Saving account : बैंक खाते में 5 लाख से ज्यादा पैसे रखने वाले हो जाएं सावधान, जानिये इसका बड़ा नुकसान
Saving Bank account New Rules : आजकल हर कोई बैंक खाता तो रखता ही है। साथ ही उसमें समय-समय पर वित्तीय लेन-देन भी करता रहता है। इस दौरान कभी पैसे जमा कराए जाते हैं, तो कभी निकलवाएं जाते हैं। बैंक खाते में कई बार अच्छी खासी रकम जमा होती है। यहां आपका पैसा सुरक्षित (bank me kitne rupye safe hote hain)भी होता है, लेकिन अगर बैंक ही डूब जाए यानी दिवालिया हो जाए तो आपके पैसों का क्या होगा? आपको कितने रुपये वापस मिलेंगे या नहीं मिलेंगे। इन सवालों का जवाब आइये जानते हैं इस खबर में।
My job alarm -(Bank account rules) अक्सर लोग बचत खाते में अपनी आय और बचत को जमा करके रखते हैं। अगर यह राशि लाखों में पहुंच जाती है तो आपको ब्याज भी अच्छा खासा मिलता है। कहीं और निवेश करने के बजाय कई लोग बैंक खाते में ही अपने रुपयों को जमा रखना सुरक्षित (How much deposit is safe in the bank) समझते हैं। यह काफी हद तक सही भी है, लेकिन जब बैंक दिवालिया घोषित हो जाए तो आपको पूरी रकम नहीं मिलेगी, इसके लिए एक निर्धारित व तय रकम ही वापस होगी।
यह है नियम
अगर आपके बैंक अकाउंट में 5 लाख से ज्यादा रुपये जमा हैं तो यह आपके लिए उस समय जोखिम भरा हो सकता है, जब बैंक दिवालिया हो जाए। यह इसलिए क्योंकि बैंक दिवालिया होने पर 5 लाख रुपये तक की रकम ही वापस करेगा। बेशक आपने उसमें FD या कोई अन्य निवेश भी क्यों न कर रखा हो। यह नियम बैंक पर लगाए गए मॉरेटोरियम के तहत आता है। ऐसे में बैंक उपभोक्ता DICGC कानून के तहत 90 दिन के अंदर 5 लाख रुपए तक वापस लेने का हकदार होता है। इसे लेकर सरकार ने DICGC एक्ट में 2020 में संशोधन भी किया था।
4 साल पहले बदला था नियम
यहां पर आपको बताएंगे कि बचत खाते में जमा आपकी कितनी रकम सेफ है। यानी अगर बैंक किसी कारण संकट में आ जाता है या फिर बैंक डूब जाता है तो आपका पैसा कितना सेफ है? बता दें कि 2020 में बजट के दौरान वित्त मंत्रालय ने इसे लेकर नियम बदला था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट 2020 (Budget 2020) में ऐसा किया था। इस नियम के अनुसार बैंक खाते में आपकी 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित है। अब इस नियम पर कैबिनेट की मुहर लग चुकी है। इससे ज्यादा रुपये रखना जोखिम भरा भी हो सकता है।
कैबिनेट की बैठक में लिया बड़ा फैसला
बैंक उपभोक्ताओं को लेकर कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया। अब दिवालिया हो रहे बैंकों के ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस (Deposit Insurance) का क्लेम तीन महीने में मिलेगा। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद बैंक ग्राहक के खाते में 5 लाख तक रुपये सेफ हैं। किसी भी खाते में जमा राशि पर इंश्योरेंस कवरेज (DICGC Insurance Premium) पहले की अपेक्षा बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जा चुका है।
बैंक डूबने पर कौन देगा रुपये
इसे बैंक गारंटी (Bank Guarantee) की रकम भी कहा जा सकता है। 2020 का बजट आने से पहले यह बैंक गारंटी सिर्फ 1 लाख रुपए तक थी। 1993 के बाद ऐसा पहली बार किया गया है और भविष्य में यह राशि और बढ़ाई जा सकती है। बैंक के डूबने यह राशि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई जमा बीमा और कर्ज गारंटी निगम (DICGC) की ओर से कवर की जाएगी यानी ग्राहक को दी जाएगी।
एक से अधिक खाते व निवेश पर क्या होगा?
कई लोग बैंकों में बचत खाते के अलावा FD व अन्य निवेश भी करते हैं। बचत खाते में 5 लाख से ज्यादा रकम जमा होने के अलावा कई लोग बैंक एफडी भी करवाते हैं, लेकिन बैंक दिवालिया होने पर 5 लाख रुपये (bank doobne par kitne rupye wapas milenge) तक ही वापस मिलेंगे, बेशक खाते में आपकी इससे ऊपर कितनी ही रकम जमा हो। किसी बैंक अकाउंट में आपके 10 लाख रुपए और अलग से FD भी है तो भी बैंक डूबने पर 5 लाख रुपए ही मिलेंगे। कम हैं तो कम मिलेंगे, लेकिन नियम के अनुसार अधिकतम रकम 5 लाख ही इंश्योयर्ड होगी।
अलग-अलग बैंकों में रखें पैसा
इस स्थिति से आपको बचना है तो आपके पास एक उपाय यह है कि आप अपने पैसों को अलग-अलग बैंकों में रखें। पांच लाख से ज्यादा की राशि आप दूसरे बैंक में खाता खुलवाकर जमा (bank diwaliya hone par kya kren)कर सकते हैं। आरबीआई की ओर से भी एक अधिक बैंकों में खाते खुलवाने पर कोई पाबंदी नहीं है। एक्सपर्ट्स की मानें तो पिछले 50 साल में देश में शायद ही कोई बैंक दिवालिया हुआ है। बैंक अब आपके पैसे की सुरक्षा के लिए पहले से ज्यादा प्रिमियम देंगे। अब हर 100 रुपए के जमा पर 12 पैसे का प्रीमियम है, जो पहले 10 पैसे था।
सरकार की होती है यह जिम्मेदारी
इन मामलों के जानकारों के अनुसार बैंक में जमा लोगों के पैसों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है। जब किसी बैंक या फाइनेंशियल सेवा प्रदाता कंपनी ऐसी स्थिति में आती है तो उसे संभालने के लिए सरकार की ओर से प्लान तैयार किया जाता है। सरकार के पास इतनी शक्ति व संसाधन हैं कि किसी बैंक को वह डूबने (bank diwaliya hone par kitne rupye wapas milenge)नहीं दे सकती। ऐसी स्थिति में बैंक की लायबिलिटी को कैंसिल करने का फैसला भी लिया जा सकता ताकि स्थिति को संभाला जा सके।