CIBIL Score : केवल सिबिल स्कोर ठीक होने से काम नहीं चलेगा, लोन लेने के लिए ये 3 चीजें भी हैं जरूरी
My job alarm - बैंक से लोन लेने के बारे में सोच रहे है तो उससे पहले आपको लोन लेने से संबंधित कुछ नियमों के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। लोन एक ऐसा साधन है जो कि आपकी पैसों की जरूरत (financial needs) को झट से पूरा कर देता है। इससे पहले आपको ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपका सिबिल स्कोर अच्छा (good cibil score) होना चाहिए। लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर का लगभग 750 तक होना बेहद जरूरी है। लेकिन इसके अलावा कुछ और ऐसी जरूरी बाते हे जिनका कि आपको ध्यान रखना चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी को भी लोन देने से पहले बैंक डेट-टू-इनकम रेश्यो (Debt-to-Income Ratio) जरूर चेक करता है। यह रेश्यो मंथली डेट पेमेंट और आपकी ग्रॉस सैलरी की तुलना कर के कैल्कुलेट किया जाता है। जितना कम DTI रेश्यो होगा, आपको लोन (loan) मिलने के चांस उतने ही अधिक होते हैं। इस रेश्यो के जरिए बैंक से समझता है कि आपके ऊपर पहले से कितने लोन हैं और आपके हाथ में कितना पैसा बचता है।
Debt-to-Income (DTI) Ratio
जब भी आप बैंक में लेान लेने के लिए जाते है तो किसी को भी लोन देने से पहले बैंक डेट-टू-इनकम रेश्यो (Debt-to-Income ) जरूर चेक करता है। बता दें कि यह रेश्यो मंथली डेट पेमेंट और आपकी ग्रॉस सैलरी की तुलना कर के कैल्कुलेट किया जाता है। क्योंकि जितना कम DTI रेश्यो होगा, आपको लोन मिलने के चांस उतने ही अधिक होते हैं। इस रेश्यो के जरिए बैंक से समझता है कि आपके ऊपर पहले से कितने लोन (loan tips) हैं और आपके हाथ में कितना पैसा बचता है।
EMI/NMI Ratio
आपको बता दें कि EMI/NMI रेश्यो के जरिए ही बैंक इस बात का कैल्कुलेशन करता है कि आपकी नेट मंथली इनकम का कितना हिस्सा मौजूदा ईएमआई (EMI) और प्रस्तावित लोन की ईएमआई पर खर्च होगा। उदाहरण के लिए अगर आपकी EMI/NMI 50-55 फीसदी तक है, तब तो ठीक है, लेकिन उससे अधिक रेश्यो होने पर बैंक आपको लोन देने से कतराने लगते हैं। अगर इसके बावजूद बैंक आपको लोन देते हैं तो वह अक्सर अधिक ब्याज दर चार्ज करते है।
Loan-to-Value Ratio (LTV)
ऋण-से-मूल्य अनुपात (Loan-to-Value Ratio ) का कैल्कुलेशन खासतौर पर हाउसिंग लोन के मामले में किया जाता है। बैंक के इस रेश्यो की मदद से रिस्क को समझना आसान हो जाता है। LTV रेश्यो दिखाता है कि आपके लोन की असेट या कोलेट्रल की तुलना में कितनी वैल्यू है। बता दें कि इससे लोन को सिक्योर (loan secure) करने में मदद मिलती है। इस जानकारी का इस्तेमाल कर्ज देने वाला बैंक जरूरी नियम और शर्तें बनाने में करता है।
CIBIL score है बेहद जरूरी
सिबिल स्कोर एक 3 अंकों की संख्या (what is cibil score) है या यूं कहें कि स्कोर है, इसकी रेंज 300 से लेकर 900 अंकों तक होती है। सिबिल स्कोर आपके लोन लेने की योग्यता को दिखाता है। आपके पुराने लोन, क्रेडिट कार्ड के बिल आदि के आधार पर यह संख्या तय होती है। अगर आप अपने सारे कर्जों और कार्ड बिल को चुकाते रहते हैं तो आपका सिबिल स्कोर बेहतर होता जाता है, जबकि अगर आप कोई डिफॉल्ट (loan default) करते हैं तो आपका सिबिल स्कोर खराब (bad cibil score) होता जाता है।
अच्छे CIBIL score के ये है फायदे
आपको आपका सिबिल स्कोर बेहतरीन मेंटेन (maintain cibil score) करके रखना चाहिए। क्योंकि अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है तो इसके आपको कई फायदे होते हैं। हर बैंक लोन देने से पहले व्यक्ति के सिबिल स्कोर को चेक करता है। ऐसे में आपको लोन आसानी से और सस्ता मिल सकता है। यहां तक कि आपको कई बार प्री-अप्रूव्ड लोन ऑफर (Pre-approved loan offers) भी मिल सकता है और आपको इंस्टेंट लोन (instant loan) यानी चंद मिनटों में खाते में पैसे आने की सुविधा भी मिल सकती है।
खराब सिबिल स्कोर है नुकसानदायक
ऐसा नही है कि आप अपने सिबिल हिस्ट्री (cibil history) को बिलकुल भी मेंटेन करके न रखें। सिबिल स्कोर अगर खराब है तो आपको इसका भारी नुकसान भी झेलना पड़ता है। आपको बता दें कि इससे बैंक से जुड़े तमाम कामों में आपको दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
खराब सिबिल स्कोर के नुकसान
सिबिल खराब होगा तो लोन (loan) मिलने में होगी दिक्कत। वहीं आपको ज्यादा ब्याज दर चुकानी होगी। इतना ही नहीं आपको चुकाना पड़ सकता है ज्यादा प्रीमियम। इनके अलावा आपको होम-कार लोन (home car loan) लेने में दिक्कत भी होगी। यहां तक कि लोन मिलने में देरी भी हो सकती है।