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CIBIL Score : एक दो नहीं, इन 7 कारणों से खराब होता है सिबिल स्कोर, फिर हाथ-पैर जोड़ने पर भी बैंक नहीं देगा लोन

CIBIL Score Khrab hone ke karn : लोन चाहे किसी भी तरह का लेना हो, सिबिल स्कोर (CIBIL Score) सबसे पहले देखा जाता है। इसके खराब होने के चलते बैंक लोन नहीं देता यानी अच्छा सिबिल स्कोर ही आपको लोन दिलाने में सहायक है। कई बार लोग लोन लेने बैंक जाते हैं तो पता चलता है कि सिबिल स्कोर ही खराब है। ऐसे में लोन की शुरुआती प्रक्रिया पर ही ब्रेक लग जाते हैं और ग्राहक को लोन से वंचित होना पड़ता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि सिबिल स्कोर किन कारणों से खराब होता है। 

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CIBIL Score : एक दो नहीं, इन 7 कारणों से खराब होता है सिबिल स्कोर, फिर हाथ-पैर जोड़ने पर भी बैंक नहीं देगा लोन

My job alarm (ब्यूरो)। सिबिल स्कोर की अहमियत लोन से वंचित रहने पर पता चलती है। अधिकतर लोग इसे अनदेखा कर देते हैं। आजकल घर खरीदने या बनाने तथा गाड़ी आदि खरीदने में लोन का विकल्प प्राथमिकता के तौर पर चुना जाता है। आपको बता दें कि अगर आपका सिबिल स्कोर खराब (CIBIL Score Khrab Kab hota hai) है तो आप हर तरह के लोन से वंचित रह जाएंगे। यह एक या दो कारणों से खराब नहीं होता बल्कि 7 मुख्य कारण हैं जो सिबिल स्कोर को बिगाड़ देते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से इस खबर में।

1- ईएमआई मिस करने पर

जब बैंक या एनबीएफसी (NBFC) से लिए गए लोन की किस्त समय पर नहीं चुकाई जाती है तो इसका सीधा निगेटिव असर सिबिल स्कोर पर पड़ता है। इससे आपका सिबिल स्कोर खराब होते देर नहीं लगेगी। इससे सिबिल स्कोर घट जाता है, फिर इसे सुधरने में भी लंबा समय लगता है। अगर आप बार-बार ईएमआई मिस (cibil score) करेंगे या लोन ही डिफॉल्ट (Loan Default) कर देंगे तो सिबिल स्कोर धड़ाम से नीचे आ गिरेगा। यह इतना खराब हो जाएगा कि कहीं से भी लोन नहीं मिलेगा। इसका कारण यह है कि आपकी छवि ऐसी बन जाती है कि बैंक सोचते हैं कि लोन कभी नहीं चुकाया जाएगा।


2- लोन की ज्यादा राशि लेने से 


सिबिल स्कोर खराब होने का संबंध लोन की राशि से भी है। बड़ी राशि का लोन लिया हुआ है तो इससे भी आपके सिबिल स्कोर पर पूरा असर पड़ता है। इसमें शो होता है कि पहले ही बहुत सारा कर्ज है, आगे कोई और लोन कैसे दें। यानी बैंक लोन ही नहीं देंगे। उस राशि को तय समय व शर्तों के अनुसार चुकाने पर ही आगे बैंक विचार कर सकते हैं।

3- लोन के लिए बार-बार अनुरोध करना


कई बार लोग लोन लेने के लिए कई बैंकों में अप्लाई कर देते हैं। इसे बार-बार अप्लाई (Loan ke liye kaise apply kren) करने की श्रेणी में रखा जाता है। आमतौर पर लोन लेने वाला कई बैंकों में यह सोचकर अप्लाई करता है कि उसे जिस बैंक से कम ब्याज दर पर लोन मिलेगा, ले लेंगे। ऐसे में वह यह भूल जाता है कि हर बैंक की ओर से उसका सिबिल स्कोर चेक किया जाएगा। यह हार्ड एंक्वायरी की श्रेणी में आता है। इस तरह से कई बार सिबिल स्कोर की हार्ड एंक्वायरी होने पर यह खराब हो जाएगा। खुद से सिबिल स्कोर चेक करना सॉफ्ट एंक्वायरी की श्रेणी में आता है।


4- क्रेडिट कार्ड से लिमिट से ज्यादा खरीदारी करने पर


अगर आपने कोई क्रेडिट कार्ड (Cresit card rules) लिया हुआ है और उससे लिमिट से ज्यादा खरीददारी कर रहे हैं तो भी आपका सिबिल स्कोर खराब हो जाएगा। बहुत ज्यादा खरीदारी या बड़ी खरीददारी करने पर भी  सिबिल स्कोर पर असर पड़ता है। क्रेडिट कार्ड का नियम व शर्तों अनुसार उपयोग (Cresit card kaise use kren) न करने से भी सिबिल स्कोर यानी क्रेडिट स्कोर डाउन हो जाता है। क्रेडिट कार्ड के यूटिलाइजेशन रेश्यो अनुसार आपको अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट का 30 फीसदी से कम ही शॉपिंग के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।

5- क्रेडिट कार्ड के लिए बार-बार अप्लाई करना


जैसे लोन के लिए बार-बार आवेदन करने पर सिबिल स्कोर (Cibil score ko khrab hone se kaise bchayen)खराब हो जाता है, ठीक उसी तरह बार-बार क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करने पर भी सिबिल स्कोर खराब हो जाता है। इसका कारण यह भी है कि इसमें भी हार्ड इन्क्वायरी होती है, जिससे सिबिल स्कोर (Cibil Score kaise sudhren) घटता है। हालांकि इसमें यह बात राहत की है कि यह अस्थाई होता है और कुछ समय में ही सिबिल फिर से ठीक हो जाता है।

6- क्रेडिट कार्ड को बंद करने से


जिस तरह से लोन चुकाने के तरीके का सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर (Credit score)पर असर पड़ता है, उसी तरह अगर आप कोई क्रेडिट कार्ड बंद करते हैं तो इससे भी आपका सिबिल स्कोर होता है। नियम के अनुसार क्रेडिट कार्ड बंद होते ही क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो बढ़ जाता है। इस रेश्यो के बढ़ने से सिबिल स्कोर (CIBIL Score ko kaise thik kren) खराब होता है।

7- लोन को समय से पूर्व चुकता करने पर 


समय से पहले लोन चुकाना भी सही नहीं होता, क्योंकि बैंक को वे बेनेफिट नहीं रहते जो पूरे टाइम में चुकाने पर कर्जदार यानी लोन लेने वाले से मिलते हैं। ऐसे में समय से पहले लोन चुकाने पर सिबिल स्कोर (cibil score kab ght jata hai) घट जाता है। यह सिक्योर्ड लोन के मामले में ज्यादातर होता है, लेकिन जल्द ही ठीक (cibil score kaise thik hota hai) भी हो जाता है।

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