CIBIL Score : क्या बार बार चेक करने से खराब होता है सिबिल स्कोर, लोन लेने वाले जरूरी जान लें ये बात
My Job alarm - CIBIL Score : बैंक और बाकी वित्तिय संस्थान नियमों पर चलते है। इसके नियम और कानून भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा तय किए जाते है। ऐसे ही सिबिल स्कोर (cibil score range) को लेकर भी नियम तय है। अब जब भी आप बैंक से लोन लेने के लिए जाते है तो वहां सबसे पहले आपके सिबिल स्कोर के हिसाब से ये देखा जाएगा कि आप बैंक के नजर में एक वैल्यूएबल कंज्यूमर (valuable consumer) हैं या नहीं। क्रेडिट स्कोर (credit score) के दम पर बैंक या कोई लोन देने वाली कंपनी आपको लोन की सुविधा मुहैया कराती है।
जिसका सिबिल स्कोर अच्छा (good cibil score) होता है उसे झटपट लोन मिल जाता है। सिबिल स्कोर को 300 से 900 के बीच निर्धारित किया गया है। अगर आपका सिबिल स्कोर 700 या उससे अधिक है तो यह अच्छा माना जाता (cibil score range) है और लोन मिलने में काफी आसानी रहती है। इसके साथ ही कभी-कभी हम देखते हैं कि हमारा सिबिल स्कोर जीरो पर पहुंच जाता है, ऐसे में हमारी परेशानी बढ़ जाती है। सवाल यह है कि यह कम क्यों हो जाता है? आइए समझते हैं।
किन किन चीजों पर निर्भर करता है आपका CIBIL score
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपका सिबिल स्कोर (cibil score) कई चीजों पर निर्भर करता है, उदाहरण के तौर पर बता दें कि अगर आप वक्त पर लोन को चुका रहे होते हैं तो आपका सिबिल स्कोर अच्छा होता है। वहीं अगर आप वक्त पर लोन (loan payment effect on cibil score) नहीं चुका रहे होते हैं तो आपका सिबिल स्कोर लगातार नीचे जाने लगता है। दूसरी ओर अगर आप बार-बार सिबिल स्कोर चेक करते हैं तो भी आपका स्कोर कम होने लगता है।
सामान्य तौर पर यह देखा जाता है कि यूजर पर्सलन लोन (personal loan) या किसी अन्य तरह के लोन के लिए एक साथ कई बैंक में संपर्क करते हैं। उस समय बैंक यूजर्स का सिबिल स्कोर चेक करता है। अब इससे होता ये है कि अलग-अलग बैंक द्वारा सिबिल स्कोर चेक करने से क्रेडिट स्कोर में गिरावट (decline in credit score) आ जाती है। बैंक जब आपका सिबिल स्कोर चेक करते हैं तो वह हार्ड सिबिल स्कोर होता है। अगर यूजर्स ऐप की मदद से स्कोर चेक करता है तो वह सॉफ्ट स्कोर चेकिंग (soft score checking) होता है। दोनों स्थिति में स्कोर कम होने की संभावना होती है।
अच्छे CIBIL score होने के क्या है फायदे
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि आपको अगर लोन चाहिए तो पहले आपको सिबिल स्कोर चेक (how to check cibil score) किया जाएगा। सिबिल स्कोर अच्छा होगा तभी बैंक के द्वारा आपको लोन मुहैया कराया जाएगा। इसके साथ ही आपकी इकॉनोमिक वैल्यू भी खराब नहीं होती है, क्योंकि आप अच्छे सिबिल स्कोर के जरिये कभी भी किसी समय एक अच्छा लोन प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही अगर आपका सिबिल स्कोर जीरो हो जाता है तो आपको लोन मिलने के चांसेस कम रहते हैं, वहीं सिबिल स्कोर जीरो होने पर बैंक आपकी नौकरी की आय और बेहतर आर्थिक स्थिति (better economic situation) को देखकर ही लोन देते हैं।
कौन तय करता है सिबिल स्कोर?
सबसे पहले तो आपको ये जान लेना चाहिए कि आपका सिबिल स्कोर कैसे तय किया (How is CIBIL score determined?) जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि आपका सिबिल स्कोर तमाम क्रेडिट ब्यूरो, ट्रांसयूनियन सिबिल, सीआरआईएफ और एक्सपेरियन जैसी कंपनियां तय करती हैं। दूसरी ओर इन सब को लोगों का वित्तीय लेखा-जोखा तैयार करने और इसे मेंटेन करने का लाइसेंस सरकार की ओर से दिया गया है, जिसके आधार पर यह लोगों का सिबिल स्कोर तैयार करती हैं। आपका सिबिल स्कोर 24 महीने की क्रेडिट हिस्ट्री (credit history) को देखकर तैयार किया जाता है।
ऐसे CIBIL score चेक करना है नुकसानदायक
आज व्यक्ति स्मार्टफोन का खुल कर इस्तेमाल करता है। इस डिजिटलीकरण (digital) के युग में आप अपने स्मार्टफोन के जरिए घर बैंठे कोई भी काम कर सकते है। ऐसे ही व्यक्ति अपने फोन पर अलग-अलग ऐप के जरिए भी सिबिल स्कोर (cibil score) चेक कर सकता है।
बता दें कि इससे पहले स्कोर सिर्फ बैंक चेक किया जाता था। लोग अलग-अलग ऐप से चेक सिबिल स्कोर करते हैं। इससे उन्हें 2 तरह का नुकसान हो सकता है। पहला- सिबिल स्कोर में गिरावट (CIBIL score decline) आएगी। दूसरा- अलग-अलग ऐप से चेक करने पर उन सभी ऐप के पास व्यक्ति का पर्सनल डेटा चला जाएगा। इससे साइबर अटैक होने के चांसेज बढ़ जाते हैं।