लोन की EMI नहीं भरने वालों को कितने दिन का मिलता है समय, जानिये कानूनी प्रावधान
Loan EMI : कई बार लोन लेने के बाद ग्राहक समय पर किस्त नहीं भर पाता। ऐसे में वह इस बात को लेकर परेशान हो जाता है कि बैंक अब क्या एक्शन लेगा। बता दें कि समय पर लोन की EMI भरने में असमर्थ लोगों के लिए कानूनी सुरक्षा के नियम भी तय किए गए हैं। इसके लिए उन्हें बाकायदा समय भी दिया जाता है। अगर आप भी समय पर लोन की ईएमआई नहीं भर पा रहे हैं तो यह खबर आपके लिए अहम है। ऐसे में यहां पर दिए गए जरूरी नियमों को जान लेना आपके लिए आवश्यक है।
My job alarm (ब्यूरो)। अगर आप बैंक से लोन लेने के बाद समय पर EMI नहीं भर पा रहे हैं तो आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं। इसके लिए अब कानूनन प्रावधान भी किया गया है। ग्राहक को बैंक की ओर से समय दिया जाता है तथा नोटिस के जरिये अवगत भी कराया जाता है। तब तक बैंक आप पर कोई एक्शन (Loan Ki EMI na bhrne pr kya hoga) भी नहीं ले सकता। बता दें कि लोन की EMI समय पर न भर पाना अपराध की श्रेणी में भी नहीं आता। लोन की किस्त समय पर न भर पाने की स्थिति से जुड़ी कुछ खास बातें यहां जानिये इस खबर में।
बैंक जाकर करें परामर्श, फिर उठाएं अगला कदम
लोन की किस्त (EMI) समय पर नहीं भरी तो क्या होगा? इसी बारे में आपको यहां पर विस्तार से बताने जा रहे हैं। अक्सर यह देखने में आया है कि कई बार लोन की ईएमआई बार-बार मिस होने पर बैंक की ओर से कर्जदार को डिफॉल्ट घोषित कर दिया जाता है। इससे ग्राहक या कर्जदार को मानसिक परेशानी व आर्थिक नुकसान (Bank Loan) होता ही है। अगर आप भी लोन चुकाने या समय पर किस्त भरने में असमर्थ हैं तो ऐसे में आपको लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्था से तुरंत परामर्श कर लेना चाहिए। इस बारे में पूरी जानकारी लेकर आपको आगे कदम उठाना चाहिए। इस दौरान आप बैंक से राहत की मांग करेंगे तो पूरे चांस हैं कि राहत व समय दे दिया जाए।
लीगल एक्शन से पहले कर्जदार को दिया जाता है डिफॉल्ट नोटिस
लोन की EMI में चूक होने पर बैंक आपको परेशान नहीं कर सकता है। यह कानूनी रूप से भी अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। इसके लिए बाकायदा कानूनी सुरक्षा के नियम (rules of legal protection) तय किए गए हैं। ऐसा होने पर कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान कर्जदार पर लीगल एक्शन लेने पहले एक डिफॉल्ट नोटिस से अवगत कराएगा। यह नोटिस लीगल एक्शन शुरू करने के 2 महीने पहले जारी किया जाता है, यह कर्जदार को राहत व समय के रूप में ही होता है।
लीगल कार्रवाई से पहले नोटिस जारी करना अनिवार्य
Loan की ईएमआई समय पर न भर पाने वाले कर्जदारों के लिए आरबीआई (RBI) ने नियम बनाए हैं। RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों और वित्तीय संस्थानों को नियमों का पालन करते हुए कर्जदार के साथ जिम्मेदारी से व्यवहार करने की बात कही गई है। ऐसे में किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान (Banking and financial institutes) के लिए यह जरूरी है कि कर्जदार पर कोई भी लीगल एक्शन लेने से पहले एक डिफॉल्ट नोटिस जारी करे। यह नोटिस लीगल एक्शन शुरू करने के 2 महीने पहले जारी किया जाना चाहिए। यहां पर यह गौर करने की बात है कि कुछ मामलों में बैंक लीगल एक्शन पहले भी कर सकता है।
आपकी ही भाषा में बैंक यह सब बताएगा नोटिस में
बैंक की ओर से नोटिस (Bank Notice) भी उसी भाषा में दिया जाना जरूरी है जिसे आप समझते हैं। अगर कोई उड़ीसा राज्य का निवासी है और उड़िया भाषा को समझता है तो बैंक या वित्तीय संस्थान कर्जदार को उड़िया भाषा में ही नोटिस जारी करने के लिए बाध्य होता है। इतना ही नहीं, इस नोटिस में पूरी डिटेल देनी भी जरूरी है, जिसमें लोन की बकाया राशि, ईएमआई मिस होने की डिटेल, लोन न चुकाने के परिणामों को भी बताया जाता है।
बैंक नहीं कर सकता मनमानी
लोन की ईएमआई (Loan EMI Rules) समय पर न भर पाने वाले कर्जदारों के साथ बैंक या कोई वित्तीय संस्थान बदसलूकी या मनमानी नहीं कर सकते। बैंक वालों को आदर्श व्यवहार करना होगा तथा अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। निष्पक्ष व्यवहार के लिए आरबीआई की गाइडलाइन (RBI Guidelines for Loan EMI) भी हैं। लोन लेने वाला व्यक्ति लीगल नोटिस को चुनौती भी दे सकता है लेकिन यह चुनौती नोटिस जारी होने के एक महीने के भीतर देनी होती है। कर्जदार पर लीगल एक्शन होता है तो ज्यादातर कोर्ट सजा या जुर्माना के बदले लोन की वसूली पर ही फोकस रखते हुए फैसला देते हैं, बाकी यह सब कोर्ट के ऊपर ही कि पूरे मामले को देखते हुए क्या निर्णय दिया जाए।