My job alarm

CIBIL Score : सिबिल स्कोर के मामले में कंज्यूमर कोर्ट का बड़ा फैसला, हर बैंक ग्राहक के लिए जानना जरूरी

Consumer Court Decision :  किसी भी बैंक से लोन लेना हो या फिर क्रेडिट कार्ड, तमाम वित्तीय संस्थाएं सिबिल स्कोर की बात करती हैं। इसे देखने का मतलब है कि लोन लेने की इच्छा रखने वाले का सिबिल कैसा है। बहुत से लोगों को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती।   ये CIBIL क्या है जो उनके लिए तब काफी महत्वपूर्ण बन जाता है जब कहीं से उन्हें लोन लेना हो।  सिबिल (Credit Information Bureau India Limited)  कहा जाता है। ये एक कंपनी है जो क्रेडिट स्कोर की जानकारी देती है। यह कंपनी व्यक्तियों और कंपनियों के क्रेडिट संबंधी सभी जानकारियों और गतिविधियों के रिकॉर्ड को बनाकर अपने पास रखती है। जब भी कोई भी व्यक्ति लोन के लिए अप्लाई करता है तब उसका सिबिल चेक होता है। बैंक, गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और दूसरे फाइनेंशियल संस्थान, ग्राहक की क्रेडिट जानकारी, ब्यूरो के पास भेजते हैं जहां इसका रिकॉर्ड रखा जाता है। इसी जानकारी के अनुसार सिबिल, क्रेडिट से जुड़ी जानकारी रिपोर्ट जारी करता है और कस्टमर को एक क्रेडिट स्कोर देता है। जिसे सिबिल स्कोर कहते हैं। 
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CIBIL Score : सिबिल स्कोर के मामले में कंज्यूमर कोर्ट का बड़ा फैसला, हर बैंक ग्राहक के लिए जानना जरूरी

My job alarm (cibil score) :    लोन के डिफॉल्ट होने पर यानी कि समय पर लोन की EMI न चुकाने पर आपका सिबिल स्कोर खराब होता है। इसके आलवा कई बार देखने में आया है कि समय पर लोन की किस्त चुकाने या पूरा लोन भरन के बाद भी सिबिल स्कोर खराब हो जाता है। ऐसे ही एक मामले में कंज्यूमर कोर्ट (consumer court decision) की ओर से महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया है। ने अपना एक बड़ा फैसला सुनाया है।

जारी रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट के इस फसले के बारे में ग्राहकों को जानकारी रखना बेहद आवश्यक है। रिपोर्ट के अनुसार, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (standard Chartered Bank) और उसके असाइनी, शाहा फिनलीज को एक कारोबारी को उसके क्रेडिट कार्ड खाते के बंद (closure of credit card account) होने के बाद उसके CIBIL स्कोर को अपडेट नहीं करने पर मुआवजे के तौर पर 1 लाख का भुगतान करने का निर्देश (court decision on cibil score case) दिया गया है।


मामले के अनुसार बेंगलुरु के अतिरिक्त उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Consumer Disputes Redressal Commission) ने दोनों कंपनियों को उन्हें 3,000 रुपये की मुकदमे में आए खर्च का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है।


सिबिल स्कोर अपडेट करने के लिए मांगे 20491 रुपये 

 

अब सब के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पूरा मामला क्या है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिकायतकर्ता वीवी वेंकटेश बाबू (Complainant VV Venkatesh Babu) ने 2010 में अपना क्रेडिट कार्ड सरेंडर (credit card surrender) कर दिया था, लेकिन बैंक ने कथित तौर पर अलग-अलग चार्जेज के लिए उन्हें परेशान करना जारी रखा।

उसी के बाद, वेंकटेश बाबू ने दावा किए गए बकाया के पूर्ण और फाइनल सेटिलमेंट के लिए 15,500 रुपये का भुगतान करके खाता बंद करने के लिए कहा। फाइनल सेटिलमेंट के बाद कथित तौर पर, शिकायतकर्ता ने राशि का भुगतान किया और कोई बैलेंस रकम नहीं होने के लिए कन्फर्मेशन भी प्राप्त किया। बैंक ने वेंकटेश का नाम CIBIL रिकॉर्ड से हटा दिया और इसे शाहा फिनलीज के साथ अपडेट कर (cibil score update) दिया। 


हालांकि, शिकायतकर्ता वीवी वेंकटेश बाबू को बाद में पता चला कि बैंकों की ओर से CIBIL रिकॉर्ड अपडेट (cibil record update rule) नहीं किया गया था और उन्होंने उसे देनदार के रूप में बताना जारी रखा। असाइनी ने नो-ड्यूज़ सर्टिफिकेट जारी करने और CIBIL रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए 20,491 रुपये की धनराशि की भी मांग की।


अब जो हालात थे उसमें वेंकटेश मामले को कंज्यूमर कोर्ट में ले गए और दोषपूर्ण सेवाओं के खिलाफ क्षतिपूर्ति की मांग (Demand for compensation against defective services) की। जबकि बैंक ने मामले में उपस्थित होने पर विचार नहीं किया, लेकिन असाइनी शाहा फिनलीज ने इसका जिक्र किया कि शिकायत समय पर नहीं की गई थी और वेंकटेश ने इस घटना के 8 साल बाद उससे संपर्क किया था।


आगे जानकारी के अनुसार तर्कों और रिकॉर्ड पर विचार करते हुए, सदस्य के रूप में ज्योति एन और शरावती एसएम के साथ अध्यक्ष बी नारायणप्पा के कोरम ने पाया कि नियुक्त व्यक्ति ने 2020 और 2022 में वेंकटेश को कानूनी नोटिस (bank notice) जारी किया था। नोटिस का मकसद यह सूचित करना था कि बैलेंस रकम बकाया थी। उनके नाम पर 20 लाख और 33 लाख से अधिक का बकाया है।

मामले पर वेंकटेश की देनदार के रूप में अपना नाम हटाने की याचिका के समय, शाहा फिनलीज़ ने CIBIL रिकॉर्ड से उनका (cibil record) नाम हटाने के एवज में 20,491 रुपये की मांग की। जारी रिपोर्ट के अनुसार, मामले के वकील अभिषेक एमआर ने मामले में शिकायतकर्ता वेंकटेश का प्रतिनिधित्व किया, जबकि वकील संतोष कुमार एमबी ने शाहा फिनलीज की ओर से पेश हुए।

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