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loan guarantor : लोन नहीं भरने पर क्या गारंटर को चुकाना पड़ेगा पैसा, जानिये क्या है बैंकों का नियम

Loan Repayment Rules : अगर आपसे कोई कहे कि आप उसके लोन गारंटर बन जाए तो क्या आप उसे हां कहेंगे या ना? इसका जवाब तब मिलेगा जब आपको इसके फायदे या नुकसान के बारे में जानकारी होगी। अब आपके मन में ये सवाल भी उठ रहे होंगे कि अगर आप किसी के लोन गारंटर बनते भी है तो क्या लोनधारक द्वारा कर्ज न चुका पाने की स्थिति में गारंटर (Loan Guranantor)  को सारे कर्ज कर भु्गतान करना होगा? इन सभी सवालों के जवाब आज आपको हमारी खबर के माध्यम से मिलने वाले है तो और देरी न करते हुए पढ़िए पूरी खबर विस्तार से-
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loan guarantor : लोन नहीं भरने पर क्या गारंटर को चुकाना पड़ेगा पैसा, जानिये क्या है बैंकों का नियम

My job alarm -  (loan guarantor responsibilities) बहुत बार ऐसा होता है कि हमारा कोई दोस्त या रिश्तेदार अचानक आकर हमें बोलता है कि हम उसके लोन गारंटर बन जाए और हम तुरंत तैयार भी हो जाते हैं क्योंकि हमें विश्वास होता है कि वो समय पर लोन का भुगतान (Loan Repayment) कर देगा। ऐसे में अगर आपको कहें कि लोन गारंटर बनना जोखिम भरा होता है तो शायद आप इसे मजाकिया माने और ध्यान न दें। जबकि यह बात सच है कि लोन गारंटर (Loan Guranantor) बनना कभी कभी जोखिम भरा भी होता है। अब ऐसे में आप सोच में पड़ गए होंगे कि किसी का लोन गारंटर बनना भी चाहिए या नही। ये जोखिम भरा हो भी सकता है क्योंकि कई बार लोन लेने वाले लोन चुका पाने में सक्षम नही होते है। कुछ लोगों की मजबूरी होती है तो कुछ लोग जानबूझ कर डिफॉल्ट करते हैं। अधिकतर डिफॉल्ट करने वाले लोगों को यही लगता है कि कार्रवाई होगी भी तो वे उसे (banl auction on loan default) देख लेंगे।

 
अमूमन लोग बैंकों या गैर-वित्तीय संस्थाओं (banks or non-financial institutions) के पैसे चुका देते हैं क्योंकि उन्हें कार्रवाई का डर होता है। आज के समय में लोन लेना मजबूरी है तो कही-कहीं जरूरी भी। होम लोन लेकर घर बनाते हैं और वही ऑटो लोन लेकर हम गाड़ी खरीदते हैं। दोनों की जरूरतें अलग-अलग हैं। फिर उस लोन पर ब्याज भरते हैं। जो लोग ब्याज और मूलधन (Loan amount and interest rates)  का पैसा नहीं चुकाते, वे डिफॉल्ट घोषित हो जाते हैं।


लोन डिफॉल्ट होने पर क्या होगा?


लोन लिया है तो जाहिर सी बात है कि आपको उसे समय पर चुकाना भी होगा। हर महीने समय पर आपको उसकी ईएमआई (Loan EMI) भी भरनी होगी। बहुत से लोग इसके परिणाम से भी अंजान होते है। तो क्या लोन नहीं चुकाने या डिफॉल्टर घोषित होने पर बहुत बड़ी आफत आ जाती है? आपकरी जानकारी के लिए बता दें कि यह पूरी तरह से लोन लेने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है। जो लोग लोन डिफॉल्टर के रूल और अपने अधिकार जानते (Loan default rules and loan holder rights)  हैं, वे बैंकों या गैर-वित्तीय संस्थानों के सामने मजबूती से अपनी बात रखते हैं। 


वे इसके पीछे की ठोस वजह बताते हैं कि अभी पैसा क्यों नहीं लौटा पा रहे और भविष्य में उधार का पैसा लौटा देने की वे मंशा रखते हैं। जानकारी के अनुसार डिफॉल्ट होने पर 2 तरह की मुश्किल होती है। पहली और मेन दिक्त तो ये होगी कि आपका क्रेडिट स्कोर निगेटिव (cibil score) में चला जाएगा। लोन लेने और उसे नहीं चुकाने पर आपके क्रेडिट से जुड़ी सभी जानकारी सिबिल को भेज दी जाती है। ये सूचनाएं और भी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (credit rating agency)  को दी जाती हैं। इससे आगे लोन लेने में दिक्कत आएगी। अगर आपने लोन लेने के लिए कोई प्रॉपर्टी बंधक रखी है तो बैंक उसे कैप्चर कर सकता है। बाद में अगर आप लोन नही चुकाते है तो अंत में आपकी  प्रोपर्टी की  नीलामी भी कराई जा सकती है।


लोनधारक को मिलती है कितनी मोहलत?


लोन की ईएमआई (loan emi payment rules) आए महीने चुकानी होती है। जब आप पहली EMI मिस कर देते है तो बैंक की ओर से ज्यादा कुछ एक्शन नही लिया जाता है। इसके बाद अगर आप दूसरी EMI भी स्किप कर देते है तब बैंक की ओर से आपको रिमाइंडर भेजा जाता है। कहने का मतलब ये है कि कर्ज न चुकाने पर लोनधारक (loan holder rights)  पर हाथों हाथ कार्रवाई नही शुरू होती है। बैंकों की तरफ से इसकी कुछ मोहलत दी जाती है। 


इसमें सबसे पहले तो लोन लेने वाले व्यक्ति को एक नोटिस भेजा जाता है जिसमें लोन और ब्याज की राशि का जिक्र होता है। अगर बैंक को लगता है कि उधारकर्ता जानबूझ कर कर्ज नहीं चुका रहा, पैसे रहते हुए समय पर ईएमआई नहीं चुकाई गई या रीपेमेंट (loan repayment process)  नहीं किया गया, तो बैंक कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है। लोन लेने वाले व्यक्ति के साथ कोई गारंटर है तो बैंक पहले उससे संपर्क करता है। इसके लिए गारंटर एग्रीमेंट होता है। इसमें लिखा जाता है कि लोन लेने वाला आदमी उधार चुकाने में डिफॉल्ट करता है तो गारंटर को पैसा भरना होगा।


बैंक कब करता है कार्रवाई शुरू?


अगर आपने लोन लिया है और अब उसे नही चुका पा रहे है तो आपको बता दें कि लोन नही चुका पाने वाले व्यक्ति पर बैंक की ओर से कार्रवाई की जाती है। ये कार्रवाई पहला रीपेमेंट (action on loan defaulter) नहीं चुकाने के साथ ही शुरू कर दी जाती हैं। लेकिन यह कार्रवाई कितनी गंभीर हो सकती है, वह बैंक और कस्टमर के बीच पनपे विवाद या रिश्ते पर निर्भर करता है। 


बता दें कि शुरुआती कोशिशें जब नाकाम हो जाती हैं, तभी बैंक कानूनी कार्रवाई शुरू करते हैं। मान लो कि अगर अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, या उसके साथ कोई हादसा हो जाए या वो गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो बैंक रीपेमेंट में मोहलत (deferment in repayment of loan) देता है। यह मोहलत उधार लेने वाले व्यक्ति (यदि दुर्घटना हो जाए या गंभीर तबीयत खराब) और उसके परिवार को मिलती है। रिजर्व बैंक का साफ कहना है कि उधारकर्ताओं को मोहलत देनी है और बैंक कभी बाहुबल का इस्तेमाल नहीं कर सकते।


लोन की मूल रकम से ज्यादा ब्याज होने पर...


आपने लोन कभी लिया है तो आप लोन के चक्करों से वाकिफ ही होंगे लेकिन फिर भी हम बता दें कि कभी-कभी स्थिति ये भी आ जाती है कि आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर लोनधारक समय पर ब्याज चुका पाने में असफल हो जाता है। इससे होता ये है कि  मूलधन से ज्यादा ब्याज की राशि हो जाती है। ऐसे में उधारकर्ता लोन चुकाने में असमर्थ हो जाता है। इसमें मोहलत देते हुए बैंक वन टाइम सेटलमेंट का ऑफर देते हैं। इस दशा में बैंक इस लोन को गैर निष्पादित संपत्ति(non performing asset) में डाल देते हैं। इसमें उधार लेने वाला आदमी दिवालिया घोषित हो जाता है जो लोन चुकाने में अक्षम मान लिया जाता है।


बचाव के लिए क्या करें?


इससे बचने के लिए बैंक उस आदमी को एक बार में थोड़ी राशि चुका कर लोन से बाहर निकलने का मौका देती है। इसमें देखा जाता है कि बैंक मूलधन और ब्याज की अधिकांश राशि माफ कर देते हैं और एक लमसम राशि देने का प्रस्ताव दिया जाता है। इसका फायदा लिया जा सकता है लेकिन क्रेडिट स्कोर बट्टा खाते (credit score discount account) में चला जाएगा और आगे किसी तरह का लोन लेना मुश्किल होगा।
 

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