिस्थितियों से लड़ने वाले अपने मुकाम को हासिल कर दुनिया के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आईएएस ऑफिसर एस. प्रशांत ने। इन्होंने संघर्ष की डगर पर चलकर अपने सपने को पूरा किया। आइये जानते हैं इनकी सफलता की कहानी।
My job alarm (ब्यूरो)। समय चाहे जैसा हो, उसे बीतना तो हर हाल में है। इसी कथन से प्रेरणा लेकर एस. प्रशांत ने अपना लक्ष्य तय किया और उसे पाकर ही दम लिया। अपने आइएएस (UPSC Success Story) बनने के सपने को पूरा करने के लिए इन्होंने न केवल कड़ा संघर्ष किया बल्कि दिन-रात कड़ी मेहनत भी की और अपने हौसले को टूटने नहीं दिया। इसका परिणाम यह निकला कि आज वे लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
12वीं की पढ़ाई के दौरान पिता का हो गया था निधन
आईएएस बनने का लक्ष्य तय करने के बाद इसे हासिल करने में एस. प्रशांत (IAS S. Prashanth Success Story) के सामने कई परेशानियां आईं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनसे पार पाकर सफलता पाई। प्रशांत अपने परिवार के इकलौते ऐसे मेंबर थे, जिनसे सबको कुछ अलग करके परिवार का नाम रोशन करने की उम्मीदें थीं। जब एस. प्रशांत 12वीं कक्षा में थे तो उनके पिता की कैंसर की बीमारी के कारण मौत हो गई।
जिंदगी की असली मोड़ पर आई मुसीबत
पिता की मौत के बाद उनकी मां को नौकरी छोड़नी पड़ी। यही पढ़ाई और जिंदगी का असली मोड़ था। हालात ऐसे हो गए कि दो वक्त की रोटी का गुजारा चलना मुश्किल हो गया था। लेकिन प्रशांत ने फैसला कर लिया था कि उन्हें कुछ बड़ा करना है। 12वीं क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मेडिकल फील्ड को चुना और लक्ष्य तय करके आगे बढ़े।
मेडिकल कॉलेज के टॉपर रहे हैं एस. प्रशांत
IAS एस. प्रशांत ने डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गोपालपुरम से स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने नीट परीक्षा देने का मन बनाया और मेडिकल कॉलेज में दाखिला भी पाया। उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई की है। इतना ही नहीं वह वहां भी टॉप कर चुके हैं। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उन्हें 35 ज्यादा मेडल मिले। मद्रास मेडिकल कॉलेज के टॉपर रहे डा. एस. प्रशांत ने अपने पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा (UPSC Exam) में सफलता पाई थी। इन्होंने मेडिकल साइंस को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में लिया और एमबीबीएस की पढ़ाई (MBBS) ने इसे आसान बना दिया।
78वीं रैंक लेकर पहली बार में ही पास की यूपीएससी की परीक्षा
जब वह डाक्टर के रूप में काम करते थे तब हर दिन 60 से 70 पेशेंट्स से इनकी मुलाकात होती थी। लेकिन वह एक सिविल सर्विस अफसर बनकर लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करने के लिए कार्य करना चाहते थे। जिसके बाद वह यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी (UPSC Exam Ki Taiyari Kaise kren) करने में जुट गए और पहले ही प्रयास में 78वीं रैंक लाकर परिवार का नाम रोशन करने का काम किया। इसके लिए उनके जीवन में एक योजना बहुत फायदेमंद साबित हुई।
नान मुधलवन योजना आई काम
अपनी सफलता का श्रेय प्रशांत ने परिजनों व गुरुजनों को दिया है। इसके अलावा उनका कहना है कि नान मुधलवन योजना ने उन्हें परीक्षा की तैयारी (UPSC Exam Pattern) करने में बहुत मदद की। अपने परिवार और अपने शिक्षकों का सहयोग उन्हें खूब मिला है। उन्होंने एस. प्रशांत को पूरी हिम्मत व हौसला दिया। उनके इस सहयोग के कारण ही वे हालात से लड़ने में कामयाब रहे और आज वे इस मुकाम तक पहुंच सके हैं।