RBI ने सिबिल स्कोर को लेकर बनाए नए नियम, लोन लेने वालों पर होगा ये असर
My job alarm - (RBI rules for CIBIL score) : आपको बता दें कि CIBIL स्कोर खराब होने का सबसे बड़ा कारण समय पर लोन न चुकाना होता है और ईएमआई बाउंस होना है। और इसके अलावा कई अन्य कारणों से भी सिबिल स्कोर कम हो जाता है। इस समस्या को हल करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने CIBIL स्कोर को लेकर कई नए नियम बनाए हैं।
सबसे पहले तो आपको ये पता होना चाहिए अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है तो इससे आपको कौनसा बड़ा फायदा है। आपको बतादें कि अगर आपका सिबिल स्कोर 700 से ऊपर है तो आपको कोई भी बैंक लोन देने से मना नहीं करेगा। इसके साथ ही आपको ब्याज भी कम लगेगा। 700 से कम सिबिल स्कोर वालों को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। वहीं अगर आपका सिबिल स्कोर 500 से कम है तो कोई बैंक या फाइनेंस कंपनी लोन नहीं देगी। आईये अब जानते हैं सिबिल स्कोर को लेकर RBI के नए नियम...
हर 15 दिन में अपडेट होगा credit score
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आरबीआई के इन नए नियमों के तहत अब बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को हर 15 दिन में ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर अपडेट (credit score update) करना होगा। उन्हें ग्राहक की क्रेडिट जानकारी, जैसे कि उसने समय पर ऋण चुकाया है या नहीं, क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को हर दो सप्ताह में भेजनी होगी। सीआईसी उस जानकारी को तेजी से अपडेट करेगा। इससे बैंकों और ग्राहकों, दोनों को फायदा होगा।
अब हर ग्राहक का सिबिल स्कोर (CIBIL Score) हर महीने की 15 तारीख और अंत में अपडेट किया जा सकता है। क्रेडिट इंस्टीट्यूशन (सीआई) और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां (सीआईसी) चाहें तो 15 दिन के अंतराल पर डेटा अपडेट करने के लिए एक निश्चित तारीख भी तय कर सकते हैं।
जानिए कैसे बैंक और ग्राहकों को मिलेगा लाभ
हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार आपको बताते चलें कि आरबीआई का नया (New rules of CIBIL score) नियम का बैंकों के साथ-साथ ग्राहकों के लिए भी फायदेमंद होगा। क्रेडिट स्कोर तेजी से अपडेट होने से बैंक और एनबीएफसी बेहतर तरीके से तय कर पाएंगे कि किसे लोन देना है और किसे नहीं। अगर कोई ग्राहक लोन पर डिफॉल्ट (loan default) करता है तो 15 दिन के अंदर इसका पता चल जाएगा।
ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर जल्दी अपडेट हो जाएगा। और अब ऐसा होने पर खराब क्रेडिट स्कोर (bad credit scorer) पर तुरंत पता लगा सकेंगे कि उनके क्रेडिट स्कोर में सुधार हो रहा है या नहीं। वहीं, अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले लोगों का जोखिम मूल्यांकन अधिक सटीक होगा और उन्हें सस्ती दरों पर ऋण मिल सकेगा।
