RBI Guidelines : लोन नहीं भरने पर ग्राहक को देना होता है इतने दिन का नोटिस, जानिये RBI की गाइडलाइन
My job alarm - (Loan Recovery Rules) बहुत बार ऐसा होता है कि पैसों की आवश्यक्ता के चलते लोग लोन का सहारा लेते है फिर चाहे वो घर बनाने के लिए हो या कार खरीदने के लिए या फिर किसी बिजनेस में इन्वेस्ट करने के लिए, लोन हर तरह से आपकी आर्थिक आवश्यक्ताओं को पूरा करता (Bank Loan) है। लोन लेकर उसे समय से चुकाना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है। लेकिन अगर आप लोन नही चुका पाते हे तो एक निश्चित अवधि के बाद आपको लोन डिफॉल्टर (Loan Defaulter) घोषित कर दिया जाता है। लोन चुकाने में देरी होने से बैंक ग्राहक के घर कर्मचारी या एजेंट को भेजता है। यहां आपको इस बात के बारे में जानकारी होना जरूरी है कि वो आपको धमका नहीं (RBI guidelines) सकते।
रिकवरी एजेंट्स की ओर से लोन नहीं चुकाने वाले लोगों को प्रताड़ित करने की रिपोर्ट आने के बाद आरबीआई ने इस मामले में कुछ वर्ष पहले बैंकों को कड़ी फटकार लगाई (RBI action on bank) थी। इसके बाद बैंकों ने ग्राहकों के लिए कोड ऑफ कमिटमेंट के तहत बेस्ट प्रैक्टिसेस का स्वेच्छा से पालन करने का फैसला किया।
RBI के नियम
जब कोई लोनधारक लोन की राशि नही चुकाता है तो वो लोन डिफॉल्टर (who is loan defaulter) कहलाता है। फिर रकम वसूलना बैंक का काम हो जाता है। डिफॉल्ट के मामले में बैंक सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स (sarfaesi act) एक्ट के बकाया राशि वसूलने के लिए संपत्ति पर कब्जा करते हैं।
पहले लोन चुकाने का समय देना होता है। 90 दिनों या इससे ज्यादा समय तक बकाया नहीं चुकाने पर अगर डिफॉल्टर का खाता एनपीए श्रेणी (NPA category) में डाल दिया जाता है तो बैंक को डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस देना होता (bank notice on loan default) है। इसके अलावा, संपत्ति की बिक्री के लिए उसे 30 दिनों का सार्वजनिक नोटिस देना होता है। इसमें बिक्री की पूरी जानकारी होती है।
संपत्ति के सही मूल्यांकन न होने पर कर सकते है आपत्ति दर्ज
लोन धारक अगर लोन नही चुकाता है तो उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है और उस लोन की रकम वसूलने के लिए बैंक की ओर से उस डिफॉल्टर की संपत्ति की नीलामी (Auction of defaulter's property by bank) की जाती है। उससे पहले उसे नोटिस जारी किया जाता है। डिफॉल्टर अगर 60 दिनों की नोटिस अवधि के दौरान बकाया भुगतान करने या जवाब देने में असफल रहता है तो बैंक रकम वसूलने के लिए संपत्ति नीलाम करता है। अगर डिफॉल्टर की संपत्ति की कीमत (value of defaulter's property) कम आंकी गई है तो वह आपत्ति दर्ज करा सकता है। इसके अलावा, वह खुद बेहतर कीमत देने वाले खरीदार की ढूंढकर बैंक से मिलवा सकता है।
डिफॉल्टर को है बकाया पाने का अधिकार
इस बात को हम आपको एक उदाहरण की सहायता से बता दें कि मान लो कि किसी लोन डिफॉल्टर की संपत्ति की कीमत पूरे 1 करोड़ रुपये है और उस पर बैंक का 50 लाख रुपये बकाया है। अब ऐसे में होगा ये कि बैंक को बकाया राशि और अन्य सभी खर्चों की वसूली के बाद उसे बाकी बचे पैसे बकायेदार को लौटाने होते (Defaulter's right) हैं।
नोटिस को लेकर डिफॉल्टर के है ये अधिकार
डिफॉल्टर के अधिकारों की अगर बात की जाए तो वो नोटिस अवधि के दौरान संपत्ति पर कब्जे के नोटिस पर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता (bank defaulter) है। इस पर अधिकारी को 7 दिनों में इसका जवाब देना होता है। अधिकारी अगर आपत्ति खारिज करता है तो उसे इसके वैध कारण बताने होंगे। ऐसा नही है कि वो अपने मनमाने ढ़ंग से डिफॉल्टर की आपत्ति को खारिज कर (bank defaulter rights) देंगे।
डिफॉल्टर की निजता का ध्यान जरूरी
ऐसा नही है कि बैंक द्वार भेजा गया रिकवरी एजेंट कभी भी कहीं भी लोन डिफॉल्टर को रोक सकता है या उससे बात कर सकता है। उसे डिफॉल्टर की निजता का विशेष ध्यान (bank should Respect for defaulter's privacy) रखना भी बेहद जरूरी है। वे डिफॉल्टर के पसंदीदा स्थान पर ही मुलाकात कर सकते हैं। जगह नहीं बताने के मामले में कर्मचारी या एजेंट डिफॉल्टर (recovery agents rights) के घर या कार्यस्थल पर जाकर मिल सकते हैं। और इतना ही नही, इसका भी निर्धारित समय है। वह भी सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक। इसके पहले और इसके बाद लोनधारक को तंग नही किया जा सकता है।