बजट 2025 को लेकर PM Modi ने की अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक, रोजगार और कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर की चर्चा
Union Budget 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जाने-माने अर्थशास्त्रियों के साथ एक बैठक की, जिसमें आगामी 2025-26 के बजट पर चर्चा की गई। बैठक में रोजगार सृजन, कृषि उत्पादकता (agricultural productivity) और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजी जुटाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किए गए.... आइए नीचे खबर में जान लेते है इस अपडेट से जुड़ी पूरी जानकारी-

My job alarm - (Union Budget 2025) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जाने-माने अर्थशास्त्रियों के साथ एक बैठक की, जिसमें आगामी 2025-26 के बजट पर चर्चा की गई। बैठक में रोजगार सृजन, कृषि उत्पादकता (agricultural productivity) और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजी जुटाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किए गए। नीति आयोग में हुई इस मुलाकात में प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों के सुझावों को ध्यान से सुना और उन्हें बजट (Budget) में शामिल करने के तरीकों पर चर्चा की। यह बैठक भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के भविष्य को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) एक फरवरी, 2025 को लोकसभा में वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी। आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को मानसिकता में बुनियादी बदलाव के माध्यम से हासिल किया जा सकता है, जो 2047 तक देश को विकसित बनाने पर केंद्रित है। बैठक में अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों (economists and experts) ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। इनमें वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितताओं से उत्पन्न चुनौतियों से निपटना, युवाओं के लिए रोजगार बढ़ाने की रणनीति और सभी क्षेत्रों में स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करना शामिल हैं।
इसके अलावा शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों (Education and Training Programs) को रोजगार बाजार की उभरती जरूरतों के साथ जोड़ने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और स्थायी ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा करने, निजी निवेश को आकर्षित करने तथा आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने को लेकर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) के लिए कोष जुटाने पर भी सुझाव दिए गए। बयान के अनुसार, बैठक में वित्तीय समावेश और निर्यात को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भी सुझाव दिए गए।
बैठक में उपस्थित जाने-माने अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों में सुरजीत एस भल्ला, अशोक गुलाटी, सुदीप्तो मंडल, धर्मकीर्ति जोशी, जन्मेजय सिन्हा, मदन सबनवीस, अमिता बत्रा, रिधम देसाई, चेतन घाटे, भरत रामास्वामी, सौम्य कांति घोष, सिद्धार्थ सान्याल, लवीश भंडारी, रजनी सिन्हा, केशब दास, प्रीतम बनर्जी, राहुल बाजोरिया, निखिल गुप्ता और शाश्वत आलोक शामिल थे। यह बैठक आर्थिक वृद्धि में आई सुस्ती के बीच हुई है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर (India's economic growth rate) जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 प्रतिशत रही, जो जून की 6.7 प्रतिशत से कम है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है, जिसका कारण निजी निवेश और घरों की मांग में अपेक्षा से कम वृद्धि है।
इसी महीने भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने भी 2024-25 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। यह संकेत देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की गति धीमी हो रही है, जो विभिन्न आर्थिक गतिविधियों और उपभोक्ता मांग पर असर डाल रही है। यह स्थिति नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती है।