CIBIL Score : कैसे कैलकुलेट होता है आपका सिबिल स्कोर, लोन लेने वालों को जरूर पता होनी चाहिए ये बात
My job alarm - वर्तमान समय में लगभग हर कोई अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कभी न कभी तो लोन लेने का विचार करता ही है। लोन लेने के लिए सबसे पहला और जरूरी तत्व है सिबिल स्कोर (cibil score) । लोन लेन के लिए आपका सिबिल स्कोर बेहतर होना बेहद जरूरी है। कोई भी लोन चाहे वो होम लोन (home loan) हो या कार लोन (car loan) आदि, लोन लेते समय बैंक सबसे पहले आपका क्रेडिट स्कोर चेक करता है।
अगर क्रेडिट स्कोर (credit score) अच्छा है तो बैंक झट से लोन दे देता है। वहीं, खराब क्रेडिट स्कोर पर लोन मिलना लगभग असंभव हो जाता है। क्रेडिट स्कोर कैसे बनता है इसके बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी होती है। आइए सबसे पहले जान लें कि क्या होता है सिबिल स्कोर और कैसे होता है कैलकुलेट (how to calculate cibil score)...
क्या होता है CIBIL score
सबसे पहले ये जान लें कि सिबिल स्कोर, या क्रेडिट स्कोर (what is credit score), किसी व्यक्ति के क्रेडिट इतिहास का तीन अंकों का सारांश होता है। यह स्कोर, क्रेडिट ब्यूरो जैसे ट्रांसयूनियन सिबिल, Equifax, HighMark, और Experian द्वारा दिया जाता है। सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच होता है और इसमें 900 का मतलब है सबसे ज़्यादा ऋण योग्यता (loan eligibility) होता है।
जानिए कैसे बनता है आपका क्रेडिट स्कोर?
जानकारी के लिए बता दें कि क्रेडिट स्कोर के चार मुख्य फैक्टर्स होते (calculation of cibil score) है। पहला - रीपेमेंट हिस्ट्री, दूसरा - क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन, तीसरा - क्रेडिट अवधि और चौथा- क्रेडिट मिक्स।
सबसे पहले बात करें रीपेमेंट हिस्ट्री (Repayment History) की तो इसमें आपकी ओर से अब तक लिए गए लोन की पूरी हिस्ट्री के बारे में लेखा जोखा दर्ज होता है। रीपेमेंट हिस्ट्री से आपके क्रेडिट स्कोर का 35 प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित होता है। आपने अब तक कौन- सा लोन लिया। उसमें से कितनी किस्तों को समय से चुकाया (emi payment on time) है या नहीं। बता दें, अगर आप कोई भी किस्त भरने से चूक जाते हैं तो यह आपकी क्रेडिट हिस्ट्री में दर्ज हो जाता है। जिससे कि इसका सिबिल स्कोर (cibil score) पर असर देखने को मिलता है।
दूसरे नंबर पर आता है क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन (Credit Balance and Utilization) । इसमें ये देखा जाता है कि बैंक ने आपको जो क्रेडिट लिमिट (credit limit) दी है उसका आपने कितना उपयोग किया है। वैसे अगर नॉर्मल रेंज की बात की जाए तो इसका 30 प्रतिशत तक का इस्तेमाल करना ठीक माना जाता है। क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन (Credit Balance and Utilization) से आपके क्रेडिट स्कोर का 30 प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 1,00,000 है और आपने 30,000 का इसमें उपयोग किया है तो आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन 30 प्रतिशत माना जाएगा।
सबसे जरूरी फेक्टर के बारे में बता दें कि क्रेडिट अवधि (Credit Duration role in credit score ) की क्रेडिट स्कोर में बड़ी भूमिका होती है। क्रेडिट स्कोर का 15 फीसदी हिस्सा क्रेडिट अवधि से प्रभावित होता है। जितनी लंबी आपकी क्रेडिट अवधि होती है। उतना ही अच्छा माना जाता है।
सबसे कम हिस्से की अगर बात करें तो क्रेडिट मिक्स (Credit Mix in credit score) से आपके क्रेडिट स्कोर का 10 प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित होता है। क्रेडिट मिक्स में देखा जाता है कि आपने किस प्रकार के लोन लिए हुए हैं।
सिबिल स्कोर की रेंज
lसिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। 300 सबसे खराब और 900 सबसे अच्छा क्रेडिट स्कोर होता है।
750-900: बहुत अच्छा
700-749: अच्छा
650-699: संतोषजनक
600 से नीचे: खराब
CIBIL score को ऐसे समझें
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि क्रेडिट स्कोर रेंज 300 से 900 के बीच होती है। इसमें अब आप समझ लें कि आपका क्रेडिट स्कोर 900 के जितना करीब होगा, लोन अप्रूवल के चांस उतने ज्यादा होंगे। आमतौर पर 750 से ऊपर का क्रेडिट स्कोर अच्छा (good cibil score range) माना जाता है। 550 से 750 के बीच का स्कोर ठीक यानी एवरेज माना जाता है, जबकि 550 से नीचे का स्कोर खराब यानी लो क्रेडिट स्कोर माना जाता है। क्रेडिट स्कोर खराब होने पर बैंक लोन देने से मना कर सकते हैं या ज्यादा इंटरेस्ट रेट (interest rates in loan) चार्ज कर सकते हैं। इसमें आपके लोन अप्रूवल (loan approval) के चासं कम होते है। क्रेडिट स्कोर के अलावा और भी कई फैक्टर हैं, जो लोन के मामले में काम करते हैं जो कि विस्तार से ऊपर बताए गए है।
साथ ही इन बातों का रखें ध्यान
लोन लेकर अपनी जरूरतों का हल करने वालों को ये बात जरूर ध्यान में रखनी चाहिए कि होम लोन और ऑटो लोन जैसे सिक्योर्ड लोन (secured loan) और पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड जैसे अनसिक्योर्ड लोन (unsecured loan) के बीच मिक्स यानी तालमेल बनाकर रखें। ज्यादा अनसिक्योर्ड लोन होना निगेटिव माना जाता है। किसी लोन अकाउंट में अगर आप गांरटर, Co-Borrower या ज्वाइंट अकाउंट होल्डर हैं तो उस पर नजर रखें। अगर आपका साथी कोई पेमेंट मिस करता है तो आप भी बराबर के जिम्मेदार हैं। उसकी लापरवाही आपके कर्ज लेने की क्षमता (ability to borrow) पर असर डाल सकती है।