My job alarm

RBI ने नही की ब्याज दरों में कटौती, जान लें क्या है बड़ा कारण

RBI Interest Rates : हाल ही में भारत के केंद्रीय बैंक की 3 दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे सामने आ रहे है। इस बार भी आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में कोई बदलाव नही किया गया है। जिसका साफ सीधा मतलब ये है कि इस बार भी ब्याज दरों में कोई कटौती नही होने वाली है। लेकिन अब लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे है कि आखिर रेपो रेट को स्थिर रखने के पीछे मुख्य कारण क्या है क्यो गर्वनर (RBI  Governer)  के द्वारा इसमें कोई बदलाव नही किए जा रहे है अगर आप भी इसी दुविधा में है तो आइए नीचे खबर में जान लें रेपो रेट में स्थिरता का कारण...
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RBI ने नही की ब्याज दरों में कटौती, जान लें क्या है बड़ा कारण

My Job Alarm - (Repo Rate)  मौद्रिक नीति समिति की बैठक की बैठक के बाद से देश में लगभग जनता की नजरें आरबीआई  के नतीजों के ऐलान पर ही रूकी हुई (RBI MPC meeting 2024) है। लेकिन आरबीआई के द्वारा की गई नतीजों की घोषणा के बाद से जनता में काफी रोष है और अब लगभग सब के मन में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर इस बार भी रेपो रेट (repo rate) को स्थिर रखने के पीछे क्या कारण हो सकता है। क्यो भारत के केंद्रीय बैंक के द्वारा इनमें बदलाव नही किया जा रहा है। आज हम आपको इसके पीछे के कारण के बारे में ही बताने वाले है। 


ब्याज दरों में कटौती को लेकर अपडेट


4-6 दिसंबर 2024 के दौरान RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हुई है। इस बैठक के नतीजे भी बाहर आ गए है लेकिन इस बार भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI latest news) ने लगातार 11वीं बार नीतिगत ब्याज दरों (Repo Rate updates) में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब था कि आपकी मौजूदा EMI न तो बढ़ेगी और न ही घटेगी। इस मामेल पर एक्सपर्ट पहले ही ये अनुमान जता रहे थे कि आरबीआई इस बार भी ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं करने वाला है। 


महंगाई घटाने पर RBI का पूरा ध्यान


भारत के केंद्रीय बैंक का पूरा जोर फिलहाल महंगाई को घटाने पर है। यह बात खुद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikant Das) कई बार स्पष्ट तौर पर बोल चुके हैं। सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई 2 फीसदी के घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी पर रखने का जिम्मा दे रखा (retail inflation rate) है। लेकिन, अक्टूबर में खुदरा महंगाई 6.21 फीसदी पहुंच गई यानी आरबीआई की सहनशक्ति के बाहर।
आरबीआई के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात खाद्य मुद्रास्फीति (food inflation rate) है, जो पिछले कई महीनों से नीचे आने का नाम नहीं ले रही है। यही वजह है कि आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती से अभी के लिए परहेज किया।


भारतीय रुपया डॉलर के आगे पड़ रहा कमजोर 


एक और वजह की अगर बात की जाए तो डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया (indian rupee value) लगातार कमजोर होता जा रहा है। अभी आखिरी अपडेट के अनुसार ये 84.75 के स्तर तक पहुंच गया था, जो इसका ऑल-टाइम लो है। ऐसेस में आरबीआई रुपये को मजबूत बनाए रखने के लिए लगातार डॉलर बेच रहा है। इसके चलते भी आरबीआई ब्याज दरों में कटौती (RBI interest rates) का जोखिम लेने से बच रहा है, क्योंकि इससे महंगाई के बेकाबू होने खतरा रहेगा। इसका ओवरऑल इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ सकता है।


आरबीआई गर्वनर (RBI updates) का कहना है कि अगर महंगाई बेकाबू हुई, तो घरेलू उद्योगों और निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ेगा। इसका मतलब है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेने से पहले आर्थिक संकेत कों के स्थिर होने का भी इंतजार कर रहा है।


इन कारणों से बढ़ सकती है महंगाई 


अगर महंगाई की बात की जाए तो बता दें कि अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति (America's newly elected president) डोनाल्ड ट्रंप लगातार टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि वह राष्ट्रपति बनते ही चीन मैक्सिको और कनाडा से आने वाली सभी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे। इसके एक बार फिर ट्रेड वॉर छिड़ने का खतरा पैदा हो गया है। यह फैक्टर भी महंगाई बढ़ा सकता है।


केवल इतना ही नही, दूर दृष्टिता को देखते हुए आरबीआई (RBI) की नजर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध संकट पर भी है, जो पिछले और भी ज्यादा गहरा गया। यूक्रेन ने रूस पर अमेरिकी मिसाइल से हमला किया। रूसी राष्ट्रपति (Russian President) व्लादिमीर पुतिन ने जवाब में परमाणु हमले की चेतावनी दी। साथ ही, मध्य-पूर्व एशिया में भी जारी तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ये संकट ग्लोबल सप्लाई के लिए चुनौती बन सकते हैं, जिनसे महंगाई और भी ज्यादा बेकाबू हो सकती है।

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