RBI ने बैंक लॉकर वालों के लिए जारी की जरूरी गाइडलाइन, नियमों में हुए बदलाव
My job alarm - अगर आप भी अपने लिए बैंक लॉकर (Bank Locker rules) लेने की सोच रहे हैं तो पहले इसके बारे में कुछ बुनियादी बातें जान लेना आपके लिए जरूरी है क्योंकि आरबीआई ने हाल ही में लॉकर से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। आपको बता दें बैंक लॉकर पर RBI के नियम लागू होते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India news) ने एक गाइडलाइन सेट की है, जिसमें लॉकर में क्या रखा जा सकता है या किसी वस्तु की चोरी या गुम होने की स्थिति में बैंक की लायबिलिटी (RBI Guidelines) जैसी जानकारी दी गई हैं।
भारत के केंद्रीय बैंक के लॉकर नियमों में बैंक लॉकर के एग्रीमेंट (bank locker agreement) को रिन्यू करने की प्रक्रिया भी बताई गई है। जिन अकाउंट होल्डर्स ने लॉकर के लिए 31 दिसंबर, 2023 को या उससे पहले एग्रीमेंट किए हैं, उन्हें रिवाइज्ड एग्रीमेंट पर साइन (Sign the revised agreement of bank locker) करके बैंक में जमा करना होगा।
बैंक लॉकर के लिए बेसिक रिक्वायरमेंट
अगर आप अपनी कीमती चीजों को सुरक्षित रखने के लिए बैंक में लॉकर लेने के बारे में सोच रहे है तो आपको इससे जुड़े नियमों के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। कुछ बैंकों में लॉकर की सुविधा के लिए ग्राहकों को उस बैंक में सेविंग अकाउंट (Savings account in Bank) या करंट अकाउंट (Current Account in banks) खोलने की जरूरत होती है। लॉकर की सुविधा पाने के लिए पैन कार्ड (PAN card) या आधार कार्ड (Aadhaar card details) और एक हाल ही में ली गई तस्वीर के साथ ही आइडेंटिफिकेशन प्रूफ और एड्रेस प्रूफ भी जमा करना होता है।
लॉकर के एग्रीमेंट पर साइन
अब अगर आप लॉकर लेने वाले है तो तो इसके लिए, बैंक एक डॉक्यूमेंट प्रोवाइड करता है जो बताता है कि बैंक की लॉकर सर्विस कैसे काम करेगी। इस डॉक्यूमेंट यानि कि एग्रीमेंट (locker agreement) पर दोनों पार्टियों को साइन करना होता है।
लॉकर का अलॉटमेंट
जब आप लॉकर लेने के लिए जाते है तो आपको वहां पता चलेगा कि बैंक के लॉकर का साइज छोटे से लेकर बड़े तक होता है और डिजाइन में ये सिंगल-टायर्ड या मल्टी-टायर्ड हो सकते हैं। लॉकर मिलने के बाद कस्टमर को अपना लॉकर खोलने के लिए एक स्पेसिफिक नंबर की चाबी दी जाती है और बैंक के पास इसकी मास्टर चाबी (Master key of locker) होती है।
पेमेंट
अगर आप नही जानते है तो आपको बता दें कि ज्यादातर मामलों में, बैंक एक सिक्योरिटी डिपॉजिट की मांग करते हैं जो फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed deposit or fd) या कैश अमाउंट के तौर पर हो सकता है। इसके अलावा, लॉकर किराए पर लेने की फीस ब्रांच की लोकेशन और किराए पर दिए जाने वाले लॉकर के साइज पर निर्भर करती है।
ये है बैंक लॉकर से जुड़ी अहम बातें
अपनी कीमती चीजों को सुरक्षित रखने के लिए अकसर लोग बैंक लॉकर (bank locker) का ही सहारा लेते है। क्योंकि ये काफी सुरक्षित होते हैं। हालांकि, इससे भी ज्यादा सुरक्षा के लिए आपको अपने लॉकर में रखे कीमती सामान का इंश्योरेंस (insurance of bank locker items) करा लेना चाहिए क्योंकि ज्यादातर बैंक एक डिस्क्लेमर प्रोवाइड करते हैं जिसमें कहा गया होता है कि वे लॉकर में रखे सामान के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। इसके अलावा, लॉकर के लिए किसी को नॉमिनी (bank locker nominee) भी जरूर करें। ताकि अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद वो उस लॉकर को एक्सेस कर सके।
नुकसान होने पर कौन करेगा यूजर की भरपाई?
बैंक द्वारा जारी किए गए नए नियम के अनुसार, बैंक की ओर से लापरवाही की वजह से यूजर को होने वाले किसी भी नुकसान के मामले में, बैंक की मैक्सिमम लायबिलिटी (Maximum liability of the bank) सालाना लॉकर के किराए की 100 गुना होगी। यानी लॉकर की जितनी सालाना फीस (locker fees) है उसका 100 गुना बैंक को उस लॉकर को इस्तेमाल करने वाले को भुगतान करना होगा।
लेकिन ऐसा कुछ मामलों में नही है जैसे कि प्राकृतिक आपदाओं के मामले में बैंक की कोई लायबिलिटी नहीं होगी। आपको इस बात के बारे में पता होना चाहिए कि प्राकृतिक आपदा (due to Natural Disaster) से मतलब भूकंप, बाढ़, बिजली गिरना, तूफान आना आदि से हैं। उनसे बैंक लॉकर को हुए किसी भी नुकसान के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होगा।