होम लोन वालों को RBI ने दी बड़ी राहत, सभी बैंकों को जारी की गाइडलाइन
My Job alarm - भारत का केंद्रीय बैंक ग्राहकों की सुविधा के लिए और उन्हे उनके सही अधिकार दिलाने के लिए लगातार नियमों और कानूनों में समय और जरूरतों के अनुसार संशोधन करता रहता (RBI new guidelines) है। ऐसे में हाल ही में आरबीआई के द्वारा किए गए वार्षिक निरीक्षण में पाया है कि कुछ बैंक या लोन देने वाली संस्थाएं (lending institutions) ग्राहकों से ब्याज वसूलते समय गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसके बाद केंद्रीय बैंक ने इसे देखते हुए ग्राहकों के हित के लिए नई गाइडलाइन जारी की (RBI guidelines) है।
रिजर्व बैंक के नए नियम के बारे में बता दें कि इस नए नियम के तहत लोन देने वाले सभी बैंको या संस्थाओं को ग्राहक को धनराशि के वास्तविक वितरण तिथि से ब्याज वसूलना (interest on loan) जरूरी कर दिया गया है। आइए नीचे अच्छे से जान लें इस नियम के बारे में पूरी जानकारी...
यहां चेक करें देश के प्रमुख बैंकों में क्या है प्रोसेसिंग फीस
हाल ही में जारी आरबीआई (Reserve Bank of India) की नई गाइडलाइन्स के बाद लोन ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है। हालांकि बैंकों को कई 100 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। आइए जान लें कि भारतीय स्टेट बैंक ( SBI ), एचडीएफसी बैंक (HDFC) , आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) , कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) और पंजाब नेशनल बैंक ( PNB ) के होम लोन के प्रोसेसिंग शुल्क (home loan processing fee) क्या हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक होम लोन पर अपने ग्राहकों से प्रोसेसिंग फीस के तौर पर लोन की राशि का 0.35% प्लस लागू जीएसटी वसूलता है, जो न्यूनतम 2,000 रुपये प्लस जीएसटी और अधिकतम 10,000 रुपये प्लस लागू जीएसटी (processing charges of SBI) है।
पंजाब नेशनल बैंक अपने ग्राहकों से लोन की राशि पर 1% + जीएसटी का प्रोसेसिंग चार्ज वसूलता (processing charges of PNB) है।
वहीं, दिग्गज निजी बैंक HDFC Bank लोन की राशि पर अधिकतम 1% और न्यूनतम 7500 रुपये प्रोसेसिंग फीस के तौर पर वसूलता (processing charges of HDFC) है।
इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक ऋण राशि का 0.50% - 2.00% या 3000 रुपये जो भी अधिक हो वसूलता (processing charges of ICICI bank) है।
इस तरीके से ग्राहकों से ज्यादा वसूला जा रहा था ब्याज
बैंक ग्राहकों की परेशानियों को देखते हुए केंद्रीय बैंक (central bank of India) के द्वारा बैंकों का निरिक्षण किया गया जिसमें कि ये पाया गया है कि कुछ ऋणदाता लोन पर ब्याज लोन देने की तारीख की बजाय लोन मंजूर होने की तारीख से ब्याज वसूल (Interest charged from the date of loan sanction) रहे हैं।
RBI ने यह भी कहा कि ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां चेक के जरिए लोन वितरित किए गए और कर्जदाताओं ने चेक की तारीख से ब्याज वसूला है, जबकि चेक ग्राहक को कई दिनों बाद सौंपा गया। आरबीआई (RBI) ने विनियमित संस्थाओं को चेक जारी करने के बजाय ऑनलाइन खाता हस्तांतरण (online account transfer) के माध्यम से लोन वितरित करने का भी निर्देश दिए थे।