IAS Success Story : चूड़ी बेचने वाले ने बिना कोचिंग पास किया UPSC Exam, ऐसे हासिल की आईएएस की कुर्सी
Success Story : कमजोर आर्थिक हालात कई बार इंसान को अंदर तक इतना झकझोर देते हैं कि उसे तरक्की का कोई रास्ता नहीं सूझता, लेकिन हौसले और आत्मविश्वास से लबरेज लोग कामयाबी का इतिहास लिख डालते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है चूड़ी बेचने वाले इस शख्स ने। कभी परिवार की आर्थिक तंगी के कारण रमेश घोलप ने मां के साथ चूड़ी बेचने का काम किया और अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा। आखिर अपनी मेहनत के दम पर ये आईएएस (IAS Motivational Story) की कुर्सी तक पहुंचे। आइये जानते हैं इनकी सफलता की कहानी।
My job alarm - (UPSC Success Story) भारत में यूपीएससी का एग्जाम सबसे कठिन एग्जाम में शामिल है। इसकी तैयारी के लिए कोचिंग पर ही लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap) के लिए अपना आईएएस बनने का सपना पूरा करने के लिए इतनी महंगी कोचिंग लेना सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सेल्फ स्टडी को ही आधार बनाया और सफलता का शिखर चूमा। हालांकि इनकी राह में कई परेशानियां आईं, लेकिन इन्होंने हौसले से काम लिया। आज वे आईएएस अफसर (IAS Ramesh Gholap ki success story) के रूप में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
पिता करते थे साइकिल ठीक
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक गांव में जन्मे रमेश घोलप के पिता साइकिल के मिस्त्री थे। वे साइकिल ठीक करने का काम करते थे। बीमारी के कारण इनका अचानक निधन हो गया । इसके बाद तो रमेश के परिवार पर दुखों व गरीबी का पहाड़ टूट गया। तब रमेश घोलप (Ramesh Gholap ki safalta ki kahani) की स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई थी। छोटी सी उम्र में पिता का साया सिर से उठने के कारण ये घोर गरीबी से घिर गए।
मां के साथ बेचनी पड़ी थी चूड़ी
पिता के निधन के बाद रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap) की मां ने बेटे को पढ़ाने व परिवार का गुजारा चलाने के लिए आसपास के गांवों में चूड़ी बेचने का काम शुरू किया। इस काम में रमेश भी मां का हाथ बंटाते थे। परेशानियां इससे भी ज्यादा बढ़कर थी, क्योंकि रमेश पोलियो से भी पीड़ित थे। इसके बावजूद रमेश का सपना कुछ बड़ा बनने व करने का था। इस लक्ष्य को लेकर वे अपने चाचा के साथ बार्शी चले गए, जहां उन्होंने पढ़ाई की और अपने सपने को पूरा किया।
टीचर की नौकरी की, बाद में बने IAS अफसर
रमेश बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। बीएड की पढ़ाई करने बाद 2009 में एक स्कूल में टीचर की नौकरी की ताकि परिवार की गरीबी को कुछ दूर किया जा सके। इस नौकरी के दौरान किसी कार्य को लेकर रमेश का संपर्क एक तहसीलदार से हुआ। यहीं से अफसर बनने की ललक रमेश के मन में आई। रमेश ने रुतबेदार नौकरी करने के लिए पक्का संकल्प बनाया और नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी (UPSC ki taiyari kaise kren) शुरू कर दी। इस दौरान इनकी मां ने इनका खूब सहयोग किया। ये अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता को देते हैं।
इंडिया लेवल पर आया 287वां रैंक
बिना कोचिंग के UPSC में कामयाबी करना रमेश के लिए आसान नहीं था, लेकिन इन्हें अपनी मेहनत पर पूरा विश्वास था। आत्मविश्वास से भी ये पूरी तरह से भरे हुए थे। इसलिए इन्होंने सेल्फ स्टडी (UPSC coaching fees)के दम पर यह परीक्षा पास की और मुकाम हासिल किया। पहले प्रयास में असफल होने पर भी हिम्मत नहीं हारी, दूसरे प्रयास में दोगुनी मेहनत से जुटे और 2012 में उन्होंने ऑल इंडिया लेवल पर 287वीं रैंक के साथ UPSC परीक्षा पास की और IAS अफसर बने। IAS रमेश घोलप का मानना है कि पक्के संकल्प, कड़ी मेहनत व लगन से किसी लक्ष्य के लिए जुट जाएं तो सफलता जरूर मिलती है।