RBI Rules : लोन नहीं भरने वालों की अब खैर नहीं, RBI ने बनाए सख्त नियम
My job alarm - (RBI Rules on Loan) लोन हर एक इंसान की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का एक आसान जरिया है। इसकी सहायता से आप अपने कई पैसों से संबंधित काम जो कि इनकी कमी से रूक जाते है उन्हे आसानी से पूरा कर सकते है। उदाहरण के लिए मान लो कि आप अपने खुद का घर बनाने के सपना देखते है लेकिन इतने पैसे आपके पास एक साथ इकट्ठे नही हो पा रहे है तो लोन ही एकमात्र ऐसा जरिया (Loan) है जो कि आपको आपका ये सपना पूरा करने में सहायता प्रदान करता है। अब बात करते है उनकी जो लोन तो ले लेते है लेकिन बाद में पैसे होने के बावजूद भी उसे चुकाने में आना कानी करते (rbi rules for loan defaulers) है। ये सरासर गलत है। ऐसे लोगों को बैंक की भाषा में विलफुल डिफॉल्टर (willful defaulter) कहा जाता है।
क्या होता है विलफुल डिफॉल्टर?
विलफुल डिफॉल्टर (who is willful defaulter) उसे कहा जाता है जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाता और डिफॉल्ट कर जाता है।हालांकि, इस स्थिति में विलफुल डिफॉल्टर उन्हीं को माना जाता है, जिनके ऊपर 25 लाख रुपये या इससे अधिक कर्ज होता है।
RBI एक्शन
विलफुल डिफॉल्ट के बढ़ते मामलो को देख आरबीआई (RBI news ) भी चिंता व्यक्त कर रहा है। ऐसे में भारत के केंद्रीय बेँक यानि कि रिज़र्व बैंक ने पिछले हफ्ते जानबूझकर लोन नहीं चुकाने वालों या भुगतान करने की क्षमता के बावजूद ऋण चुकाने में विफल रहने वालों पर अंकुश लगाने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है। RBI के इन प्रस्तावित नियमों से विलफुल डिफॉल्टर्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अब RBI ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती बरतने की तैयारी शुरू कर दी (RBI action against loan holders) है। RBI के नए ड्राफ्ट में ये साफ कहा गया है कि 25 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज लेने वाले विलफुल डिफॉल्टर्स पर कई तरीकों से नकेल कसी जाएगी। खास बात है कि यह प्रस्तावित नियम लोन देने वाली कंपनियों के फीडबैक और विभिन्न अदालतों के सुझावों पर आधारित हैं।
RBI के इस कदम के पीछे ये है वजह
समय की जरूरत को देखते हुए भारत के केंद्रीय बैंक (central bank of India) की ओर से ये खास फैसला लिया गया है। क्योंकि विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ यह बदलाव बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि हाल के वर्षों में जानबूझकर लोन नहीं चुकाने के मामले में बढ़ोतरी हुई है।
बैंक के अनुसार ऐसे डिफॉल्टर फाइनेंशियल सिस्टम के लिए अपराधियों के अलावा कुछ नहीं हैं, क्योंकि वे उधार लेते हैं और भाग जाते हैं। चूंकि बैंक जनता के पैसों का संरक्षक (bank custodian of public money) है और जब लोन के तौर पर उधार दिया गया पैसा वापस नहीं मिलता है, तो इसका खामियाजा जमाकर्ताओं को भुगतना पड़ता है।
डिफॉल्टर है बैंकिंग सिस्टम के लिए खतरा का साइन
विलफुल डिफॉल्टर की तादाद अब बढ़ती जा रही है और उन्हे रोकना काफी जरूरी हो गया है। क्योकि डिफ़ॉल्ट होना उनके लिए एक तरीका बन गया है जिससे वे लोन नहीं चुकाने से बचने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग लंबे समय से कानूनी खामियों के साथ-साथ धन की ताकत का उपयोग करके बैंकिंग प्रणाली (banking systum in India) को खतरे में डाल रहे हैं।
आरबीआई का प्रस्ताव
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसे विलफुल डिफॉल्टर्स को लेकर आरबीआई (RBI notification) ने जो प्रस्ताव पेश किया है उसमें इन लोगों को कोई नया लोन लेने के लिए पहले अपने पुराने एनपीए अकाउंट को सेटल करना होगा। केवल इतना ही नही, इसके साथ ही आरबीआई ने प्रस्ताव दिया है कि किसी खाते के एनपीए होने के 6 महीने के अंदर उस पर विलफुल डिफॉल्टर का टैग (effects of tag of willful defaulter) लगा देना चाहिए।
विलफुल डिफॉल्टर का टैग खड़ी कर देगा ये परेशानियां
अब जाहिर सी बात है कि अगीर किसी व्यक्ति को बैंक के द्वारा ही विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा तो सिबिल स्कोर (cibil score) तो खराब होगा ही। ऐसे में अगर किसी पर विलफुल डिफॉल्टर का टैग लग जाएगा तो फिर उसे को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसमें सबसे पहले ऐसे लोगों को बैंक या वित्तीय संस्थान (financial companies) से कोई अतिरिक्त लोन नहीं मिलेगा।
वहीं, केंद्रीय बैंक के इस प्रस्ताव (RBI new Proposal) के तहत विलफुल डिफॉल्टर को लोन की रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा भी नहीं मिलेगी। आरबीआई के ड्राफ्ट में कहा गया है कि NBFC को भी इन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए खातों को बतौर विलफुल डिफॉल्टर टैग करने की मंजूरी मिलनी चाहिए।
RBI ने जारी किया सर्कुलर
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने सर्कुलर (RBI circular) में ये कहा कि इन निर्देशों का मकसद जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के बारे में एक सिस्टम तैयार करना है जिससे लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान यह तय कर सके कि ऐसे लोगों को आगे लोन नहीं देना है।