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Loan EMI : लोन की EMI नहीं चुका पाने पर भी सिबिल स्कोर नहीं होगा खराब, बस करना होगा ये काम

Loan EMI : लोन लेना अधिकतर लोगों की बेसिक जरूरत होती हैं। बैकों द्वारा कईं तरह के कर्ज दिए जाते हैं जैसे कि ये पर्सनल या व्हीकल या होम लोन हो सकता है। लेकिन आप ये बात जानते हैं कि लोन लेने के बाद ईएमआई भी भरनी पडती हैं। लेकिन कईं बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि लोग समय पर किस्त नहीं भर पाते हैं। यदि आपके साथ भी ऐसा हो जाए तो आप सिर्फ ये 5 काम करके टेंशन से फ्री हो जाएगें...
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Loan EMI : लोन की EMI नहीं चुका पाने पर भी सिबिल स्कोर नहीं होगा खराब, बस करना होगा ये काम

My job alarm - (Loan EMI) अक्सर ऐसा देखा जाता हैं कि बैंक से किसी भी प्रकार का लोन लेना पड जाता हैं और कईं लोग किन्हीं हालातों के कारण समय पर किस्त नहीं भर पाते हैं तो बैंकों के द्वारा ग्राहकों के पास लोन लेने के लिए रिकवरी एजेंट भेजे जाते हैं जिसके चलते ग्राहक परेशान हो जाते हैं। दरअसल, यह अनसिक्योर्ड (personal loan) लोन होता है जिस पर ज्यादा ब्याज देनी होती है। लोन न चुकाने पर पहले तो बैंक ब्याज जुर्माना लगाते हैं। लेकिन आपको ये जानकारी होना बेहद जरूरी हैं कि रिजर्व बैंक के मुताबिक लोन लेने वाले शख्स के भी कुछ अधिकार होते हैं।

 

1. बैंक से बात करें -
अगर आपकी पर्सनल प्रॉब्लम होने के कारण आप समय पर किस्त नहीं भर पाते हैं तो उस बैंक से बात करें जहां से लोन लिया है। लोन अगर NBFC कंपनी जैसे Bajaj Finserv, Tata Capital, Kreditbee, Navi Finserv आदि से लिया है तो इनके भी कस्टमर केयर नंबर पर बात करें और बताएं कि आपकी आर्थिक स्थिति अभी ठीक नहीं है। इसलिए लोन की EMI देने के (rbi personal loan) लिए कुछ समय चाहिए। बेहतर होगा कि अपनी समस्या लिखित में बताएं ताकि आपके पास उसका प्रूफ भी रहे। इसके लिए ईमेल करना अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

 

2. बची रकम रीस्ट्रक्चर कराएं -
अगर आप किसी समस्या के कारण ऐसी स्थिति में फंस जाते हैं तो आप बैंक से बात करके लोन की बची रकम को रीस्ट्रक्चर (Personal Loan balance transfer benefits) करवा सकते हैं। इससे लोन की EMI कम हो जाती है। हालांकि लोन चुकाने का कुल समय बढ़ जाता है। लोन की बची रकम को रीस्ट्रक्चर करवाने से बैंक को भी फायदा होता है क्योंकि उन्हें पहले के मुकाबले ज्यादा रकम मिलती है।

 

 

3. जुर्माना हटवाने के लिए कहें -
अगर लोन की EMI चुकाने में 2-3 महीने से ज्यादा का समय निकल जाए तो बैंक का जुर्माना ग्राहक पर बढ जाता हैं। इतने समय में (what is balance transfer) अगर आपके पास फंड का इंतजाम हो जाता है तो बैंक से जुर्माना हटाने के लिए कह सकते हैं। ज्यादातर बैंक यह जुर्माना हटा भी देते हैं।

4. बैलेंस ट्रांसफर करवाएं -
आप किसी दूसरे बैंक से लोन की बात करें और उससे बैलेंस ट्रांसफर के बारे में जानकारी लें। हां, आप अपने मौजूदा लोन की शेष राशि को दूसरे ऋणदाता को ट्रांसफ़र करा सकते हैं। इसे बैलेंस ट्रांसफ़र लोन कहते हैं। बैलेंस ट्रांसफ़र लोन के ज़रिए, आप बेहतर शर्तों पर लोन ले (loan balance transfer) सकते हैं, जैसे कि कम ब्याज़ दर या पुनर्भुगतान शर्तें। इससे आपकी EMI को प्रबंधित करना आसान हो जाता है। इससे आप आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर सकते हैं। हालांकि इस स्थिति में लोन की EMI बढ़ जाती है।

5. लोन का सेटलमेंट कराएं -
अगर आप लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ हैं और बहुत ज्यादा रकम पास में नहीं है तो आप बैंकसे लोन का सेटलमेंट करने के लिए भी कह सकते हैं। इसम प्रक्रिया में बैंक लोन की बाकी बची पूरी रकम को नहीं (balance transfer processing fee) लेते बल्कि शेष रकम का कुछ हिस्सा ही लेकर लोन को बंद कर देते हैं। रकम कितनी चुकानी होगी, यह लोन लेने वाले और बैंक के बीच बातचीत पर निर्भर करता है। कई बार शेष रकम का मात्र 15 फीसदी में भी सेटलमेंट हो जाता है। सेटलमेंट कराने से सिबिल स्कोर खराब हो जाता है।


पुलिस में करें शिकायत -
लोन न चुका पाने पर अगर रिकवरी एजेंट परेशान करें तो इसकी शिकायत पुलिस से करें। कोई भी बैंक या रिकवरी एजेंट सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक ही कॉल कर सकता है या घर/ऑफिस (loan balance transfer process) आ सकता है। कोई एजेंट धमकी नहीं दे सकता। अगर ऐसा करे तो इसकी शिकायत बैंक या पुलिस से करें।
 

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