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Gold limit in House: घर में कितना सोना रख सकते हैं, जान लें नियम वरना हो जाएगी मुश्किल

Gold limit in House: अक्सर कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि आखिर घर में कितना सोना रखा जा सकता है और लिमिट से ज्यादा सोना रखने पर क्या होगा? क्या सोना बेचने पर टैक्स भी चुकाना होता है...? ऐसे में अगर आप भी इन्हीं सवालों से जुूड़े जवाब जानना चाहते है तो चलिए आइए आज जान लेते है इस खबर में।
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Gold limit in House: घर में कितना सोना रख सकते हैं, जान लें नियम वरना हो जाएगी मुश्किल

My job alarm - Gold limit in India: भारत में गोल्ड यानी सोने को केवल निवेश (Gold Investment) ही नहीं बल्कि परंपरा के तौर पर भी देखा जाता है। हमारे देश में सोना खरीदने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसे खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कोई भी व्यक्ति अधिकतम कितना सोना रख सकता है? घर में कितनी लिमिट तक सोना रखा जा सकता है (What is the limit of keeping gold in the house)? ऐसे में अगर आपका जवाब नहीं है तो चलिए आइए आज जान लेते है इस खबर में-

घर में सोना रखने की लिमिट-

भारत में साल 1968 में गोल्ड कंट्रोल एक्ट (Gold control act) की स्थापना हुई। इस कानून के चलते नागरिकों के एक निश्चित मात्रा से ज्यादा सोना रखने पर रोक लगा दी गई। हालांकि इस एक्ट को 1990 में खत्म कर दिया गया। वर्तमान में भारत में सोने की मात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन रखने वाले के पास उसके वैलिड सोर्स (valid source) और सोने से जुड़े दस्तावेज होना जरूरी है।

महिलाएं कितना सोना रख सकती हैं?

आपको बता दें कि एक विवाहित महिला अपने पास 500 ग्राम सोना आसानी से रख सकती है, जबकि अविवाहित महिला के पास 250 ग्राम तक सोना होने पर कोई परेशानी नहीं है। इसके अलावा विवाहित पुरुष के पास 100 ग्राम सोना रह सकता है। ऐसे में किसी के पास अगर इस सीमा तक सोना है तो उन्हें कोई इनकम प्रूफ (Income proof) देने की जरूरत नहीं है। इससे ज्यादा होने पर इनकम सोर्स मांगा जा सकता है।

 

सोने पर टैक्स के नियम-

सोने के निवेश पर टैक्स (tax on gold investment) का निर्धारण उसे रखने की अवधि पर निर्भर करता है। अगर सोना तीन साल से ज्यादा समय के लिए रखा जाता है, तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 20 प्रतिशत के रूप में कर योग्य है और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन निवेशक पर लागू सामान्य टैक्स स्लैब (tax slab) पर कर योग्य है। गोल्ड ईटीएफ/गोल्ड एमएफ भी फिजिकल सोने की तरह कर योग्य हैं।

वहीं बॉन्ड के मामले में अगर वे मैच्योर होने तक रखे जाते हैं, तो वे कर-मुक्त होते हैं। हालांकि, फिजिकल गोल्ड या ईटीएफ या गोल्ड एमएफ के लेनदेन पर पूंजीगत लाभ देय हैं। बॉन्ड्स के एक्सचेंजों पर डीमैट के रूप में कारोबार किया जाता है। इन्हें पांच वर्ष के बाद भुनाया जा सकता है। वहीं, अगर बॉन्ड मैच्योर होने से पहले बेचा जाता है तो वह 20 प्रतिशत पर कर योग्य होता है।

सोना रखने के लिए कौन से कागजात जरूरी-

 इनकम टैक्स 1961 के सेक्शन-132 के मुताबिक अगर तय मानक से ज्यादा सोना मिलता है तो अधिकारी उससे जुड़े कागजात चेक कर सकते हैं। ऐसे में सोना कहां से खरीदा, उसका असली बिल और जरूरी कागजात होने जरूरी हैं। ज्यादा होने पर इनकम सोर्स भी बताना पड़ सकता है। अगर गिफ्ट में सोना (Gold Gift) मिला है तो उससे जुड़ी गिफ्ट डीड रखना बेहद जरूरी है। अगर परिवार से सोना मिला है तो फैमली सेटलमेंट से जुड़े कागजात दिखाना जरूरी। 

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