RBI ने बताया- इन 3 बैंकों में ग्राहकों का पैसा है बिल्कुल सेफ, न कभी डूबेंगे और न डूबने देंगे
My job alarm - (Top 3 Safest Bank in India) भारत में पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र का बहुत विस्तार हुआ हैं। अगर बैंक खाताधारकों की बात करें तो बता दें कि सरकार (Narendra Modi Government) द्वारा प्रधान मंत्री जन-धन योजना आदि के शुरू होने के बाद बैंकों में खाताधारकों की संख्या बढ गई हैं। सरकार ने लोगों को बैंकों के प्रति जागरूक करने के लिए अनेकों स्कीमें शुरू की जैसे सब्सिडी (Best Banks in India 2024) का पैसा सीधा बैंक खाते में आने जैसी योजनाओं के कारण बैंक खाताधारकों की संख्या में जोरदार इजाफा हुआ है। देश में बैंकों में रखे पैसे को लोग सुरक्षित मानते हैं। इसका उदाहरण बैंक एफडी है, जो लोगों की इसी धारणा की वजह से एक लोकप्रिय निवेश विकल्प बना हुआ है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं हैं कि ये बैंक कभी डुबते नहीं हैं। बल्कि बैंक भी कईं कारणों से धराशायी हो सकते हैं। अगर सन 2003 की बात करें तो बता दें कि अमेरिका में 4 बैंक डूब गए थे। भारत में अभी भी कईं (SBI Bank) ऐसे बैंक हैं जिनकी स्थिति मजबुत होने की आंशका अभी नजर नहीं आ रही हैं लेकिन आपके लिए अच्छी बात यह बात यह हैं कि भारत 3 बैंक ऐसे हैं, जो न कभी डूबेंगे और न ही सरकार उन्हें डूबने देगी। इन बैंकों के बारे में खुद आरबीआई ने भी यही जानकारी दी हैं।
अगर विस्तार में बताएं तो इसका अर्थ यह हैं कि इन बैंकों में रखे पैसे को 1% का भी खतरा नहीं हैं। आरबीआई के (HDFC Bank) अनुसार भारत के सबसे सुरक्षित बैंकों में से एक सरकारी और दो प्राइवेट बैंक शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक खुद बताता हैं कि देश के इन बैकों में किसी का पैसा डुबने का खतरा नहीं हैं। इन बैंकों के नाम हैं- भारतीय स्टेट बैंक, ICICI बैंक और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ।
बता दें कि आरबीआई द्वारा इन तीनों ही बैंकों को D-SIB यानी डोमेस्टिक सिस्टमेटिकली इम्पॉर्टेंट बैंक, का दर्जा दिया जा चुका है। ये वो बैंक हैं जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए इतने ज़रूरी होते हैं कि इनका डूबना सरकार कदापि बर्दाश्त नहीं कर सकती। इनके डूबने से देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा सकती है। इनकी बैंक्स के लिए ‘टू बिग टू फेल’ (Too big To Fail) वांक्यांश का भी इस्तेमाल किया जाता है।
क्या हैं D-SIBs
ये ऐसे बैंक होते हैं जो सिस्टम के लिए इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि जिनके डूबने पर पूरे फाइनेंशियल सिस्टम को झटका लग सकता है और अस्थिरता आ सकती है। इस प्रकार के बैंकों इतने महत्वपूर्ण हैं कि इन्हें (Domestic Systemically Important Banks) कुछ हुआ तो सरकार खुद इन्हें बचाने की कोशिश करेगी।
2015 से आरबीआई निकाल रहा D-SIB लिस्ट
दरअसल, 2008 में आर्थिक मंदी आई थी जिसके चलते बैंकों को D-SIB घोषित करने की व्यवस्था शुरू की गई। इस समय तक देशों में कईं बडे-बडे बैंक डुब चुके थे। 2015 से RBI हर साल D-SIB की लिस्ट निकालता है। 2015 और 2016 में केवल SBI और ICICI बैंक D-SIB थे। 2017 से HDFC को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया। अगर कोई बैंक D-SIB है, तो RBI अपने कड़े रेगुलेशंस से ये सुनिश्चित करता है कि वो बैंक मुश्किल से मुश्किल आर्थिक आपातकाल के लिए तैयार रहे।
भारतीय रिजर्व बैंक देश के सभी बैंकों को उनके प्रदर्शन और कस्टमर बेस के आधार पर सिस्टमैटिक इम्पॉर्टेंस अंक देता है। किसी बैंक के D-SIB के तौर पर लिस्ट होने के लिए ज़रूरी है कि उसकी संपत्ति राष्ट्रीय (Important Banks) जीडीपी के 2 फीसदी से ज्यादा हो। बैंक की इम्पॉर्टेंस के आधार पर D-SIB को पांच अलग-अलग बकेट्स में रखा जाता है। बकेट फाइव का मतलब सबसे ज्यादा इम्पॉर्टेंट बैंक, वहीं बकेट वन का मतलब है कम इम्पॉर्टेंट बैंक। अभी SBI बकेट थ्री में है, जबकि HDFC और ICICI बैंक बकेट वन में हैं।
आरबीआई के बयान के मुताबिक, एसबीआई को रिस्क-वेटेड एसेट्स के फीसदी के रूप में अतिरिक्त 0.80 फीसदी CET1 के रूप में रखना होगा। वहीं एचडीएफसी बैंक को अतिरिक्त 0.40 फीसदी और आईसीआईसीआई (RBI Guideline) बैंक को अतिरिक्त 0.20 फीसदी मेंटेन करना होगा. हालांकि यह लेवल 1 अप्रैल 2025 से मेंटेन करना है।
D-SIB को करने होते हैं खास इंतजाम -
भारतीय रिजर्व बैंक डी-सिब बैंकों पर कड़ी नज़र रखता है। इन बैकों को बाकी बैंकों की तुलना एक बड़ा कैपिटल बफर रखना होता है, ताकि बड़ी इमरजेंसी आने या कोई घाटा होने पर भी उससे निपटा जा सके। कैपिटल बफर के साथ-साथ ऐसे बैंकों को कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) कैपिटल नाम का एक एडिशनल फंड भी रखना पड़ता है। RBI के लेटेस्ट गाइडलाइन के मुताबिक, SBI को अपने रिस्क वेटेट एसेट (RWA) का 0.60 प्रतिशत CET1 कैपिटल के तौर पर रखना ज़रूरी है, वहीं ICICI और HDFC बैंक्स को 0.20 प्रतिशत एडिशनल CET1 के तौर पर रखना ज़रूरी है।