My job alarm

लोन नहीं भर पाने वालों को Supreme Court के फैसले से मिली बड़ी राहत, वहीं बैंक हुए परेशान

Supreme Court decision on Loan payment : लोन लेना जितना आसान लगता है वहीं कई बार ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है कि लोन भरने के लिए पैसे जमा ही नही हो पाते है। ऐसे में बैंक द्वारा ग्राहक पर एक्शन लेना तो लाजमी हो जाता है। अगर आपके साथ भी यही स्थिति बन गई है तो ये खबर पढ़ने के बाद आपको बहुत राहत मिलने वाली है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लोन नही भर पाने वालों के लिए एक निर्णय दिया (Supreme Court Decision on loan repeayment) है। इससे उन्हे काफी राहत मिलेगी। आइए जान लें क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय...
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लोन नहीं भर पाने वालों को Supreme Court के फैसले से मिली बड़ी राहत, वहीं बैंक हुए परेशान

My job alarm -  (Supreme Court News) लोन आज के समय में एक ऐसी सुविधा है जिससे कि आप हर वो काम कर सकते है जो कि पैसों की कमी के चलते रूक जाते है। इनमें सबसे बड़ा काम है खुद का घर बनाना। आम आदमी के लिए खुद का घर बनाना इतना आसान नही होता है। न ही उनके पास इतना बजट तैयार हो पाता है ऐसे में लोन ही इनका सहारा है जिसके दम पर वो खुद के घर बनाने के सपने को पूरा करते है।  लेकिन अब स्थिति ये है कि आपने लोन तो ले लिया लेकिन अब उसे भरने में सक्षम नही है तो आज की हमारी ये खबर आपको बेहद राहत पहुंचाने वाली है। आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने लोन को लेकर आपना एक अहम फैसला सुनाया है। 


लोन न भर पाने वालों को तो कोर्ट के इस फैसले से राहत मिलने वाली है वहीं बैंको के लिए इस फैसले के बाद मुसीबत खड़ी होने वाली है। आपको बता दें कि लोन न भर पाने वाले ईएमआई बाउंस होने पर जुर्माना (Penalty for bounced EMI) के बोझ तले दबना शुरू हो जाते है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बैंकिंग फ्रॉड (banking deafaults) से जुड़े एक अहम फैसले में कहा है कि ऐसे खाताधारकों को एक और मौका दिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत का यह फैसला भले ही लोन लेने वालों के हित में हो, लेकिन बैंकिंग इंडस्‍ट्री का मानना है कि इससे उनकी मुसीबत और बढ़ जाएगी। बैंकिंग एक्‍सपर्ट की मानें तो कानूनी पेंच में फंसकर अब लोन वसूली (loan recovery rules) में और देरी हो सकती है।


सुप्रीम कोर्ट का फैसला


लोन के इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में ये कहा है कि किसी भी लोन अकाउंट (loan account) को फ्रॉड घोषित किए जाने से पहले उसके पक्ष को सुनने का एक और मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट के फैसले के अनुसार, लोन धारक को भी यह अधिकार है कि उसके खाते को फ्रॉड घोषित किए जाने से पहले बैंक उसका पक्ष भी सुने। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बारे में 2016 में जारी रिजर्व बैंक के मास्‍टर सर्कुलर (Reserve Bank circular) का पालन करने से पहले ध्‍यान दिया जाना चाहिए।


क्या  है सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कारण


सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब किसी लोन खाते को फ्रॉड घोषित किया जाता है तो उस खाताधारक के साथ कई तरह के सिविक और क्रिमिनल एक्टिविटीज अपने आप जुड़ जाते हैं। इससे उसे ब्‍लैकलिस्‍ट कर दिया जाता है और भविष्‍य में उसे किसी तरह लोन भी नहीं मिल पाता। लिहाजा ऐसा कदम उठाए जाने से पहले आरबीआई के मास्‍टर सर्कुलर (RBI circular for loan holders) का पालन करते हुए ऐसे खाताधारक की बात भी सुनी जानी चाहिए।


इससे पहले आरबीआई ने 2016 में जारी मास्‍टर सर्कुलर में कहा (rbi guidelines) था कि जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले खाते को बैंक फ्रॉड घोषित कर सकते हैं। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्जधारक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से पहले उसका पक्ष भी सुना जाना चाहिए।


बैंकिंग सेक्‍टर की बढ़ने वाली है चिंता


सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद बैंकिंग सेक्‍टर के एक्‍सपर्ट ने कहा (supreme court decision on loan defaulters) है कि इस फैसले का सबसे पहला असर तो यह होगा कि बैंकों को ऐसे कर्जधारकों के मामलों में सुनवाई करने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ेगा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, इस आदेश के बाद बैंकों को और अधिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। अब  इससे समय रहते किसी खाते को फ्रॉड घोषित करना और उसकी रिपोर्ट करना ज्‍यादा मुश्किल हो जाएगा। साथ ही फ्रॉड करने वाले खाताधारकों (Fraudulent account holders punishment)  के खिलाफ जल्‍द कदम उठाने में भी दिक्‍कत आएगी।
बैंकों पर खर्च भी बढ़ेगा


बैंकिंग एक्‍सपर्ट का इस मामले पर ये कहना है कि इससे बैंकों (bank news)  पर कानूनी प्रक्रिया निपटाने के लिए खर्च और भी बढ़ेगा। केवल इतना ही नहीं अब से किसी खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले बैंकों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा, जिससे केवल समय ही ज्‍यादा नही लगेगा बल्कि बैंकों पर इसका खर्च भी बढ़ेगा। बैंकिंग एनालिस्‍ट का कहना है कि अब बैंकों को पहले से ही विलफुल डिफॉल्‍टर बने खाताधारक के खिलाफ (bank defaulters news) कोर्ट में भी नए सिरे से सबूत पेश करना होगा। य‍ह सिर्फ प्रकिया को बढ़ाने वाला काम है। इससे बैंको का समय, पूंजी सब खराब होने वाला है। 


क्‍या हैं भारत में डिफॉल्‍टर्स के हालात


हाल ही में जारी RBI की फाइनेंशियल स्‍टैबिलिटी रिपोर्ट (Financial Stability Report of RBI) के अनुसार अभी बैंकों का ग्रॉस एनपीए (GNPA of banks ) 5 फीसदी के साथ 7 साल के निचले स्‍तर पर है। वहीं, नेट NPA 1.3 फीसदी के साथ 10 साल के निचले स्‍तर पर चला गया है। बता दें कि रिपोर्ट के हवाले से ये जानकारी मिली है कि देश के टॉप 50 विलफुल डिफॉल्‍टर्स (who is willful defaulter) के पास अभी करीब 92,570 करोड़ रुपये का कर्ज है। विलफुल डिफॉल्‍टर्स उन्‍हें कहते हैं, जो पैसे होने के बावजूद कर्ज नहीं चुकाना चाहते।

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