Multiple Bank Account : एक से ज्यादा बैंक अकाउंट वालों का सिबिल स्कोर हो सकता है खराब, जानिए ये जरूरी बात
Multiple Bank Account : हर बैंक खाते को मेनटेन करने के लिए उसमें राशि का एक तय अमाउंट (मिनिमम बैलेंस) रखना ही होता है. इसके चलते एक से ज्यादा अकाउंट होने पर आपका बड़ा अमाउंट बैंकों में ही फंस जाता है. साथ ही आपको बता दें कि आपके खाते में न्यूनतम बैलेंस मेनटेन (Minimum balance) नहीं होने से क्रेडिट स्कोर (Credit Score) खराब होता है...
My job alarm - मौजूदा समय में हर व्यक्ति के पास बैंक खाता है. लेकिन, कई बार हम एक से ज्यादा अकाउंट्स (Multiple Account) खुलवा लेते हैं. लेकिन एक से ज्यादा अकाउंट होने से आपका बड़ा अमाउंट तो बैंकों में ही फंस जाएगा. उस राशि पर आपको ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 प्रतिशत ही सालाना रिटर्न (Savings Bank account Interest rate) मिलता है. वहीं, अगर सेविंग अकाउंट (saving account) में पैसे रखने के बजाए दूसरी योजनाओं में लगा दें तो आपको सालाना रिटर्न के तौर पर ज्यादा ब्याज मिलेगा.
मेंटनेंस फीस और सर्विस चार्ज भी देना पड़ता है-
अगर आपके पास एक से ज्यादा अकाउंट हैं तो आपको हर अकाउंट के लिए सालाना मेंटनेंस फीस और सर्विस चार्ज (Maintenance fees and service charges) देने पड़ते हैं. इसके अलावा बैंक आपसे क्रेडिट और डेबिट कार्ड (Debit card) जैसी अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी पैसे चार्ज करता है. ऐसे में यहां भी आपको नुकसान उठाना पड़ता है.
क्रेडिट स्कोर होता है खराब-
अगर आपके पास एक से ज्यादा निष्क्रिय खाते होने से आपके क्रेडिट स्कोर पर भी इसका खराब असर पड़ता है. आपके खाते में न्यूनतम बैलेंस मेनटेन (Minimum balance) नहीं होने से क्रेडिट स्कोर (Credit Score) खराब होता है. इसलिए कभी भी निष्क्रिय खाते को हल्के में न लें और नौकरी छोड़ने के साथ ही उस खाते को बंद करा दें.
आयकर विभाग की रहती है नजर-
ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से टैक्स जमा करते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कागजी कार्रवाई में भी ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ती है. साथ ही इनकम टैक्स (ITR return file) फाइल करते समय सभी बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां रखनी पड़ती है. अक्सर उनके स्टेटमेंट का रिकॉर्ड जुटाना काफी पेचीदा काम हो जाता है. सभी बैंकों की डीटेल (Bank Details) नहीं देने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income tax department) की नजर में आ जाते हैं.
सैलरी से सेविंग में कन्वर्ट हो जाता है अकाउंट-
कई बार आप जब नौकरी बदलते हैं तो आपको अपना बैंक अकाउंट भी बदलना पड़ता है. ऐसे में जब सैलरी अकाउंट में तीन महीने तक सैलरी नहीं आती है तो वह अकाउंट सेविंग अकाउंट में कन्वर्ट हो जाता है. बता दें कि सैलरी और सेविंग अकाउंट दोनों के नियम अलग-अलग होते हैं.
सेविंग अकाउंट में तब्दील होने से खाते को लेकर बैंक के नियम बदल जाते हैं. फिर बैंक उसे सेविंग अकाउंट (saving account) के रूप में ट्रीट करते हैं. बैंक के नियम के मुताबिक, सेविंग अकाउंट में एक न्यूनतम राशि मेनटेन करनी जरूरी है. अगर, आप यह मेनटेन नहीं करते हैं तो आपको पेनल्टी (penalty) देनी पड़ सकती है और आपके खाते में से जमा रकम से बैंक पैसा काट सकते हैं.