बैंक लॉकर को लेकर RBI के नए नियम, जारी की गाइडलाइन
My job alarm- Bank Locker new Rules : पहले लोग सेविंग करके अपने घरों में ही रखते थे। लेकिन अब बदलते समय और सुविधाओं के साथ ही लोगों ने अपने आप को बदल लिया है। अब लोग अपनी बेशकीमती चीजों को घर पर रखने की बजाए बैंको में सुरक्षित रखते है। इसके लिए बैंको की ओर से लॉकर की सुविधा (Locker facility from banks) प्रदान की जाती है। वैसे भी आजकल घरों में अपका कीमती सामान उतना सुरक्षित नही है क्योंकि आजकल चोरी के मामले बढ़ते ही जा रहे है। अगर आप भी बैंक लॉकर में सामान रखने के बारे में सोच रहे है तो पहले आपको इसके नियम भी जान लेने चाहिए। बैंक लॉकर (bank locker rules) में रखीं चीजों की क्या बैंक गारंटी लेता है नही? इन सब के बारे में आपको मालूम होना चाहिए।
मान लो अगर बैंक में रखीं चीजें चोरी हो जाती हैं, तो फिर क्या होगा? क्योंकि ऐसी-ऐसी घटनाएं सामने आई थीं कि दीमक बैंक लॉकर में रखे पैसे खाई गई, क्या उसका भरपाई बैंक करेगा? आइए जानते हैं कि बैंक लॉकर को लेकर RBI की नई गाइडलाइंस (RBI's new guidelines regarding bank locker) क्या है और आप बैंक लॉकर में क्या-क्या रख सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले रिजर्व बैंक (reserve bank of India) ने अगस्त में सेफ डिपॉजिट लॉकर को लेकर नए नियम जारी किया है। इस नियम के तहत बैंकों को एक जनवरी तक मौजूदा लॉकर्स होल्डर्स के साथ एग्रीमेंट रिवाइज करना था। ये नियम पुराने लॉकर्स होल्डर्स पर लागू होने थे। नए ग्राहकों पर ये नियम जनवरी से ही लागू हैं।
पहले जान लें क्या है नए नियम?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI new rules) के द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार बैंकों को खाली लॉकरों की लिस्ट (bank locker) और वेटिंग लिस्ट दिखानी जरूरी होगी। इसके अलावा बैंकों के पास लॉकर के लिए कस्टमर्स से एक बार में ज्यादा से ज्यादा 3 साल का किराया लेने का अधिकार ही होगा। सबसे बड़ी बात तो ये है कि किसी ग्राहक को नुकसान होने की स्थिति में अब बैंक शर्तों का हवाला देकर मुकर नहीं सकेगा, बल्कि ग्राहक की पूरी भरपाई की जाएगी। इन नए नियमों से ग्राहकों को काफी सुरक्षा मिलने वाली है।
अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला नही झाड़ पाएंगे बैंक
हाल ही में जारी गाइडलाइन्स (RBI guidelines) के अनुसार RBI के संशोधित नियमों के तहत, बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा कराए गए लॉकर एग्रीमेंट में कोई अनुचित शर्त तो शामिल नहीं हैं, जिससे ग्राहक को नुकसान होने पर बैंक आसानी से किनारा कर सके। बहुत बार ये देखने को मिलता है कि बैंक एग्रीमेंट के शर्तों (terms of bank agreement) का हवाला देते हुए अपनी जिम्मेदारियों से किनारा कर लेते हैं जो कि सरासर गलत है। इन्ही सब को रोकने के लिए नियमों को संशेधित किया गया है।
इन नए जारी हुए नियमों के अनुसार बैंक की लापरवाही के चलते लॉकर में रखे सामान के किसी भी नुकसान (Loss of goods kept in locker due to negligence of bank) के मामले में बैंक भुगतान करने के पात्र होंगे। बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे परिसर की सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाएं, जिसमें लॉकर हैं। इसके लिए यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बैंक की है कि नुकसान आग, चोरी/डकैती, इमारत का गिरना बैंक के परिसर में उसकी अपनी कमियों, लापरवाही और किसी चूक/कमीशन के कारण नहीं हो सके।
बैंक लॉकर में किस-किस सामान को रखने की है अनुमति?
आरबीआई के द्वारा बैंक लॉकर के जारी इन नए नियमों (New rules issued for bank locker) के अनुसार बैंक और ग्राहकों को नए एग्रीमेंट में स्पष्ट तौर पर ये उल्लेख करना होगा कि वहां किस तरह का सामान रखा जा सकता है, और किस तरह का नहीं। भारतीय रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार, बैंक लॉकर में ग्राहक सिर्फ ज्वेलरी, जरूरी दस्तावेज और कानूनी तौर पर वैध सामान ही रख सकेंगे। बैंक लॉकर (bank locker access) तक केवल ग्राहक को एक्सिस मिलेगा, यानी परिवार के लोग या और किसी और को लॉकर खोलने की सुविधा नहीं होगी। ये सिर्फ सुरक्षा के करके किया जा रहा है।
रिजर्व बैंक के नियमों (Reserve Bank rules) के अनुसार लॉकर से नुकसान के लिए बैंक जिम्मेदार होंगे। लेकिन भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण लॉकर सामग्री की क्षति या हानि के मामले में बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी, यानी पूरा नुकसान ग्राहक को उठाना पड़ेगा।
लेकिन अगर बैंक में आग, चोरी, डकैती, इमारत ढहना जैसे मामले में अगर लॉकर के ग्राहक को आर्थिक नुकसान पहुंचता है तो उसका वहन बैंक करेगा, क्योंकि ऐसे हादसों को बैंक रोक सकता है। लेकिन यहां मुआवजे को लेकर भी एक शर्त है। बैंकों की जिम्मेदारी लॉकर के वार्षिक किराये के 100 गुना तक ही होगी, इसलिए आपको लॉकर को लेकर सालाना किराये के (locker annual rent) 100 गुने से अधिक कीमत का सामान लॉकर में रखने से परहेज करना चाहिए।
आइए उदाहरण के तौर पर समझ लें कि लॉकर का सालाना किराया 1000 रुपये है, तो लॉकर में रखे सामान गायब होने पर मुआवजे के तौर पर किराये के 100 गुना यानी केवल 1 लाख रुपये ही ग्राहक को मिलेंगे।
जान लें कौन सा सामान बैंक लॉकर में रखने की नही है अनुमति
जानकारी के लिए बता दें कि आपको बैंक लॉकर में हथियार, नकदी या विदेशी मुद्रा या दवाएं या कोई घातक जहरीला सामान रखनेकी इजाजत नही है। अगर आप लॉकर में नकद पैसा रखते हैं तो ये नियम के खिलाफ होगा और नुकसान पर बैंक इसका कतई जिम्मेदार नहीं होगा। इसके लिए आपको एक रुपया हर्जाना नहीं मिलेगा। अगर बैंक लॉकर (Bank locker) का पासवर्ड या चाबी खो जाती है या उसका दुरुपयोग होता है तो इसमें बैंक की जिम्मेदारी नहीं होगी।
आपको ये पता होना चाहिए कि बैंक लॉकर (bank locker rules in hindi) नकदी रखने के लिए नहीं होते हैं, यानी यहां पैसा रखना RBI के नियमों के खिलाफ है। बैंक लॉकर एक मास्टर कुंजी द्वारा संचालित होते हैं जो बैंकर के पास होती है, जो ग्राहक की अपील पर पहले लॉकर खोल देता है, और वहां से चला जाता है, फिर ग्राहक अपनी चीजें रखता है। जिसे बैंक कर्मचारी को दिखाना जरूरी नहीं है। लेकिन ग्राहक को नियम पता होना चाहिए कि क्या-क्या लॉकर में नहीं रख सकते हैं, ताकि भविष्य में आपको कोई भी परेशानी न हो।
अब लॉकर के किराए को लेकर हुए बदलाव
ये तो आप जानते ही है कि बैंकों में लॉकर रखने के लिए आपको लॉकर एग्रीमेंट (locker agreement) चाहिए होता है। अब से नया एग्रीमेंट स्टांप पेपर पर साइन किया जाएगा। साथ ही लॉकर के किराये में भी बदलाव किया गया है। ये 1350 रुपये से लेकर 20000 रुपये महीने तक हो सकते हैं। मेट्रो शहरों में लोगों को एक्स्ट्रा स्मॉल लॉकर (Extra Small Locker) के लिए 1350 रुपये, स्मॉल के लिए 2200 रुपये, मीडियम के लिए 4000 रुपये, एक्स्ट्रा मीडियम 4400 रुपये, लार्ज के लिए 10000 रुपये और एक्स्ट्रा लार्ज 20000 रुपये चुकाने होंगे।
ज्वाइंट लॉकर का ऑप्शन है मौजूद
अगर आप अकेले लॉकर नही लेना चाहते है तो आप बैंक में सिंगल की बजाए ज्वाइंट लॉकर के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए दोनों लोगों को बैंक में आकर ज्वाइंट Memorandum पर साइन करना होगा। नियम के तहत लॉकर के लिए अप्लाई करने वाले ग्राहकों को बैंक सेविंग अकाउंट भी खोलने के लिए कह सकता है।
ये है नॉमिनी को लेकरबैंक लॉकर के नियम
ये तो आप जानते ही है कि ग्राहक की मौत के बाद उसका नॉमिनी ही है जिसके पास कि उसके अधिकारो का एक्ससेस होता है। अगर लॉकर धारक ने अपने लॉकर के लिए किसी को नॉमिनी बनाया है तो उसकी मौत के बाद उस नॉमिनी को लॉकर खोलने और उसके सामान को निकालने का अधिकार होता है। बैंक पूरे वेरिफिकेशन के बाद ये एक्सेस नॉमिनी को देते हैं।
इससे पहले पुराने लॉकर एग्रीमेंट (locker agrrement rules) में लोगों के लॉकर से गायब हुए सामान या किसी आपात स्थिति में लॉकर के अंदर उपलब्ध चीजें बर्बाद होने के बाद ग्राहकों के लिए रिकवरी कुछ नहीं होती थी। उन्हे सारा नुकसान खुद उठाना होता था। लेकिन अब ऐसा नही है। अब RBI के नए नियम के तहत ग्राहकों को शर्तों के साथ मुआवजे का प्रावधान भी है।