Flats Lease Agreement Rules: क्या 99 साल की लीज खत्म होने के बाद छोड़ना पड़ेगा फ्लैट, जान लें नियम
My job alarm - Flat ownership rights: पिछले सालों में देश में रियल स्टेट सेक्टर में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। बढती डिमांड के चक्कर में कीमतें भी सातवें आसमान पर पहुंच चुकी हैं। फिर भी लोग धड़ल्ले से अपना ड्रीम होम खरीद रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह भी हैं कि लोगों को प्रॉपर्टी के लिए बैंक भी आसानी से होम लोन प्रोवाइड करवा रहे हैं। इससे कम पूंजी होने के चलते घर खरीदने के (Lease Rules in India) सपने को पूरा करने में कोई रुकावट भी नहीं आ रही है। लेकिन सवाल यह उठता हैं कि जो लोग जीवन भर की कमाई लगाकर लीज प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं तो उसका जब लीज खत्म हो जाता है तब उनके घर का क्या होता है? शहर में दो तरह से घर की बिक्री होती है। एक 99 साल की लीज पर और दूसरा पर्मानेंट ( Greater Noida Property) मालिकाने के तौर पर। अगर आप पहला वाला विकल्प चुनकर घर खरीद रहे हैं तो आपको नियम जान लेना चाहिए कि लीज खत्म होने के बाद कहीं आप बेघर तो नहीं होने वाले हैं।
दो तरीके से होती है प्रॉपर्टी डील -
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले आपको (property Lease rule) यह जान लेना चाहिए कि प्रॉपर्टी की डील दो प्रकार की होती हैं- लीजहोल्ड और फ्रीहोल्ड। फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी वह होती है जिस पर किसी अन्य व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं होता है। इसे खरीदने वाले के पास हमेशा के लिए पूरा मालिकाना हक होता है और वो इसे अपनी पसंद के अनुसार बदलाव या बेच सकते हैं। लीजहोल्ड प्रॉपर्टी में व्यक्ति को एक तय समय अवधि तक या किसी शर्त पर (sell leasehold property) प्रॉपर्टी का हक होता है। कुछ शहरों में यह 10 से 50 साल के लिए भी होता है। वैसे आमतौर पर 99 साल की लीज पर फ्लैट बिकता है। इस अवधि के बाद प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मालिक के पास वापस जाता है। पुश्तैनी जमीन फ्रीहोल्ड कैटेगरी में ही आता है।
क्या कहता है नियम?
भारत में आम तौर पर फ्लैट 99 साल की लीज़ पर बेचे जाते हैं। इसका मतलब है कि खरीदार को फ्लैट का मालिकाना हक सिर्फ 99 साल के लिए होता है। 99 साल की अवधि के बाद जमीन का मालिकाना (DDA housing scheme) हक मूल मालिक को वापस चला जाता है. अगर लीज अवधि खत्म होने से पहले ही इमारत ढह जाए तो जितने गज जमीन पर उस फ्लैट/टावर का निर्माण किया गया होता है। उसे सभी फ्लैट मालिकों में वर्तमान सर्किल रेट के आधार पर बराबर हिस्सों में बांट दिया जाता है।
क्या हैं लीज होल्ड सिस्टम?
देश में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री लीजहोल्ड और फ्री होल्ड के आधार पर होती है। जिस रियल स्टेट प्रॉपर्टी पर मालिक के अलावा किसी और का हक नहीं होता है, ऐसी प्रॉपर्टी को फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी कहा जाता है। इस तरह की प्रॉपर्टी के रेट हाई होते हैं। लीजहोल्ड प्रॉपर्टी पर एक तय समय तक आपका (Flat ownership rights) मालिकाना हक रहता है। इसमें ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि लीज आमतौर पर 30 या फिर 99 साल के लिए होती है। इसके बाद इस पर फिर मालिक का कब्जा हो जाता है। प्रॉपर्टी का ट्रांसफर बार-बार न करना पड़े, इसलिए लीज सिस्टम की शुरुआत की गई।
लीज होल्ड को फ्री होल्ड में बदलने के क्या है नियम?
अगर आप चाहते हैं कि आपके द्वारा खरीदी गई लीज होल्ड प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड में बदला जाए तो आपको इसके लिए नियम फॉलो करना पड़ेगा। अगर सरकार लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड (Leasehold Property) में बदल देती है तो इससे प्रशासनिक परेशानियां कम होंगी, जिससे उद्यमियों का समय बचेगा और औद्योगिक विकास भी होगा। इसी को लेकर वकील ने भी यह राय दी हैं कि लीज होल्ड को फ्री होल्ड में बदलने के लिए आमतौर पर दो तरीके अपनाए जाते है।
1. पहला ऑप्शन तो यह होता हैं कि कई बार उस प्रॉपर्टी का बिल्डर बीच-बीच में प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड में बदलने के लिए (How to sell leasehold property) ऑप्शन देता है। ऐसा वह तभी कर सकता है जब उसके पास उस संपत्ति का मालिकाना हक होता है। अगर उसकी वह संपत्ति पहले से ही लीज पर है तो वह आपको फ्री होल्ड का ऑप्शन नहीं दे सकता है।
2. दूसरा ऑप्शन यह होता है कि जिस राज्य में आपने प्रॉपर्टी खरीदी है, वहां की सरकार उस लीज होल्ड पीरियड के दौरान प्रॉपर्टी को फ्रीहोल्ड में बदलने का विकल्प फ्लैट मालिकों को देती है। ऐसी स्थिति में आप अपनी संपत्ति को चाहे तो फ्री होल्ड में कंवर्ट करा सकते हैं।
क्या लीजहोल्ड प्रॉपर्टी को बेच सकते हैं?
लीज प्रॉपर्टी को लेकर सबसे बडा सवाल यह उठता हैं कि क्या 99 साल की लीज पर खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेचा जा सकता है? इसका सीधा जवाब आपको नहीं में मिलेगा। क्योंकि आप उस प्रॉपर्टी को सीधे बेच नहीं सकते, क्योंकि आपके पास उस पर स्थायी मालिकाना हक नहीं होता। लेकिन आप अपने बचे हुए लीज पीरियड को ट्रांसफर कर सकते हैं। दरअसल, लीज पर खरीदी गई (NDA housing scheme) प्रॉपर्टी को बेचने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है। आपको पहले संबंधित अथॉरिटी से अनुमति लेनी होगी और फिर आप अपनी लीज को दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर कर सकते हैं। यह ट्रांसफर प्रक्रिया तब तक संभव है जब तक लीज की अवधि बाकी हो। लेकिन एक बार लीज खत्म हो जाती है, तो आप उस प्रॉपर्टी का स्थायी मालिक नहीं होते, इसलिए इसे फ्रीहोल्ड में बदलना या रिन्यू कराना ही बेहतर विकल्प होता है।