Rent Agreement Rules : रेंट एग्रीमेंट बनवाते वक्त इन 4 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना हो जाएगी बड़ी मुश्किल
Rent Agreement : किराए पर घर देने या लेने वाले है तो ये खबर आपके बेहद काम की है। आज हम आपको रेंट एग्रीमेंट बनवाने के नियमों के बारे में बताने वाले है। अगर आप इस जरूरी काम के समय नियमों का ध्यान नही रखते है तो आप बड़ी मुसीबत में भी फंस सकते है। आपको रेंट एग्रीमेंट में कुछ चीजों का जरूर ध्यान देना (tenancy rules) चाहिए। आइए नीचे खबर में चेक कर लें इन 4 बातों के बारे में विस्तार से....
My job alarm - बड़े-बड़े शहरों में अधिकतर लोग किराए पर घर लेकर रहते है। इन किराएदारों को रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) बनवाने के लिए कहा जाता है ताकि आगे जा कर इन्हे किसी मुसीबत का सामना न करना पड़े। अगर आप भी रेंट पर घर लेने वाले है तो आपको भी रेंट एग्रीमेंट (rent agreement rules) बनवाते वक्त जरूरी बातों के बारे में ध्यान जरूरी रखना चाहिए। वैसे भी आजकल बिना रेंट एग्रीमेंट के किराए पर मकान नहीं मिलता है।
किराए पर घर लेने के लिए रेंट एग्रीमेंट में कुछ चीजों का जरूर ध्यान देना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, किसी भी रेंट एग्रीमेंट में किराए की राशि, किराया देय की तारीख और एग्रीमेंट टाइम (rent agreement period) सहित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी होती है। इससे न तो किराएदार कुछ गलत कर सकता है और न ही मकानमालिक के द्वारा कुछ नाजायज मांग की जा सकती है। इससे दोनों का ही शोषण होने से बचत होती है।
किराया बढ़ोतरी और एग्रीमेंट ड्यूरेशन संबंधी बातें-
रेंट एग्रीमेंट बनवाते है तो इसमें सबसे जरूरी ये कि आपका ये रेंट एग्रीमेंट (agreement duration) कितने समय के लिए बन रहा है। एग्रीमेंट की टाइमलाइन क्या है। मान लों एग्रीमेंट अगर 3 से 4 सालों के लॉन्ग टर्म के लिए है तो, प्रतिसाल कितने प्रतिशत किराया बढ़ाया जाएगा। ऐसा इसलिए कह रहे है कि दरअसल, पहली बार एग्रीमेंट के तहत मकान लेने वाले लोग (agreement rules and duration) इन अहम पहलूओं पर गैर नहीं करते हैं और बाद में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
एगीमेंट में होनी चाहिए हर जानकारी-
रेंट पर घर लेते वक्त कई ऐसी बातें की जाती है आश्वासन दिए जाते है लेकिन आपको ये जरूर चेक कर लेना चाहिए कि ये सब बाते एग्रीमेंट में मेंशन (rent agreement information) है कि नही। आपको किसी भी रेंट एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि बताया गया किराया एग्रीमेंट से मेल खाता या नहीं।
इसके अलावा, इस एग्रीमेंट में क्या-क्या शामिल है उसका विवरण है या नहीं। उदाहरण के लिए: आपने जिस फ्लैट को लिया उसका किराया मेंटनेंस (rent maintenance tips) सहित है या नहीं। फ्लैट में दी जाने वाले सामानों का विवरण एग्रीमेंट में लिखा गया है या नहीं, पार्किंग चार्ज क्या है और बिजली बिल कितने रुपये यूनिट आदि। मतलब कुल मिलाकर आपको चेक कर लेना चाहिए कि हर जानकारी इसमें मेंशन है।
बैन या शर्तें-
अगर आप कभी किराए के मकान में रहे है तो आपको ये तो पता ही होगा कि मकान मालिक के द्वारा कई चीजों पर प्रतिबंद्ध लगाया जाता (tenant rights) है। कुछ ऐसी चीजें या सर्विस होती है जिसें मालिक के द्वारा इस्तेमाल करने पर कुछ शर्ते रखी जाती है। कुछ मकान मालिक किरायेदार पर कई तरह की चीजों का प्रतिंबध लगाते हैं।
जैसे पालतू जानवर रखने की अनुमति नहीं देना सोसायटी पार्किंग लॉट में पार्किंग करना। एग्रीमेंट से पहले इन चीजों पर पूरी चर्चा कर लेनी चाहिए। हालांकि अनुचित प्रतिबंध पर किराएदार आपत्ति (tenant rights) भी कर सकता है,जैसे कि किराए पर रहने के दौरान पासपोर्ट के लिए आवेदन की अनुमति नहीं देना आदि शामिल है। इन सब के बारे में आपको पहले ही जानकारी होनी जरूरी है।
लॉक इन टाइम-
कई बार कुछ ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती है कि रेंट एग्रीमेंट पूरा होने से पहले ही घर खाली करने या कराने की नौबत आ जाती है। ऐसे में रेंट एग्रीमेंट तोड़ना ही एक उपाय बचता है। ऐसे में एग्रीमेंट में नोटिस या लॉक इन टाइम (lock in time of rent agreement) का भी उल्लेख होना चाहिए। बता दें कि आमतौर पर नोटिस पीरिएड (notice period before vacant the house) एक महीने का होता है, जो दोनों पक्षों पर समान रूप से लागू होता है। तो इन स्थितियों से निपटने के लिए इन चीजों का वर्णन एग्रीमेंट में जरूरी है।