Employees Gratuity Rules : सरकारी कर्मचारी हो या प्राइवेट, ये गलती हुई तो नहीं मिलेगी ग्रेच्युटी
Employees Gratuity Rules : सरकारी और निजी सेक्टर के कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि तक काम करने पर ग्रेच्युटी (gratuity) मिलती है। हालांकि, कई कर्मचारी यह नहीं जानते कि कुछ परिस्थितियों में नियोक्ता ग्रेच्युटी का भुगतान करने से मना कर सकता है। अगर आप भी नहीं जानते है तो चलिए आइए आज जान लेते है नीचे इस खबर में-

My job alarm - सरकारी और निजी सेक्टर के कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि तक काम करने पर ग्रेच्युटी (gratuity) मिलती है। हालांकि, कई कर्मचारी यह नहीं जानते कि कुछ परिस्थितियों में नियोक्ता ग्रेच्युटी का भुगतान करने से मना कर सकता है। जैसे, अगर कर्मचारी (employees) ने नियमों का उल्लंघन किया हो या नौकरी से बिना कारण निकाला गया हो, तो ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं हो सकता।
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार, 10 या अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना अनिवार्य है। हालांकि, यदि कर्मचारी का अनुशासनहीनता या गलत जानकारी देने के कारण नियोक्ता द्वारा निष्कासन होता है, तो ग्रेच्युटी का भुगतान रोका जा सकता है। कानून के तहत, यदि कर्मचारी जानबूझकर नियोक्ता की संपत्ति (employer's property) को नुकसान पहुंचाता है या किसी लापरवाही के चलते उसकी सेवाएं समाप्त की जाती हैं, तो नियोक्ता को अपने नुकसान की भरपाई के लिए ग्रेच्युटी (gratuity news) रोकने का अधिकार है। इस प्रकार, ग्रेच्युटी भुगतान से संबंधित नियमों का पालन दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है।
नियोक्ता के अधिकार भी सीमित-
ऐसा भी नहीं है कि नियोक्ता सिर्फ एक कारण बताकर किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी को रोक सकता है. इस बारे में भी ग्रेच्युटी एक्ट में बाकायदा कानून बनाया गया है। इसमें साफ कहा गया है कि अगर नियोक्ता किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी (employees gratuity) रोकता है तो उसे पहले वैलिड रीजन बताना होगा और उसमें दावा किए गए नुकसान के बराबर ही ग्रेच्युटी की राशि को रोक सकता है।
क्या कहता है ग्रेच्युटी का कानून-
ग्रेच्युटी एक्ट के सेक्शन 4(6)(b)(ii) के अनुसार, कर्मचारी की ओर से किए गए किसी भी ऐसे व्यवहार जिसके कारण कंपनी का नुकसान हुआ हो फिर चाहे वह नैतिक आधार पर ही क्यों न हो. ऐसे मामलों में नियोक्ता पहले कर्मचारी को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगेगा और उसके बाद ही ग्रेच्युटी को रोकने की कार्यवाही शुरू कर सकता है.
क्या है दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश-
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अगर कोई कर्मचारी कंपनी को नैतिक या भौतिक नुकसान पहुंचाता है, तो नियोक्ता उसकी ग्रेच्यूटी रोक सकता है। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने स्पष्ट किया कि नियोक्ता को केवल उतनी ही राशि ग्रेच्यूटी (gratuity) से रोकने का अधिकार है, जितना नुकसान उसने सहा है। इसका मतलब यह है कि कर्मचारियों को अपने कार्यों के परिणामों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए, और यदि उनका कार्य कंपनी को नुकसान पहुंचाता है, तो इसके लिए उन्हें भुगतान का सामना करना पड़ सकता है।