RBI Action : लोगों से वसूला जा रहा था मनमाना ब्याज, RBI ने लिया सख्त एक्शन
RBI Action : हाल ही में आरबीआई (Reserve Bank Of India) ने गैर बैंकिंग माइक्रो लेंडर्स पर सख्त एक्शन लिया है. शिकायत मिलने के बाद आरबीआई ने इन 4 कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया है. RBI ने यह फैसला इन कंपनियों की ओर से ग्राहकों से बहुत ज्यादा ब्याज वसूलने के कारण लिया है.

My job alarm - हाल ही में आरबीआई (Reseve Bank Of India) ने चार बड़ी NBFC कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की है. आरबीआई ने इन कंपनियों पर बैन लगा दिया है. इनकी जांच करने पर पता चला कि वे गरीबों और मध्य वर्ग के जरूरतमंदों की मजबूरी का फायदा उठाकर बाकायदा सूदखोरी कर रहे थे. बता दें कि इन गैर बैंकिंग संस्थानों ने लोगों से इतना ज्यादा ब्याज वसूला कि उनकी कमर की टूट गई. आखिर जब पता चला तो रिजर्व बैंक ने उनका लाइसेंस रद्द (license canceled) करके धंधा बंद करा दिया.
कैसे करते थे वसूली-
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने नोटिफिकेशन में बताया कि अपने कारोबार और मुनाफे का विस्तार 14 प्रतिशत बनाए रखने के लिए ये माइक्रोलेंडर्स लोगों से मनमाना ब्याज वसूलते थे. इन संस्थानों के वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट (weighted average lending rate) प्राइसिंग पॉलिसी चिंताजनक थी. ये संस्थान जितना लोन नहीं देते थे, उससे ज्यादा रकम ब्याज के रूप में वसूल लेते थे. यह सीधे तौर पर आरबीआई के रेगुलेशन के खिलाफ था.
इन संस्थानों पर चला RBI का डंडा-
रिजर्व बैंक ने मामले की तहकीकात करने के बाद आरोप सही पाए जाने पर 4 गैर बैंकिंग माइक्रोलेंडर्स पर सख्त कार्रवाई की. इसमें आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड, आरोहण फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड, डीएमआई फाइनेंस और सचिन बंसल नवी फिनसर्व शामिल हैं. इन सभी का लाइसेंस आरबीआई ने 17 अक्टूबर को कैंसिल कर दिया है. साथ ही इनसे कहा है कि अब तत्काल प्रभाव से लोन बांटना बंद कर दें.
जान लें आरबीआई की गाइडलाइन-
- लोन बांटने का काम सिर्फ आरबीआई से लाइसेंस प्राप्त कंपनियों या संस्थानों द्वारा ही किया जाएगा.
- इसमें सिर्फ कर्ज लेने वाला और बांटने वाला ही शामिल होगा. अगर कोई अन्य या थर्ड पार्टी शामिल होती है तो उसकी फीस को कर्ज बांटने वाला वहन करेगा, न कि इसका बोझ ग्राहक पर डाला जाएगा.
- ब्याज की दरें आरबीआई के रेगुलेशन के हिसाब से ही होनी चाहिए.