लोन लेने वाले करोड़ों ग्राहकों को RBI ने दी बड़ी राहत, सभी बैंकों को जारी किए निर्देश
RBI - लोन लेने वाले करोड़ों ग्राहकों को भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ी राहत दी है. दरअसल, आरबीआई (Reserve Bank Of India) ने बैंकों और सभी एनबीएफसी (NBFC) को निर्देश जारी किए हैं कि उन्हें नए नियमों के अंतर्गत ही लोन देना होगा. इस अपडेट से जुड़ी पूरी डिटेल जानने के लिए खबर के साथ अंत तक बने रहे...
My job alarm - लोन्स के मामले में ग्राहकों के हित की रक्षा के लिए आरबीआई (Reserve Bank Of India) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इस प्रोसेस में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए, RBI ने सभी बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को लोन लेने वाले व्यक्ति को सभी जरूरी डिटेल्स प्रदान करने का निर्देश दिया है. साथ ही वे लोन देते समय ग्राहकों से किसी भी शर्त को छिपा भी नहीं पाएंगे.
ग्राहकों को ब्याज के साथ ही अन्य छिपी हुई लागत के बारे में भी जानकारी देनी होगी. इसमें बेसिक जानकारी के अलावा सभी फीस और एनुअल कॉस्ट (Annual Cost) शामिल होगी. इस स्टेटमेंट में रिकवरी एजेंटों पर पॉलिसी, शिकायतों के लिए कॉन्टैक्ट डिटेल्स (Contact Details) और दूसरों को लोन बेचे जाने की संभावना की डिटेल्स भी देनी होंगी. यह निर्देश 1 तारीख से लागू हों गए है.
आरबीआई ने कहा, "रेगुलेटेड एंटिटीज इन दिशानिर्देशों (Regulated entities these guidelines) को जल्द से जल्द लागू करने के लिए जरूरी सिस्टम और प्रक्रिया तैयार करेंगी. इसके बाद अप्रुवड सभी नए रिटेल और MSME टर्म लोन्स इस दिशानिर्देशों पालन करेंगे. इसमें मौजूदा ग्राहकों को दिए गए नए लोन भी शामिल होंगे.
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से ये कहा गया है कि ये बदलाव यह सुनिश्चित करेंगे कि ग्राहक समझें कि लोन लेने पर उन्हें क्या मिल रहा है. इससे चीजों को निष्पक्ष बनाने में सहायता मिलेगी और लोन लेने वाले को अपने पैसे के बारे में बेहतर विकल्प चुनने का ऑप्शन भी मिलेगा. ये नए नियम व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों के लिए सभी प्रकार के लोन्स पर लागू होंगे.
पहली बार एनुअल परसेंटेज रेट-
इस बीच एक प्रमुख इनफार्मेशन फील्ड 'एनुअल परसेंटेज रेट' को पहली बार पेश किया गया है. यह लोन लेने वाले के लिए लोन की एनुअल कॉस्ट है, जिसमें ब्याज दर और अन्य शुल्क शामिल हैं. आरबीआई ने कहा, "वास्तविक आधार पर थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद से रेग्युलेटेड एंटिटीज ने लोन लेने वालों से जो चार्जेज वसूले हैं, वह भी एपीआर का हिस्सा होंगे और इसका अलग से खुलासा किया जाएगा. इनमें बीमा और कानूनी चार्जेज शामिल हैं."
एपीआर लोन लेने वाले और यहां तक कि एग्रीगेटर्स को अलग-अलग लेंडर्स से लोन की कुल लागत की तुलना करने की अनुमति देगा.
आरबीआई 2015 से लोन्स के मामले में पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिशों में जुटा हुआ है. इन मानदंडों को 2022 में माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (Microfinance Institutions) के लिए और बाद में उसी साल डिजिटल लेंडर्स (Digital Lenders) के लिए ठीक किया गया था. इस साल फरवरी में मॉनेटरी पॉलिसी (Monetary policy) में घोषित विकास उपायों के साथ, आरबीआई ने कहा था कि वह मुख्य फैक्ट्स स्टेटमेंट की जरुरत पेश करेगा.