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Income Tax : सेविंग अकाउंट में पैसा जमा कराने और निकलाने की क्या है लिमिट, जानिये इनकम टैक्स के नए नियम

Income Tax rules अगर आप अच्छे खासे रुपये कमा रहे हो तो भारत सरकार की ओर से आप की आय पर भी टैक्स वसूला जाता है। इस रुपये का प्रयोग देश को चलाने व देश में विकास के लिए किया जाता है। हर साल की इनकम पर आयकर (Income Tax update) विभाग की ओर से टैक्स वसूला जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपकी इनकम पर कितनी इनकम पर कितना टैक्स लगता है। आइए जानते हैं इस आर्टिकल में।  

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Income Tax : सेविंग अकाउंट में पैसा जमा कराने और निकलाने की क्या है लिमिट, जानिये इनकम टैक्स के नियम

My job alarm (income tax rules for savings account) : करोड़ों उपभोक्ताओं की जिंदगी में बैंक से लेन देन एक जरूरत बन गया है। आज के समय में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जैसे यूपीआई  जैसी सुविधाओं के आने के बाद तो बैंकिंग पर पूरी तरह से निर्भर हो गए हैं। एक पांच रुपये का पेन तक लेने के बाद हम सीधा एक दूसरे के अकाउंट में रुपये डाल देते हैं। ऊधार के रुपयों का लेनदेन भी ऑनलाइनमाध्यम से होना शुरू हो गया है। इस डिजिटल क्रांति के युग में हमें बैंक और आयकर विभाग (Income Tax) से जुड़े कुछ नियम जरूर जान लेने चाहिए। आइए इनपर विस्तार से चर्चा करते हैं। 

 

सबसे पहले क्या आप जानते हैं कि आप एक वित्तिय वर्ष में कितने रुपये अपने सेविंग अकाउंट (savings account transaction limit) में एक वित्तिय वर्ष में कितने रुपये जमा कर सकते हैं? रुपये जमा कराने की लिमिट क्रॉस होने के बाद क्या होता है। क्या हमें रुपये जमा कराने पड़ सकते हैं। कैसे हम इससे बच सकते हैं। आइए सबकुछ जानते हैं।

 

एक दिन में कितने रुपये जमा करा सकते हैं


हम बैंक में अकसर रुपये जमा कराने जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक दिन में बिना आईडी के केवल 50 हजार (savings account deposit limit) रुपये ही जमा होते हैं। इससे ज्यादा रुपये जमा कराने के लिए आपको अपना पैन नंबर बैंक में देना होगा। पैन नंबर के माध्यम से इस रुपये की जानकारी बैंक में सेव हो जाती है। वहीं आप पैन नंबर नहीं दे सकते तो  फॉर्म 60/61 भरना होगा। ऐसे में आप कितने भी रुपये जमा करा सकते हैं। रुपये जमा कराने की जानकारी आयकर (Income tax) विभाग को जाती रहती है। 

 

एक साल में पैसे जमा कराने की सीमा


एक वित्त वर्ष में आप अपने सेविंग अकाउंट में कितने भी रुपये जमा करा सकते हैं, लेकिन आपको जानकारी देनी होगी कि वो रुपया कहां से आया है। वहीं अगर आप अपने सेविंग अकाउंट (savings account transaction limit per year) में दस लाख रुपये से ज्यादा जमा कराते हैं तो आपको इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है। दस लाख रुपये के ऊपर आप जमा कराते हैं तो आपको या तो आय का स्त्रोत देना होगा, अगर वह आपकी वित्त वर्ष की आय होगी तो आपको इसपर टैक्स (income tax new update) भरना पड़ेगा। 

 

आयकर विभाग के नोटिस का ऐसे दें जवाब


ज्यादा रुपयों के कैश लेनदेन के संबंध में इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) आपको नोटिस जारी कर सकता है। इस नोटिस (IT Notice) का जवाब देने के लिए बैंक स्टेटमेंट आपके पास होनी चाहिए। साथ ही आपने ये रुपये कहां से लिए या फिर कहां से आए, इसकी जानकारी होनी चाहिए। अगर आपने किसी जमीन आदि को बेचकर पैसा लिया है तो आपको इसके कागजात दिखाने होंगे। तभी आप टैक्स से बच पाओगे। इसके अलावा सीए भी आपकी ऐसे मामलों में मदद कर सकते हैं। आपको इसमें डरने की जरूरत नहीं है। 

कैश लेनदेन की लिमिट जानिए


धारा 269एसटी में कैश लेनदेन (cash transaction limit) के सवाल को क्लीयर किया गया है। इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति से 2 लाख रुपये से ज्यादा नहीं ले सकता। इसमें दो तरह की परिस्थितियां होती है। पहली तो एक दिन में किसी व्यक्ति से कुल मिलाकर इतने रुपये लिए जा सकते हैं। वहीं कोई एक लेनदेन है तो भी किसी एक लेनदेन में भी ये लिमिट रहेगी। यानी यह किसी घटना या फिर अवसर से संबंधित लेनदेन पर बात लागू होती है। 
 


कितने रुपये नकद जमा करा सकते हैं


आयकर विभाग के अधिकारियों की जांच से बचना है तो एक वित्त वर्ष में आपके बैंक सेविंग अकाउंट में रुपये जमा (account transaction limit ) कराने की लिमिट होती है। आपको वो लिमिट मेंटेन रखनी होगी। आयकर विभाग (Income tax) के नियमों के मुताबिक एक कारोबारी वर्ष में सेविंग अकाउंट में कुल नकद जमा या निकासी 10 लाख रुपये तक ही हो सकती है।  

बैंक देता है जानकारी 


अगर आपके अकाउंट में एक साल में दस लाख रुपये से ज्यादा का वित्तिय लेनदेन होता है तो बैंक आपकी ये जानकारी आयकर विभाग (Income tax rules) को देता है। 1 अप्रैल से 31 मार्च तक वित्त वर्ष चलता है। इसके दौरान की ट्रांजेक्शन इसमें देखी जाती हैं। अगर दस लाख रुपये से ज्यादा कैशजमा करते हैं तो बैंक इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग को भेज देगा। 

क्यों देते हैं बैंक जानकारी


10 लाख रुपये से ऊपर जाने पर बैंक अकाउंट आयकर विभाग को सूचित करते हैं। यह हाई वैल्यू का लेनदेन माना जाता है। आयकर एक्ट 1962 (Income Tax Act 1962) के सेक्शन 114बी के तहत बैंकों या अन्य फाइनेंस सेक्टर की संस्थाओं को आयकर विभाग को इसकी जानकारी देनी होगी।
 

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